चक्रवात मोखा | 16 May 2023

प्रिलिम्स के लिये:

चक्रवात मोखा, IMD, चक्रवात, अम्फान, ताउते, WMO, मानसून 

मेन्स के लिये:

चक्रवात, इसके प्रकार और भारत में चक्रवात की घटना

चर्चा में क्यों? 

चक्रवाती मोखा, जिसने हाल ही में म्याँमार को प्रभावित किया है, को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (Indian Meteorological Department- IMD) द्वारा अत्यधिक गंभीर  चक्रवाती तूफान और विश्व भर की मौसम वेबसाइट ज़ूम अर्थ द्वारा 'सुपर साइक्लोन' के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

  • दक्षिण कोरिया के जेजू नेशनल यूनिवर्सिटी में टायफून रिसर्च सेंटर के अनुसार, वर्ष 2023 में यह पृथ्वी पर अब तक का सबसे शक्तिशाली चक्रवात बन गया है।
  • इस वर्ष अब तक उत्तरी और दक्षिणी दोनों गोलार्द्धों में 16 चक्रवात आ चुके हैं।

मोचा/मोखा: 

  • नामकरण: 
    • यमन ने 'मोचा' नाम सुझाया है जिसका उच्चारण मोखा के रूप में किया जाना चाहिये।
    • इस चक्रवात का नाम लाल सागर के एक बंदरगाह शहर के नाम पर रखा गया है जो अपने कॉफी उत्पादन के लिये जाना जाता है। इस शहर का लोकप्रिय पेय कैफे मोचा के रूप में प्रसिद्ध है।
  • उत्पत्ति:  
    • इसकी उत्पत्ति बंगाल की खाड़ी में हुई थी।
  • तीव्रता: 
    • इस चक्रवात में हवा की गति 277 किलोमीटर प्रति घंटे रिकॉर्ड की गई। चक्रवात मोखा अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों में वर्ष 1982 के बाद से उत्तर हिंद महासागर में गति और तीव्रता के मामले में चक्रवात फानी के साथ सबसे मज़बूत चक्रवात बन गया।
      • वर्ष 2020 में देखा गया अम्फान चक्रवात 268 किलोमीटर प्रति घंटे का था जबकि वर्ष 2021 में ताउते 222 किलोमीटर प्रति घंटे और गोनू ने वर्ष 2007 में 268 किलोमीटर प्रति घंटे की गति दर्ज की थी।

चक्रवात:

  • परिचय: 
    • चक्रवात एक कम दबाव वाले क्षेत्र के आसपास तेज़ी से हवा का संचार है। हवा का संचार उत्तरी गोलार्द्ध में वामावर्त और दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त दिशा में होता है।
    • चक्रवात विनाशकारी तूफान और खराब मौसम के साथ उत्पन्न होते हैं।
      • साइक्लोन शब्द ग्रीक शब्द साइक्लोस से लिया गया है जिसका अर्थ है साँप की कुंडलियांँ (Coils of a Snake)। यह शब्द हेनरी पेडिंगटन (Henry Peddington) द्वारा दिया गया था क्योंकि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उठने वाले उष्णकटिबंधीय तूफान समुद्र के कुंडलित नागों की तरह दिखाई देते हैं।
  • प्रकार: 
    • उष्णकटिबंधीय चक्रवात: विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) मौसम प्रणालियों को कवर करने के लिये 'उष्णकटिबंधीय चक्रवात' शब्द का उपयोग करता है जिसमें हवाएँ 'आँधी बल' (न्यूनतम 63 किमी प्रति घंटा) से तीव्र होती हैं।
      • उष्णकटिबंधीय चक्रवात मकर और कर्क रेखा के बीच के क्षेत्र में विकसित होते हैं।
    • अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात: इन्हें शीतोष्ण चक्रवात या मध्य अक्षांश चक्रवात या वताग्री चक्रवात या लहर चक्रवात भी कहा जाता है।
      • अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात समशीतोष्ण क्षेत्रों और उच्च अक्षांश क्षेत्रों में उत्पन्न होते हैं, हालाँकि वे ध्रुवीय क्षेत्रों में उत्पत्ति के कारण जाने जाते हैं।

उष्णकटिबंधीय चक्रवात:

  • परिचय: 
    • उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक तीव्र गोलाकार तूफान है जो गर्म उष्णकटिबंधीय महासागरों में उत्पन्न होता है और कम वायुमंडलीय दबाव, तेज़ हवाएँ व भारी बारिश इसकी विशेषताएँ हैं।
    • उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की विशिष्ट विशेषताओं में एक चक्रवात की आंँख (Eye) या केंद्र में साफ आसमान, गर्म तापमान और कम वायुमंडलीय दबाव का क्षेत्र होता है।
    • इस प्रकार के तूफानों को उत्तरी अटलांटिक और पूर्वी प्रशांत में हरिकेन (Hurricanes) तथा दक्षिण-पूर्व एशिया एवं चीन में टाइफून (Typhoons) कहा जाता है। दक्षिण-पश्चिम प्रशांत व हिंद महासागर क्षेत्र में इसे उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclones) तथा उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में विली-विलीज़ (Willy-Willies) कहा जाता है।
    • इन तूफानों या चक्रवातों की गति उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत अर्थात् वामावर्त (Counter Clockwise) और दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त (Clockwise) होती है।
  • गठन की स्थितियाँ:
    • उष्णकटिबंधीय तूफानों के बनने और उनके तीव्र होने हेतु अनुकूल परिस्थितियाँ निम्नलिखित हैं:
      • 27 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान वाली एक बड़ी समुद्री सतह।
      • कोरिओलिस बल की उपस्थिति।
      • ऊर्ध्वाधर/लंबवत हवा की गति में छोटे बदलाव।
      • पहले से मौजूद कमज़ोर निम्न-दबाव क्षेत्र या निम्न-स्तर-चक्रवात परिसंचरण।
      • समुद्र तल प्रणाली के ऊपर विचलन (Divergence)।

