गहरे समुद्र में खनन | 04 Jul 2023
प्रिलिम्स के लिये:गहरे समुद्र में खनन ISA, हरित ऊर्जा, समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCLOS), नवीकरणीय ऊर्जा मेन्स के लिये:गहरे समुद्र में खनन और पर्यावरण संबंधी चिंताएँ |
चर्चा में क्यों?
इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी (ISA) हरित ऊर्जा के लिये आवश्यक खनिजों के खनन हेतु इंटरनेशनल सीबेड में गहरे समुद्र में खनन की अनुमति देने की योजना बना कर रही है।
- ISA का कानूनी और तकनीकी आयोग गहरे समुद्र में खनन संबंधी विनियमों के विकास की देखरेख करता है, यह आयोग खनन संहिता मसौदे पर चर्चा करने के लिये जुलाई 2023 की शुरुआत में एक बैठक का आयोजन करेगा। ISA नियमों के तहत खनन कार्य वर्ष 2026 में शुरू हो सकता है।
गहरे समुद्र में खनन:
- गहरे समुद्र में खनन से तात्पर्य गहरे समुद्र तल से खनिज और धातु निकालने की प्रक्रिया से है।
- गहरे समुद्र में खनन के तीन प्रकार हैं:
- समुद्र तल में जमा-समृद्ध बहुधातु ग्रंथिकाओं (Nodules) को अलग करना
- समुद्री तल से बड़े पैमाने पर सल्फाइड भंडार का खनन
- चट्टान से कोबाल्ट परतों को पृथक करना।
- इन ग्रंथिकाओं (Nodules), भंडारों और परतों में निकल, दुर्लभ पृथ्वी तत्त्व, कोबाल्ट और अन्य सामग्रियाँ पाई जाती हैं, ये नवीकरणीय ऊर्जा के दोहन में उपयोग की जाने वाली बैटरी तथा अन्य सामग्रियों एवं सेलफोन व कंप्यूटर जैसी रोजमर्रा की तकनीक के लिये भी आवश्यक होती हैं।
- कंपनियाँ और सरकारें इन्हें रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण संसाधनों के रूप में देखती हैं जिनकी भविष्य में आवश्यकता होगी क्योंकि तटवर्ती भंडार समाप्त हो रहे हैं और मांग में वृद्धि जारी है।
गहरे समुद्र में खनन से संबंधित पर्यावरणीय चिंताएँ:
- गहरे समुद्र में खनन समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और संपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुँचा सकता है। खनन से होने वाले नुकसान में शोर, कंपन एवं प्रकाश प्रदूषण, साथ ही खनन प्रक्रिया में उपयोग किये जाने वाले ईंधन और अन्य रसायनों के संभावित रिसाव तथा फैलाव शामिल हो सकते हैं।
- कुछ खनन प्रक्रियाओं से निकलने वाला तलछट एक प्रमुख चिंता का विषय है। एक बार जब मूल्यवान धातु निकाल ली जाती है, तो कीचड़ युक्त तलछट के ढेर को कभी-कभी वापस समुद्र में डाल दिया जाता है। इससे कुछ जीवों का दम घुट सकता है या उनके कार्य में बाधा आ सकती है और कोरल एवं स्पंज जैसी फिल्टर-फीडिंग प्रजातियों को नुकसान हो सकता है।
- गहरे समुद्र में खनन समुद्र तल को काफी अधिक नुकसान पहुँचा सकता है और मछली की आबादी, समुद्री स्तनधारियों तथा जलवायु को विनियमित करने में गहरे समुद्र के पारिस्थितिक तंत्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर भी नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
गहरे समुद्र में खनन का विनियमन:
- देश अपने स्वयं के समुद्री क्षेत्र और विशेष आर्थिक क्षेत्रों का प्रबंधन करते हैं, जबकि उच्च समुद्र और अंतर्राष्ट्रीय महासागर तल, संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय (UNCLOS) द्वारा शासित होते हैं।
- संधि के अंतर्गत समुद्र तल और उसके खनिज संसाधनों को "मानव जाति की साझी विरासत" माना जाता है, इसे इस तरह से प्रबंधित किया जाना चाहिये कि आर्थिक लाभों को साझा करने, समुद्री वैज्ञानिक अनुसंधान के लिये समर्थन एवं समुद्री पर्यावरण की रक्षा के माध्यम से मानव हितों की रक्षा की जाए।
अंतर्राष्ट्रीय समुद्री प्राधिकरण (International Seabed Authority):
- परिचय:
- ISA संयुक्त राष्ट्र सामान्य प्रणाली के अंतर्गत एक स्वायत्त संगठन है, जिसका मुख्यालय किंग्स्टन, जमैका में स्थित है।
- वर्ष 1982 UNCLOS के सभी राज्य पक्ष प्राधिकरण के सदस्य हैं, जिसमें यूरोपीय संघ सहित कुल 168 सदस्य हैं।
- प्राधिकरण UNCLOS द्वारा स्थापित तीन अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों में से एक है।
- अन्य दो महाद्वीपीय शेल्फ की सीमा पर आयोग और समुद्री कानून के लिये अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण हैं।
- प्राधिकरण UNCLOS द्वारा स्थापित तीन अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों में से एक है।
- उद्देश्य:
- इसका प्राथमिक कार्य 'क्षेत्र' में पाए जाने वाले खनिजों की गहरे समुद्र तल में खोज तथा दोहन को विनियमित करना है, जिसे कन्वेंशन द्वारा राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र की सीमाओं के साथ महाद्वीपीय मग्नतट की बाहरी सीमाओं से परे समुद्र तल एवं उप मृदा के रूप में परिभाषित किया गया है।
- यह क्षेत्र पृथ्वी पर संपूर्ण समुद्री तल के केवल 50% से अधिक भाग पर स्थित है।
आगे की राह
- खनन के लिये आवेदनों पर विचार किया जाने के साथ पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन भी किया जाना चाहिये।
- इस बीच कुछ कंपनियों, जैसे कि गूगल, सैमसंग, बीएमडब्ल्यू आदि द्वारा महासागरों से खनन किये गए खनिजों का उपयोग करने से बचाव के लिये विश्व वन्यजीव कोष के आह्वान का समर्थन किया है।
- फ्राँस, जर्मनी के साथ कई प्रशांत महासागरीय तट के एक दर्जन से अधिक द्वीपीय देशों ने आधिकारिक रूप से गहरे समुद्र में खनन पर तब तक प्रतिबंध लगाने आह्वान किया है, जब तक कि पर्यावरणीय सुरक्षा उपाय लागू नहीं किये जाते हैं। हालाँकि यह स्पष्ट नहीं है कि कितने अन्य देश इस तरह के खनन का समर्थन करते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. विश्व के संसाधन संकट से निपटने के लिये महासागरों के विभिन्न संसाधनों, जिनका उपयोग किया जा सकता है, का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। (2014) |