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बैंकिंग धोखाधड़ी के लिये सलाहकार बोर्ड का गठन

  • 26 Aug 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission-CVC) ने पूर्व सतर्कता आयुक्त टी.एम. भसीन की अध्यक्षता में बैंकिंग धोखाधड़ी के लिये सलाहकार बोर्ड (Advisory Board for Banking Frauds-ABBF) का गठन किया है।

ABBF से जुड़ी मुख्य बातें

  • ABBF का गठन भारतीय रिज़र्व की सलाह पर किया गया है और यह धोखाधड़ी के सभी बड़े मामलों की प्राथमिक स्तर पर जाँच करेगा।
  • यह एक चार सदस्यीय बोर्ड है।
  • टी.एम. भसीन के अतिरिक्त बोर्ड के अन्य सदस्य -
    • मधुसूदन प्रसाद - पूर्व शहरी विकास सचिव
    • डी.के. पाठक - सीमा सुरक्षा बल के पूर्व महानिदेशक
    • सुरेश एन. पटेल - आंध्र बैंक के पूर्व एमडी और सीईओ
  • अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 21 अगस्त, 2019 से दो वर्ष की अवधि के लिये होगा।
  • बोर्ड की वित्त संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु RBI आवश्यक धन मुहैया कराएगा।

बोर्ड के मुख्य कार्य

  • 50 करोड़ रुपए से अधिक की बैंकिंग धोखाधड़ी की जाँच करना और इस संदर्भ में कार्यवाही के लिये सिफारिश करना है।
  • यह उन मामलों की जाँच करेगा जिनमें सरकारी क्षेत्र के बैंकों के महाप्रबंधक या उससे ऊपर के स्तर के अधिकारी संलिप्त पाए जाएंगे।
  • इसके अलावा सीबीआई (CBI) भी किसी वित्त संबंधी धोखाधड़ी के मामले को बोर्ड के पास भेज सकता है।
  • बोर्ड समय-समय पर वित्तीय प्रणाली में धोखाधड़ी का विश्लेषण करेगा और RBI को धोखाधड़ी से संबंधित नीति निर्माण के लिये सुझाव भी देगा।

वित्त संबंधी धोखाधड़ी से निपटने हेतु अन्य कदम

  • ज्ञातव्य है कि सरकार ने पहले ही धोखाधड़ी से संबंधित मामलों की रिपोर्टिंग और जाँच करने हेतु सार्वजनिक बैंकों के लिये रूपरेखा जारी कर दी है, जो यह स्पष्ट करता है कि गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (Non-Performing Assets-NPA) के रूप में वर्गीकृत 50 करोड़ रुपए से अधिक के सभी खातों की जाँच धोखाधड़ी के दृष्टिकोण से बैंकों द्वारा की जानी चाहिये।
  • इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 50 करोड़ रुपए से अधिक की ऋण सुविधा लेने वाली कंपनियों के प्रवर्तकों/निदेशकों या अन्य अधिकृत हस्ताक्षरकर्त्ताओं के पासपोर्ट की प्रमाणित प्रति प्राप्त करने की सलाह दी गई है।

केंद्रीय सतर्कता आयोग

Central Vigilance Commission-CVC

  • केंद्रीय सतर्कता आयोग केंद्र सरकार में भ्रष्टाचार निरोध हेतु एक प्रमुख संस्था है।
  • सतर्कता के मामले में केंद्र सरकार को सलाह तथा मार्गदर्शन प्रदान करने के लिये के. संथानम की अध्यक्षता में गठित भ्रष्टाचार निवारण समिति की सिफारिशों के आधार पर फरवरी 1964 में केंद्रीय सतर्कता आयोग का गठन किया गया था।
  • इस आयोग की स्थापना/अवधारणा एक ऐसे शीर्षस्थ सतर्कता संस्थान के रूप में की गई है, जो किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप से मुक्त है।
  • यह आयोग केंद्र सरकार के सभी कार्यों की निगरानी करता है तथा सरकारी संगठनों में विभिन्न प्राधिकारियों को उनके कार्यों की योजना बनाने, निष्पादन, समीक्षा तथा सुधार करने की सलाह देता है।
  • 25 अगस्त, 1998 को राष्ट्रपति द्वारा एक अध्यादेश के माध्यम से आयोग को सांविधिक दर्जा देकर इसे बहुसदस्यीय आयोग बना दिया गया।
  • अब इस आयोग में 1 केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के साथ 2 अन्य आयुक्त भी होते हैं।
  • संसद ने वर्ष 2003 में केंद्रीय सतर्कता आयोग विधेयक पारित किया तथा 11 सितंबर, 2003 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद इसने अधिनियम का रूप लिया।
  • इस प्रकार वर्ष 2003 में केंद्रीय सतर्कता आयोग को सांविधिक दर्जा प्रदान किया गया।

स्रोत: द हिंदू

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