दिल्ली उच्च न्यायालय ने गर्भपात की मंजूरी का आदेश वापस लिया | 31 Jan 2024
प्रिलिम्स के लिये:गर्भ का चिकित्सकीय समापन, गर्भ का चिकित्सकीय समापन (MPT), संशोधन अधिनियम 2021, अनुच्छेद 21 का दायरा, सुचिता श्रीवास्तव बनाम चंडीगढ़ प्रशासन मामला, रो बनाम वेड मामला। मेन्स के लिये:भारत में गर्भ के चिकित्सकीय समापन की स्थिति, गर्भ का चिकित्सकीय समापन (MPT), संशोधन अधिनियम 2021 की मुख्य विशेषताएँ। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने उस आदेश को वापस ले लिया है जिसमें 26 वर्षीय महिला को 29 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी गई थी।
- न्यायालय ने अब अजन्मे बच्चे के जीवन के अधिकार की वकालत करते हुए महिला को एम्स या किसी केंद्रीय या राज्य अस्पताल में प्रसव कराने का निर्देश दिया है।
भारत में गर्भ के चिकित्सीय समापन की स्थिति क्या है?
- ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: 1960 के दशक में, बड़ी संख्या में प्रेरित गर्भपात के मद्देनज़र केंद्र सरकार ने देश में गर्भपात को वैध बनाने पर विचार-विमर्श करने के लिये शांतिलाल शाह समिति का गठन किया।
- इसकी सिफारिशों के परिणामस्वरूप गर्भ का चिकित्सकीय समापन (MPT) अधिनियम, 1971 अधिनियमित किया गया, जिससे महिलाओं के स्वास्थ्य की रक्षा और मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिये सुरक्षित तथा कानूनी गर्भपात की अनुमति दी गई।
- MTP अधिनियम और संशोधन: .
- MTP अधिनियम, 1971 लाइसेंस प्राप्त चिकित्सा पेशेवरों को महिलाओं के स्वास्थ्य की रक्षा और मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिये विशिष्ट पूर्व निर्धारित स्थितियों (जैसा कि कानून के तहत प्रदान किया गया है) में सुरक्षित तथा कानूनी गर्भपात करने की अनुमति देता है।
- इसमें गर्भ का चिकित्सकीय समापन (MPT), संशोधन अधिनियम 2021 के माध्यम से बाद में संशोधन किया गया।
- MTP अधिनियम, 1971 लाइसेंस प्राप्त चिकित्सा पेशेवरों को महिलाओं के स्वास्थ्य की रक्षा और मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिये विशिष्ट पूर्व निर्धारित स्थितियों (जैसा कि कानून के तहत प्रदान किया गया है) में सुरक्षित तथा कानूनी गर्भपात करने की अनुमति देता है।
- गर्भ के समाप्ति के प्रावधान:
गर्भाधान के बाद से समय |
MTP अधिनियम, 1971 |
MTP (संसोधन) अधिनियम , 2021 |
12 सप्ताह तक |
एक चिकित्सक की सलाह पर |
एक चिकित्सक की सलाह पर |
12 से 20 सप्ताह |
दो चिकित्सकों की सलाह पर |
एक चिकित्सक की सलाह पर |
20 से 24 सप्ताह |
अनुमति नहीं |
विशेष श्रेणी की गर्भवती महिलाओं के लिये दो चिकित्सकों की सलाह पर |
24 सप्ताह से अधिक |
अनुमति नहीं |
भ्रूण में गंभीर असामान्यता के मामले में मेडिकल बोर्ड की सलाह पर अनुमति |
गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय |
गर्भवती महिला की जान बचाने के लिये यदि तुरंत आवश्यक हो तो किसी डॉक्टर की सलाह पर |
गर्भवती महिला की जान बचाने के लिये यदि तुरंत आवश्यक हो तो किसी डॉक्टर की सलाह पर |
नोट: MTP संशोधन अधिनियम, 2021 के तहत महिलाओं की विशेष श्रेणियों में बलात्कार पीड़िता, यौन शोषण की शिकार एवं अन्य कमज़ोर महिलाएँ जैसे दिव्यांग और नाबालिग शामिल हैं।
- MTP संशोधन अधिनियम, 2021 की अन्य मुख्य विशेषताएँ:
- गर्भनिरोधक विधि या उपकरण की विफलता के कारण गर्भपात: MTP अधिनियम ने विवाहित महिलाओं को गर्भनिरोधक विधि या उपकरण की विफलता के मामले में 20 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी है।