Tropical-cyclone

निम्न दाब प्रणाली की तीव्रता के आधार पर वर्गीकरण: 

  • IMD ने बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में निम्न दाब प्रणालियों को नुकसान पहुँचाने की उनकी क्षमता के आधार पर वर्गीकृत करने हेतु मानदंड विकसित किया है जिसे WMO द्वारा अपनाया गया है।

नोट: 1 नॉट - 1.85 किमी प्रति घंटा

चक्रवातों के नाम के निर्धारण की प्रक्रिया:

  • विश्व भर में हर महासागर बेसिन में बनने वाले चक्रवातों को उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्र (Tropical Cyclone Warning Centres- TCWCs) और क्षेत्रीय विशेष मौसम विज्ञान केंद्र (Regional Specialised Meteorological Centres- RSMC) द्वारा नामित किया जाता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग और पाँच TCWCs सहित दुनिया में छह क्षेत्रीय विशेष मौसम विज्ञान केंद्र हैं।
    • विश्व में छह RSMC हैं, जिनमें भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD) और पाँच TCWCs शामिल हैं।
  • वर्ष 2000 में संगठित हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देश (बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्याँमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका तथा थाईलैंड) एक साथ मिलकर आने वाले चक्रवातों के नाम तय करते हैं। जैसे ही चक्रवात इन आठों देशों के किसी भी हिस्से में पहुँचता है, सूची से अगला या दूसरा सुलभ नाम इस चक्रवात का रख दिया जाता है।
  • यह सूची प्रत्येक राष्ट्र द्वारा प्रस्ताव प्रस्तुत करने के बाद WMO/ESCAP पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन (PTC) द्वारा तैयार की गई थी।
    • WMO/ESCAP का विस्तार करते हुए वर्ष 2018 में पाँच और देशों- ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन को शामिल किया गया।

भारत में चक्रवात की घटना:

  • भारत में द्विवार्षिक चक्रवात का मौसम होता है जो मार्च से मई और अक्तूबर से दिसंबर के बीच का समय है लेकिन दुर्लभ अवसरों पर जून और सितंबर के महीनों में भी चक्रवात आते हैं।
  • सामान्यत: उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र (बंगाल की खाड़ी और अरब सागर) में उष्णकटिबंधीय चक्रवात पूर्व-मानसून (अप्रैल से जून माह) तथा मानसून पश्चात् (अक्तूबर से दिसंबर) की अवधि के दौरान विकसित होते हैं।
  • मई से जून और अक्तूबर से नवंबर माह में गंभीर तीव्रता वाले चक्रवात उत्पन्न होते हैं जो भारतीय तटों को प्रभावित करते हैं। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) अक्षांशों में दक्षिणी अटलांटिक और दक्षिण-पूर्वी प्रशांत क्षेत्रों में चक्रवात उत्पन्न नहीं होता। इसके क्या कारण हैं? (2015) 

(a) समुद्री पृष्ठों के तापमान निम्न होते हैं
(b) अंतःउष्णकटिबंधीय अभिसारी क्षेत्र (इंटर ट्रॉपिकल कन्वर्जेन्स ज़ोन) बिरले ही होहोते हैं
(c) कोरिऑलिस बल अत्यंत दुर्बल होता है
(d) उन क्षेत्रों में भूमि मौजूद नहीं होती

उत्तर: (b) 

व्याख्या: 

  • दक्षिण अटलांटिक और दक्षिण-पूर्वी प्रशांत महासागर में चक्रवातों की कमी का सबसे प्रमुख कारण इस क्षेत्र में अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) की दुर्लभ घटना है।
  • उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति तब तक मुश्किल या लगभग असंभव हो जाती है, जब तक कि ITCZ द्वारा सिनॉप्टिक वोर्टिसिटी (यह क्षोभमंडल में एक दक्षिणावर्त या वामावर्त चक्रण है) और अभिसरण (यानी बड़े पैमाने पर चक्रण एवं तडित झंझा गतिविधि) उत्पन्न नहीं हो जाती है।

अतः विकल्प (b) सही उत्तर है


मेन्स:

प्रश्न. भारत के पूर्वी तट पर हाल ही में आए चक्रवात को "फाईलिन" कहा गया। विश्व भर में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को कैसे नाम दिया जाता है? विस्तार से बताइये। (2013) 

प्रश्न. भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा चक्रवात प्रवण क्षेत्रों के लिये मौसम संबंधी चेतावनियों हेतु निर्धारित  रंग-संकेत के अर्थ पर चर्चा कीजिये।(2022) 

स्रोत: डाउन टू अर्थ