सुरक्षा
रक्षा खरीद प्रस्तावों को मंज़ूरी
- 03 Jul 2020
- 6 min read
प्रीलिम्स के लिये:पिनाका, अस्त्र मिसाइल, मिग 29, SU-30 MKI, LRLACM मेन्स के लिये:रक्षा खरीद प्रस्ताव का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
भारत-चीन के बीच जारी सीमा गतिरोध के मद्देनज़र भारत सरकार की 'रक्षा अधिग्रहण परिषद' (Defence Acquisition Council- DAC) ने हाल ही में लगभग 39,000 करोड़ रुपए के रक्षा खरीद प्रस्तावों को मंज़ूरी दी है।
प्रमुख बिंदु:
- DAC, रक्षा अधिग्रहण संबंधी मामलों पर निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है, जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री द्वारा की जाती है।
- रक्षा खरीद प्रस्ताव भारत की तीनों सेवाओं (सेना, नौसेना और वायु सेना) की लड़ाकू क्षमताओं में वृद्धि करेगा।
- इन रक्षा प्रस्तावों में मुख्यत: तीनों रक्षा सेवाओं के लिये मिसाइल प्रणाली, और वायु सेना के लिये अतिरिक्त लड़ाकू जेट शामिल हैं।
रक्षा खरीद प्रस्ताव:
- DAC द्वारा द्वारा स्वीकृत रक्षा खरीद प्रस्ताव में 21 मिग-29 फाइटर जेट विमानों की खरीद, 59 मिग जेट विमानों को अपग्रेड करना और 12 Su-30 MKI विमानों का अधिग्रहण भी शामिल है।
- इसके अलावा रक्षा खरीद में पिनाका रॉकेट लॉन्चर तथा अस्त्र मिसाइलों से संबंधित प्रस्तावों को भी मंज़ूरी दी गई है।
सेना के लिये पिनाका मिसाइल प्रणाली:
- प्रस्ताव:
- सेना क लिये ‘पिनाका निर्देशित रॉकेट प्रणाली’ (Pinaka Guided Rocket System) में आवश्यक आयुध-संभार (Ammunition) किया जाएगा।
- पिनाका (Pinaka):
- यह रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO) द्वारा विकसित सभी मौसम में कार्य करने वाली मुक्त उड़ान पर आधारित आर्टिलरी रॉकेट प्रणाली है।
- पिनाका हथियार प्रणाली में रॉकेट, मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर, बैटरी कमांड पोस्ट, लोडर कम रिप्लेसमेंट व्हीकल, रिप्लेसमेंट व्हीकल और राडार प्रणाली शामिल हैं।
नौसेना और वायु सेना के लिये अस्त्र मिसाइल:
- प्रस्ताव:
- नौसेना और वायु सेना के लिये ‘बियॉन्ड विज़ुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइलों’ (BVRAAM) की घरेलू रूप से खरीद की जाएगी।
- अस्त्र मिसाइल:
- अस्त्र दृश्य सीमा के परे हवा-से-हवा में मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है।
- अस्त्र मिसाइल प्रणाली को लड़ाकू विमान पर तैनात किये जाने के अनुसार डिज़ाइन किया गया है।
- यह मिसाइल प्रणाली सुपरसोनिक विमान को नष्ट करने में सक्षम है।
- अस्त्र Mk-I (ASTRA Mk-I) हथियार प्रणाली को SU-30 Mk-I विमान के साथ एकीकृत करके 'भारतीय वायु सेना (Indian Air Force- IAF) में शामिल किया जा रहा है।
- इसे लॉक-ऑन-बिफोर लॉन्च (LOBL) और लॉक-ऑन आफ्टर लॉन्च (LOAL) के फीचर्स के साथ स्वायत तथा अनुकूल मोड में लॉन्च किया जा सकता है।
वायु सेना के लिये मिग 29 (MIG 29):
- प्रस्ताव:
- DAC ने रूस से 21 MIG-29 की खरीद को मंज़ूरी दी है।
- रूस द्वारा भारत के मौजूदा 59 मिग-29 विमानों को भी अपग्रेड किया जाएगा।
- इस सौदे की कुल लागत 7,418 करोड़ रुपए है।
- मिग 29 (MIG 29):
- सोवियत संघ द्वारा विकसित दो-इंजन आधारित, मल्टीरोल फाइटर जेट का अद्यतन/अपग्रेडेड संस्करण है।
वायु सेना के लिये SU-30 MKI फाइटर जेट:
- प्रस्ताव:
- सरकार द्वारा 12,000 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत के साथ हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से 12 सुखोई Su-30 MKI जेट विमान खरीदे जाएंगे।
- SU-30 MKI:
- यह रूस के सुखोई और भारत के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से निर्मित लंबी दूरी का फॉइटर जेट है।
- एक उड़ान में यह 3000 किमी. तक की दूरी तय कर सकता है तथा इसमें हवा में ही ईधन भरा जा सकता है।
लंबी-दूरी की भूमि आक्रमण आधारित क्रूज़ मिसाइल प्रणाली
(Long-Range Land Attack Cruise Missile Systems- LRLACM):
- प्रस्ताव:
- ब्रह्मोस मिसाइल की फायरिंग रेंज क्षमता को 1000 किमी. तक की वृद्धि करना।
- पूर्णतया स्वदेश निर्मित लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल प्रणाली का विकास करना।
- LRLACM:
- LRLACM निर्भय क्रूज मिसाइल का उन्नत संस्करण होगा, जिसमें आवश्यकतानुसार बदलाव किये जाएँगे।
रक्षा सौदे का महत्त्व:
- प्रस्तावों के अनुसार, विभिन्न रक्षा सामग्रियों का विनिर्माण प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से किया जाएगा, जो भारत की मेक इन इंडिया पहल के अनुकूल है।
- भारत-चीन सीमा तनाव के बीच यह रक्षा प्रस्ताव भारत की रक्षा आवश्यकताओं के अनुकूल है।
- रक्षा खरीद मुख्यत: रूस के साथ की जाएगी, जिसका भारत-चीन-रूस त्रिकोणीय संबंधों की दृष्टि से रणनीतिक महत्त्व है।