- MTP संशोधन अधिनियम ने अविवाहित महिलाओं के लिये भी अनुमोदन में वृद्धि की है।
- मेडिकल बोर्ड: बोर्ड महत्त्वपूर्ण भ्रूण असामान्यताओं के लिये 24 सप्ताह से अधिक के गर्भधारण का आकलन करेगा।
- इसमें स्त्रीरोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ और रेडियोलॉजिस्ट जैसे विशेषज्ञ शामिल होने चाहिये तथा इसे सभी राज्य व केंद्रशासित प्रदेश सरकारों द्वारा स्थापित किया जाएगा।
- गोपनीयता उपाय: एक पंजीकृत चिकित्सक केवल विधि/कानून द्वारा अधिकृत व्यक्तियों को ही समाप्त गर्भपात के विवरण का खुलासा कर सकता है। उल्लंघन पर एक वर्ष तक की कैद, ज़ुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
- गर्भनिरोधक विधि या उपकरण की विफलता के कारण गर्भपात: MTP अधिनियम ने विवाहित महिलाओं को गर्भनिरोधक विधि या उपकरण की विफलता के मामले में 20 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी है।
- संवैधानिक रुख:
- हालाँकि संविधान में गर्भपात के अधिकार का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं है, लेकिन कुछ मौलिक अधिकार प्रजनन अधिकारों और महिलाओं की स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े हुए हैं।
- अनुच्छेद 21 - जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार: सर्वोच्च न्यायालय ने प्रजनन स्वायत्तता और स्वास्थ्य देखभाल (सुचिता श्रीवास्तव बनाम चंडीगढ़ प्रशासन मामला, 2009) को सम्मिलित करने के लिये इसकी व्यापक रूप से व्याख्या की है।
- इसके अलावा, हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अजन्मे बच्चे के अधिकारों को महिला के प्रजनन अधिकार के साथ संतुलित किया जाना चाहिये।
नोट: भारत में गर्भ की नैतिक स्थिति, विधिक स्थिति तथा सांविधानिक अधिकारों को लेकर अभी भी अनिश्चितता है। हालाँकि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 20 के तहत गर्भधारण की स्थिति से भ्रूण के जीवन की सुरक्षा का प्रावधान है।
- वैश्विक रुझान:
- संपूर्ण विश्व में गर्भपात संबंधी कानूनों के उदारीकरण तथा गर्भपात सेवाओं तक पहुँच में बेहतरी की दिशा में कार्य करने के प्रयास किये जा रहे हैं।
- 1990 के दशक की शुरुआत से विश्व स्तर पर लगभग 60 देशों ने गर्भपात कानूनों में ढील दी है, जिससे गर्भपात के लिये कानूनी आधार व्यापक हो गए हैं।
- विशेष रूप से केवल चार देशों- संयुक्त राज्य अमेरिका, अल साल्वाडोर, निकारागुआ तथा पोलैंड ने उक्त अवधि के दौरान गर्भपात प्रक्रिया में कानूनी आधार को हटाकर गर्भपात कानूनों को और सख्त कर दिया है।
- वर्ष 2022 में इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण विकास हुआ जब अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय ने गर्भपात के सांविधानिक अधिकार को समाप्त कर दिया (रो बनाम वेड मामला)।
- युग्मनज: निषेचन के दौरान शुक्राणु तथा अंड के संलयन से बनने वाली प्रारंभिक कोशिका।
- भ्रूण: निषेचन के क्षण से लेकर गर्भावस्था के लगभग 8वें सप्ताह तक विकास का प्रारंभिक चरण।
- गर्भ: प्रसवपूर्व विकास का बाद का चरण जो नौवें सप्ताह से शुरू होकर शिशु के जन्म को संदर्भित करता है। इसी दौरान शिशु के अंगों तथा प्रणालियों का विकास होता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में समय और स्थान के विरुद्ध महिलाओं के लिये निरंतर चुनौतियाँ क्या हैं? (2019) |