मनरेगा के तहत कार्य की मांग में गिरावट | 10 Aug 2024
प्रिलिम्स के लिये:महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGS), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), मानसून, प्रवासन, कार्य गारंटी कार्यक्रम, रोज़गार, बेरोज़गारी भत्ता, ग्राम सभा, सामाजिक लेखा परीक्षा, गरीबी रेखा से नीचे, पंचायती राज संस्थान (PRI) मेन्स के लिये:महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGS) की भूमिका। |
स्रोत: इकॉनोमिक टाइम्स
चर्चा में क्यों?
ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGS) के तहत कार्य की मांग में जुलाई 2024 में काफी कम हो गई।
MGNREGA के तहत कार्य की मांग में गिरावट क्या दर्शाती है?
- कार्य की मांग की वर्तमान स्थिति: जुलाई में लगभग 22.80 मिलियन व्यक्तियों ने इस योजना के माध्यम से रोज़गार हेतु आवेदन किया, जो वर्ष 2023 की इसी अवधि की तुलना में 21.6% की कमी दर्शाता है।
- ये व्यक्ति 18.90 मिलियन परिवारों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो साल-दर-साल 19.5% और जून 2024 की तुलना में 28.4% की कमी के आँकड़े को दर्शाते है।
- महीनों के आधार पर जुलाई 2024 में रोज़गार चाहने वाले लोगों की संख्या में 33.4% की गिरावट आई है।
- जुलाई 2024 में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे प्रमुख राज्यों में कम व्यक्तियों ने कार्य की मांग की।
- कार्य की मांग में गिरावट के कारण:
- मज़बूत आर्थिक गतिविधि:
- MGNREGA के तहत कार्य की मांग सामान्यतः तब कम हो जाती है जब सुदृढ़ आर्थिक विकास के कारण बेहतर वेतन वाले रोज़गार के अवसर उपलब्ध होते हैं, जो संभवतः सुदृढ़ आर्थिक गतिविधि को दर्शाता है।
- पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में अर्थव्यवस्था अनुमान से अधिक 8.2% की दर से बढ़ी।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का अनुमान है कि भारत सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था होगी, जिसकी विकास दर वित्त वर्ष 2024-25 में 7% और 2025-26 में 6.5% होगी, जो वैश्विक औसत से अधिक होगी।
- MGNREGA के तहत कार्य की मांग सामान्यतः तब कम हो जाती है जब सुदृढ़ आर्थिक विकास के कारण बेहतर वेतन वाले रोज़गार के अवसर उपलब्ध होते हैं, जो संभवतः सुदृढ़ आर्थिक गतिविधि को दर्शाता है।
- मज़बूत आर्थिक गतिविधि:
- मानसून का प्रभाव:
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGS) क्या है?
- परिचय:
- MGNREGA ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2005 में शुरू किये गए विश्व के सबसे बड़े रोज़गार गारंटी कार्यक्रमों में से एक है।
- यह योजना न्यूनतम वेतन पर सार्वजनिक कार्यों से संबंधित अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक किसी भी ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम 100 दिनों के रोज़गार की कानूनी गारंटी प्रदान करता है।
- कार्यान्वयन एजेंसी:
- ग्रामीण विकास मंत्रालय राज्य सरकारों के सहयोग से इस योजना के संपूर्ण कार्यान्वयन की निगरानी करता है।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- मनरेगा के डिज़ाइन की आधारशिला इसकी कानूनी गारंटी है, जो यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी ग्रामीण वयस्क कार्य का अनुरोध कर सकता है और उसे 15 दिनों के भीतर कार्य मिलना चाहिये।
- यदि यह प्रतिबद्धता पूरी नहीं होती है, तो "बेरोज़गारी भत्ता" प्रदान किया जाना चाहिये।
- इसके लिये आवश्यक है कि महिलाओं को इस तरह से प्राथमिकता दी जाए कि कम से कम एक तिहाई लाभार्थी ऐसी महिलाएँ हों जिन्होंने पंजीकरण कराया हो और कार्य के लिये अनुरोध किया हो।
- महात्मा गांधी नरेगा, 2005 की धारा 17 में ग्राम सभा को योजना के तहत किये गए कार्यों का सामाजिक ऑडिट करने का आदेश दिया गया है।
- मनरेगा के डिज़ाइन की आधारशिला इसकी कानूनी गारंटी है, जो यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी ग्रामीण वयस्क कार्य का अनुरोध कर सकता है और उसे 15 दिनों के भीतर कार्य मिलना चाहिये।
- उद्देश्य:
- इसकी शुरुआत ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति में सुधार लाने के उद्देश्य से की गई थी, मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले व्यक्तियों को अर्ध या अकुशल कार्य उपलब्ध कराना।
- यह देश में धनी और निर्धन के बीच की खाई को पाटने का प्रयास करता है।
- वर्तमान स्थिति:
- बजट आवंटन: वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिये, सरकार ने रोज़गार की बढ़ती माँग को पूरा करने हेतु पिछले वर्षों की तुलना में वृद्धि को दर्शाते हुए, मनरेगा को लगभग 73,000 करोड़ रुपए आवंटित किये।
- रोज़गार सृजन: वित्त वर्ष 2022-23 में, मनरेगा ने 300 करोड़ से अधिक का कार्य प्रदान किया, जिसमें लगभग 11 करोड़ परिवार इस योजना में भाग ले रहे हैं।
- मज़दूरी भुगतान: केंद्र ने वित्त वर्ष 2024-25 हेतु मनरेगा श्रमिकों के लिये मज़दूरी दरों में 3-10% की वृद्धि की अधिसूचना जारी की है।
- वित्त वर्ष 2023-24 के 261 रुपए की तुलना में वर्ष 2024-25 के लिये औसत मज़दूरी 289 रुपए है।
- परियोजना केंद्र : इस योजना ने जल संरक्षण, वनीकरण और ग्रामीण बुनियादी ढाँचे के विस्तार जैसे सतत् विकास परियोजनाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है। 60% से अधिक कार्य प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के लिये समर्पित है।
मनरेगा के क्रियान्वयन में क्या चुनौतियाँ हैं?
