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शासन व्यवस्था

क्रॉसपैथी

  • 30 Jan 2025
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

होम्योपैथी, भारतीय चिकित्सा संघ, भारतीय चिकित्सा परिषद, भारत का सर्वोच्च न्यायालय, विश्व स्वास्थ्य संगठन, ई-संजीवनी

मेन्स के लिये:

क्रॉसपैथी, स्वास्थ्य सेवा व्यवसायों का विनियमन, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच, चिकित्सा लापरवाही और उत्तरदायित्व

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

महाराष्ट्र FDA के निर्देश (जिसमें फार्माकोलॉजी प्रमाण-पत्र वाले होम्योपैथिक चिकित्सकों को एलोपैथिक दवाइयाँ लिखने की अनुमति दी गई है) से "क्रॉसपैथी" के बारे में चिंताएँ उत्पन्न हुई हैं।

  • इस निर्णय की भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) ने आलोचना की है, जिसके द्वारा चेतावनी दी गई है कि इससे "क्रॉसपैथी" उत्पन्न हो सकती है और मरीजों को नुकसान हो सकता है।

क्रॉसपैथी क्या है?

  • क्रॉसपैथी: क्रॉसपैथी का तात्पर्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों द्वारा अपनी विशेषज्ञता के मान्यता प्राप्त दायरे से बाहर दवा लिखने या अभ्यास करने से है। 
    • विशेष रूप से, इसमें वैकल्पिक चिकित्सा प्रणालियों (जैसे आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष) ) के चिकित्सक शामिल होते हैं, जो आमतौर पर एलोपैथिक (आधुनिक) चिकित्सा के लिये आरक्षित उपचार निर्धारित करते हैं।
  • चिंताएँ: इस पद्धति की अक्सर आलोचना की जाती है, क्योंकि इससे गलत निदान, अनुचित उपचार और रोगी की सुरक्षा को खतरा हो सकता है, क्योंकि ये चिकित्सक आधुनिक चिकित्सा की विधियों एवं प्रथाओं में पूरी तरह से प्रशिक्षित नहीं होते हैं।
  • विनियम और कानूनी मिसालें:
    • MCI आचार संहिता 2002 : भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) ने भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 के तहत भारतीय चिकित्सा परिषद (व्यावसायिक आचरण, शिष्टाचार और नैतिकता) विनियम, 2002 की स्थापना की, जो अयोग्य व्यक्तियों को गर्भपात जैसी चिकित्सा प्रक्रियाओं का संचालन करने या चिकित्सा क्षमता प्रमाण पत्र जारी करने से प्रतिबंधित करता है।
      • इसमें यह भी प्रावधान है कि योग्य चिकित्सक चिकित्सा कार्यों के लिये गैर-योग्य कर्मियों को नियुक्त नहीं कर सकते।
    • सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय: वर्ष 1996 के एक ऐतिहासिक मामले, पूनम वर्मा बनाम अश्विन पटेल में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक होम्योपैथ को एलोपैथिक दवाएँ लिखने में लापरवाही के लिये उत्तरदायी ठहराया, जिसके कारण रोगी की मृत्यु हो गई।
      • न्यायालय ने फैसला दिया कि क्रॉस-सिस्टम प्रैक्टिस चिकित्सा लापरवाही का मामला है। 
      • बाद के निर्णयों में इसे बरकरार रखा गया है, जिसमें कहा गया है कि क्रॉसपैथी केवल तभी स्वीकार्य है जब संबंधित राज्य सरकार द्वारा स्पष्ट रूप से अधिकृत किया गया हो।

क्रॉसपैथी को बढ़ावा देने के क्या कारण हैं?

  • विशेषज्ञों की कमी: भारत की स्वास्थ्य गतिशीलता 2022-23 पर एक रिपोर्ट में ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) में विशेषज्ञ डॉक्टरों की 80% कमी पर प्रकाश डाला गया है, जहाँ केवल 4,413 विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध हैं, जबकि 21,964 की आवश्यकता है।
  • सरकार विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा पेशेवरों की कमी को दूर करने के लिये आयुष डॉक्टरों को बढ़ावा दे रही है।
  • स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच का विस्तार: जून 2022 तक, भारत में 13 लाख से अधिक एलोपैथिक डॉक्टर और 5.5 लाख से अधिक आयुष चिकित्सक थे।
    • भारत का डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात 1:836 है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानक 1:1000 से अधिक है, लेकिन अधिकांश डॉक्टर शहरी क्षेत्रों में केंद्रित हैं, जिससे ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच सीमित हो जाती है।
    • क्रॉसपैथी उन दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा की पहुँच में सुधार करती है जहाँ एलोपैथिक डॉक्टरों की कमी है, तथा यह ग्रामीण मरीजों के लिये किफायती विकल्प उपलब्ध कराती है जो विशेषज्ञों या शहरी सुविधाओं तक नहीं पहुँच पाते हैं।
    • खराब कार्य परिस्थितियों और कम पारिश्रमिक MBBS डॉक्टरों को ग्रामीण क्षेत्रों में नौकरी करने से प्रतिबंधित करते हैं।

भारत में क्रॉसपैथी के संबंध में क्या चिंताएँ हैं?

