लोकतंत्र सूचकांक | 23 Jan 2020
प्रीलिम्स के लिये:लोकतंत्र सूचकांक, इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट मेन्स के लिये:लोकतंत्र सूचकांक में भारत का स्थान कम होने का कारण |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (Economist Intelligence Unit) द्वारा जारी लोकतंत्र सूचकांक में भारत 10 स्थान की गिरावट के साथ 51वें स्थान पर आ गया है।
मुख्य बिंदु:
- यह सूचकांक ‘द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट’ द्वारा तैयार की गई ‘अ ईयर ऑफ डेमोक्रेटिक सेटबैक्स एंड पोपुलर प्रोटेस्ट’ (A year of democratic setbacks and popular protest) नामक रिपोर्ट के आधार पर जारी किया गया है।
- यह वैश्विक सूचकांक 165 स्वतंत्र देशों और दो क्षेत्रों (Territories) में लोकतंत्र की मौजूदा स्थिति को प्रदर्शित करता है।
पाँच पैमानों पर दी जाती है रैंकिंग:
- इस रिपोर्ट में दुनिया के देशों में लोकतंत्र की स्थिति का आकलन पाँच पैमानों पर किया गया है-
- चुनाव प्रक्रिया और बहुलतावाद (Electoral Process and Pluralism)
- सरकार की कार्यशैली (The Functioning of Government)
- राजनीतिक भागीदारी (Political Participation)
- राजनीतिक संस्कृति (Political Culture)
- नागरिक आज़ादी (Civil liberties)
- ये सभी पैमाने एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और इन पाँच पैमानों के आधार पर ही किसी भी देश में मुक्त और निष्पक्ष चुनाव एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थिति का पता लगाया जाता है।
- इस सूचकांक में 1-10 अंकों के पैमाने के आधार पर रैंक तय की जाती है।
सूचकांक से संबंधित प्रमुख बिंदु:
- इस सूचकांक में दुनिया के 165 देशों और 2 क्षेत्रों को उनकी शासन व्यवस्था के आधार पर चार तरह के मानकों के आधार पर रैंकिंग दी गई है-
- पूर्ण लोकतंत्र (Full Democracies)
- दोषपूर्ण लोकतंत्र (Flawed Democracies)
- हाइब्रिड शासन (Hybrid Regimes)
- सत्तावादी शासन (Authoritarian Regimes)
- इस सूचकांक में 167 देशों में केवल 22 देशों को पूर्ण लोकतांत्रिक देश बताया गया है।
- दोषपूर्ण लोकतांत्रिक श्रेणी के तहत कुल 54 देश शामिल हैं।
- हाइब्रिड शासन श्रेणी में कुल 37 देशों को शामिल किया गया है।
- सत्तावादी शासन श्रेणी में कुल 54 देशों को शामिल किया गया है।
- इस सूचकांक में नॉर्वे, आइसलैंड तथा स्वीडन क्रमशः 9.87, 9.58, 9.39 अंकों के स्कोर के साथ प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्थान पर हैं।
- इस सूचकांक में उत्तर कोरिया (North Korea) को 1.08 अंकों के स्कोर के आधार पर अंतिम स्थान मिला है।
- वर्ष 2018 के सूचकांक की तुलना में 68 देशों का स्कोर कम हुआ है तथा 65 देशों ने स्कोर में बढ़त हासिल की है।
सूचकांक में भारत की स्थिति:
- इस रिपोर्ट में 167 देशों की सूची में भारत को 51वें स्थान पर रखा गया है लेकिन एशिया और ऑस्ट्रेलेशिया समूह में भारत को आठवाँ स्थान मिला है।
- भारत को कुल 6.90 अंक मिले हैं।
- अगर भारत के रैंक को अलग-अलग पैमानों पर देखें तो भारत को चुनाव प्रक्रिया और बहुलतावाद में 8.67, सरकार की कार्यशैली में 6.79, राजनीतिक भागीदारी में 6.67, राजनीतिक संस्कृति में 5.63 और नागरिक आज़ादी में 6.76 अंक दिये गए हैं।
- इस सूचकांक में भारत को दोषपूर्ण लोकतंत्र की श्रेणी में रखा गया है। दोषपूर्ण लोकतंत्र की श्रेणी का आशय ऐसे देशों से है जहाँ स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होते हैं तथा बुनियादी नागरिक स्वतंत्रता का सम्मान किया जाता है लेकिन लोकतंत्र के पहलूओं में विभिन्न समस्याएँ, जैसे- शासन में समस्याएँ, एक अविकसित राजनीतिक संस्कृति और राजनीतिक भागीदारी का निम्न स्तर आदि होती हैं।
भारत की रैंकिंग में गिरावट का कारण:
- इस सूचकांक के अनुसार, भारत की रैंकिंग में गिरावट का एक प्रमुख कारण असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens- NRC) के लागू होने के कारण 1.9 मिलियन व्यक्तियों का इससे बाहर होना है।
- इस रिपोर्ट में अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए दोनों को निरस्त करने की चर्चा की गई है। और कहा गया कि भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात किया, विभिन्न सुरक्षा उपायों को लागू किया और स्थानीय नेताओं को घर में नजरबंद रखा, जिनमें भारत समर्थक व्यक्ति भी शामिल थे।
कितना सफल है भारत का लोकतंत्र?
- स्वतंत्रता के बाद भारत का लोकतंत्र कितना सफल रहा, यह देखने के लिये इन वर्षों का इतिहास, देश की उपलब्धियाँ, देश का विकास, सामाजिक-आर्थिक दशा, लोगों की खुशहाली आदि पर गौर करने की ज़रूरत है।
- भारत का लोकतंत्र बहुलतावाद पर आधारित राष्ट्रीयता की कल्पना करता है। यहाँ की विविधता ही इसकी खूबसूरती है।
- सिर्फ दक्षिण एशिया को ही लें, तो भारत और क्षेत्र के अन्य देशों के बीच यह अंतर है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और श्रीलंका में उनके विशिष्ट धार्मिक समुदायों का दबदबा है। लेकिन धर्मनिरपेक्षता भारत का एक बेहद सशक्त पक्ष रहा है। सूचकांक में भारत का पड़ोसी देशों से बेहतर स्थिति में होने के पीछे यह एक बड़ा कारण है।
इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट:
- द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट लंदन स्थित इकोनॉमिस्ट ग्रुप का एक हिस्सा है जिसकी स्थापना 1946 में हुई थी।
- यह दुनिया के बदलते हालात पर नज़र रखती है और दुनिया की आर्थिक-राजनीतिक स्थिति के पूर्वानुमान द्वारा देश विशेष की सरकार को खतरों से आगाह करती है।
इसमें कोई शक नहीं कि देश का विकास तो हुआ है, लेकिन देखना यह होगा कि विकास किन वर्गों का हुआ और सामाजिक समरसता के धरातल पर विकास का यह दावा कितना सटीक बैठता है। दरअसल, किसी लोकतंत्र की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि सरकार ने गरीबी, निरक्षरता, सांप्रदायिकता, लैंगिक भेदभाव और जातिवाद को किस हद तक समाप्त किया है। लोगों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति कैसी है और सामाजिक तथा आर्थिक असमानता को कम करने के क्या-क्या प्रयास हुए हैं।