- न्यूनतम मज़दूरी निर्धारण पर चिंताएँ: ग्रामीण विकास मंत्रालय के एक पैनल ने चिंता जताई है कि मनरेगा के तहत न्यूनतम मज़दूरी कृषि मज़दूरों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित है, जो मनरेगा मज़दूरों द्वारा किये जाने वाले विभिन्न प्रकार के कार्य को नहीं दर्शाता है।
- वे इसके बजाय ग्रामीण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का उपयोग करने की सलाह देते हैं, क्योंकि यह अधिक समसामयिक है और शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा पर अधिक व्यय को दर्शाता है।
- खराब नियोजन और प्रशासनिक कौशल: कर्नाटक और पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों को छोड़कर, पंचायतों में बड़े पैमाने पर कार्यक्रमों की योजना बनाने का अनुभव नहीं है। नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने ग्राम पंचायत सदस्यों के बीच अपर्याप्त प्रशासनिक क्षमता को उजागर किया।
- पर्याप्त जनशक्ति की कमी: ब्लॉक और ग्राम पंचायत स्तरों पर अपर्याप्त प्रशासनिक और तकनीकी कर्मचारी नियोजन, निगरानी और पारदर्शिता को प्रभावित करते हैं।
- योजना के वित्तपोषण में कठिनाई: मनरेगा के लिए बजट में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे स्थिरता और वित्तपोषण स्रोतों के बारे में चिंताएँ बढ़ गई हैं।
- घटते कर-जीडीपी अनुपात ने कार्यक्रम के वित्तपोषण के लिए चुनौतियाँ खड़ी की हैं।
- भेदभाव: MGNREGA समान वेतन को बढ़ावा देता है, लेकिन महिलाओं और हाशिये पर पड़े समूहों के खिलाफ भेदभाव के मामले जारी हैं। कुछ राज्यों में महिलाओं का नामांकन अधिक है, जबकि अन्य में प्रणालीगत पूर्वाग्रहों के कारण कम भागीदारी है।
- भ्रष्टाचार और अनियमितताएँ: भ्रष्टाचार के उच्च स्तर के कारण लक्षित लाभार्थियों तक बहुत कम धनराशि पहुँच पाती है। गैर-मौजूद श्रमिकों के लिये फेक जॉब कार्ड जैसी समस्याएँ महत्त्वपूर्ण वित्तीय नुकसान का कारण बनती हैं।
आगे की राह:
- गारंटीकृत कार्य दिवसों में वृद्धि: यद्यपि प्रति वर्ष पूरे 100 दिन का रोज़गार उपलब्ध नहीं कराया गया है, फिर भी संसदीय समिति और कार्यकर्त्ता समूहों ने प्रति परिवार गारंटीकृत कार्य दिवसों की संख्या को 100 से बढ़ाकर 150 करने की पुरजोर सिफारिश की है, ताकि ग्रामीण आबादी को वर्ष में अधिक समय तक रोज़गार सुरक्षा प्राप्त हो सके।
- क्षमता निर्माण: योजना और कार्यान्वयन कौशल में सुधार हेतु पंचायत सदस्यों के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करने के साथ ही प्रभावी कार्यक्रम प्रबंधन हेतु स्पष्ट दिशानिर्देश स्थापित करना चाहिये।
- निगरानी: निधि आवंटन और परियोजना परिणामों पर नज़र रखने के लिये सुदृढ़ निगरानी तंत्र लागू करने की आवश्यकता है। पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिये मोबाइल ऐप तथा ऑनलाइन पोर्टल जैसी तकनीक का उपयोग किया जाना चाहिये।
- अद्यतन मज़दूरी निर्धारण: न्यूनतम मज़दूरी निर्धारण को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-ग्रामीण के आधार पर किया जाना चाहिये, ताकि MGNREGS श्रमिकों द्वारा सामना की जाने वाली जीवन-यापन लागत को बेहतर ढंग से दर्शाया जा सके।
- मुद्रास्फीति और स्थानीय आर्थिक स्थितियों के साथ तालमेल बनाए रखने के लिये मज़दूरी दरों को नियमित रूप से अद्यतन किया जाना चाहिये।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार सृजन में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGS) की भूमिका पर चर्चा कीजिये। इस योजना से जुड़ी चुनौतियाँ क्या हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन "महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम" से लाभान्वित होने के पात्र हैं? (2011) (a) केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति परिवारों के वयस्क सदस्य उत्तर: (d) मेन्सप्रश्न. अब तक भी भूख और गरीबी भारत में सुशासन के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं। मूल्यांकन कीजिये कि इन भारी समस्याओं से निपटने में क्रमिक सरकारों ने किस सीमा तक प्रगति की है। सुधार के लिये उपाय सुझाइये । (2017) प्रश्न. क्या कमज़ोर और पिछड़े समुदायों के लिये आवश्यक सामाजिक संसाधनों को सुरक्षित करने के द्वारा, उनकी उन्नति के लिये सरकारी योजनाएँ, शहरी अर्थव्यवस्थाओं में व्यवसायों की स्थापना करने में उनको बहिष्कृत कर देती हैं? (2014) |