भारतीय अर्थव्यवस्था
गिग इकॉनमी: दिल्ली सबसे आगे
- 12 Apr 2019
- 4 min read
चर्चा में क्यों?
स्टार्टअप राजधानी बंगलूरु को दूसरे स्थान पर छोड़ते हुए दिल्ली भारत के तकनीकी सक्षम गिग इकॉनमी (Gig Economy) के शीर्ष गंतव्य के रूप में उभर कर सामने आई है।
प्रमुख बिंदु
- मानव संसाधन फर्म टीमलीज के आँकड़ों के अनुसार, दिल्ली ने पिछले छह महीनों (31 मार्च तक) में अपनी विशाल अर्थव्यवस्था में 560,600 लोगों को शामिल किया है। गौरतलब है कि यह आँकड़ा पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में 298,000 (88% की छलांग) था।
- इस बीच, बंगलूरु की गिग इकॉनमी में शामिल होने वाले प्रवासी श्रमिकों की संख्या पिछले छह महीनों में 29% की मामूली बढ़त के साथ 194,400 से 252,300 हो गई है।
- रोज़गार की तलाश में बढ़ता प्रवास और गिग इकॉनमी को बढ़ावा देने वाली कंपनियों द्वारा प्रशिक्षण देने में तत्परता ने इस क्षेत्र को काफी हद तक बढ़ावा दिया है।
- एक अनुमान के मुताबिक, भारत में नए रोज़गारों (ब्लू-कॉलर और व्हाइट-कॉलर दोनों) का 56% हिस्सा गीग इकॉनमी कंपनियों द्वारा सृजित हो रहा है।
गिग इकॉनमी पर नियंत्रण की आवश्यकता
- गिग इकॉनमी (स्विगी, ज़ोमैटो, उबर और ओला जैसी कंपनियों की अगुवाई में) काफी हद तक अनियंत्रित है, यहाँ तक कि ड्राइवर और डिलीवरी बॉय को मामूली आय तथा बहुत कम जॉब सिक्यूरिटी पर काम करना पड़ता है।
- भारत के संदर्भ में गिग इकॉनमी अनौपचारिक श्रम क्षेत्र का ही विस्तार है, जो लंबे समय से प्रचलित और अनियंत्रित है, इसमें श्रमिकों को कोई सामाजिक सुरक्षा, बीमा आदि की सुविधा नहीं मिलती है।
- कुछ नीति विशेषज्ञ हमेशा से इस बात के पक्षधर रहे हैं कि श्रम कानूनों में आमूल-चूल बदलावों को लागू करने की ज़रूरत है।
- भारत में गिग इकॉनमी के तहत उभरते स्टार्टअप्स को संतुलित तरीके से विनियमित करने की आवश्यकता है ताकि स्टार्टअप कंपनियों और श्रमिकों दोनों को ही इस क्षेत्र में कुछ सहूलियतें उपलब्ध हो सकें।
गिग इकॉनमी क्या है?
- आज डिजिटल होती दुनिया में रोज़गार की परिभाषा और कार्य का स्वरूप बदल रहा है। एक नई वैश्विक अर्थव्यवस्था उभर रही है, जिसको नाम दिया जा रहा है 'गिग इकॉनमी’।
- दरअसल, गिग इकॉनमी में फ्रीलान्स कार्य और एक निश्चित अवधि के लिये प्रोजेक्ट आधारित रोज़गार शामिल हैं।
- गिग इकॉनमी में किसी व्यक्ति की सफलता उसकी विशिष्ट निपुणता पर निर्भर होती है। असाधारण प्रतिभा, गहरा अनुभव, विशेषज्ञ ज्ञान या प्रचलित कौशल प्राप्त श्रमबल ही गिग इकॉनमी में कार्य कर सकता है।
- आज कोई व्यक्ति सरकारी नौकरी कर सकता है या किसी प्राइवेट कंपनी का मुलाज़िम बन सकता है या फिर किसी मल्टीनेशनल कंपनी में रोज़गार ढूंढ सकता है, लेकिन गिग इकॉनमी एक ऐसी व्यवस्था है जहाँ कोई भी व्यक्ति मनमाफिक काम कर सकता है।
- अर्थात् गिग इकॉनमी में कंपनी द्वारा तय समय में प्रोजेक्ट पूरा करने के एवज़ में भुगतान किया जाता है, इसके अतिरिक्त किसी भी बात से कंपनी का कोई मतलब नहीं होता।