  • IMA की चिंताएँ: IMA ने महाराष्ट्र FDA के नवीनतम निर्देश की आलोचना करते हुए तर्क दिया कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) अधिनियम, 2019 आयुष डॉक्टरों को एलोपैथी का अभ्यास करने के लिये अधिकृत नहीं करता है।
    • महाराष्ट्र का निर्णय राष्ट्रीय नीतियों के विपरीत है, क्योंकि केंद्रीय होम्योपैथी परिषद भी होम्योपैथों को एलोपैथी पद्धति से उपचार करने की अनुमति नहीं देती है। 
    • IMA का कहना है कि इस तरह की प्रथाएँ मरीजों की सुरक्षा के लिये हानिकारक होंगी तथा इससे लापरवाही या कदाचार की संभावना बढ़ सकती है।
    • IMA का तर्क है कि यह "क्रॉसपैथी" को बढ़ावा देता है, तथा चिकित्सा योग्यताओं और विशेषज्ञताओं की अखंडता को कमज़ोर करता है।
  • देखभाल की गुणवत्ता: इससे स्वास्थ्य सेवा के मानक से समझौता होता है, क्योंकि आयुष चिकित्सकों के पास आधुनिक चिकित्सा में औपचारिक प्रशिक्षण का अभाव है।
  • अस्पताल की कार्यप्रणाली: यह निर्देश आयुष डॉक्टरों को एलोपैथिक भूमिकाओं में नियुक्त करने को प्रोत्साहित करता है, जो चिकित्सा नैतिकता का उल्लंघन है और बैचलर ऑफ मेडिसिन और बैचलर ऑफ सर्जरी (MBBS) या आधुनिक चिकित्सा डॉक्टरों के लिये रोज़गार के अवसरों को कम करने में योगदान देता है।

भारतीय चिकित्सा संघ (IMA)

  • वर्ष 1928 में स्थापित IMA भारत में डॉक्टरों के लिये सबसे बड़ा स्वैच्छिक संगठन है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा में सुधार और चिकित्सा पेशे की गरिमा की रक्षा पर केंद्रित है।
  • IMA का मुख्यालय नई दिल्ली में है, जो स्वास्थ्य नीतियों को आकार देने और राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों के आयोजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

आगे की राह

  • GP प्रणाली को मज़बूत करना: वैकल्पिक चिकित्सा चिकित्सकों को एकीकृत करने के बजाय, ग्रामीण क्षेत्रों में प्रोत्साहन और कार्य स्थितियों में सुधार करके, वंचित क्षेत्रों में MBBS डॉक्टरों को आकर्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
    • मध्य-स्तरीय स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिये विशेषज्ञ प्रशिक्षण अनिवार्य करके भारत की जनरल प्रैक्टिस (GP) प्रणाली को मज़बूत करना।
  • आयुष और एलोपैथी का विनियमन: सरकार को आयुष चिकित्सकों के लिये एलोपैथिक डॉक्टरों के साथ काम करने हेतु एक विनियमित ढाँचा बनाना चाहिये, जिसमें उनकी भूमिका स्पष्ट रूप से परिभाषित हो। 
    • उन्हें चिकित्सा नियामक निकायों की देखरेख में एलोपैथिक दवाओं को सुरक्षित रूप से निर्धारित करने के लिये आधुनिक चिकित्सा, विशेषकर फार्माकोलॉजी में अतिरिक्त प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा।
  • टेलीमेडिसिन को बढ़ावा देना: टेलीमेडिसिन (ई-संजीवनी) सुरक्षा से समझौता किये बिना प्रौद्योगिकी के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करके ग्रामीण रोगियों और शहरी विशेषज्ञों के बीच अंतर को कम कर सकती है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: क्रॉसपैथी को परिभाषित कीजिये और रोगी सुरक्षा पर इसके प्रभाव की व्याख्या कीजिये। भारत में क्रॉस-सिस्टम चिकित्सा को नियंत्रित करने वाले कानूनी उदाहरणों और विनियमों पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स

प्रश्न. भैषजिक कंपनियों के द्वारा आयुर्विज्ञान के पारंपरिक ज्ञान को पेटेंट कराने से भारत सरकार किस प्रकार रक्षा कर रही है? (2019) (2019)

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