COVID-19 टेस्टिंग किट | 28 Mar 2020
प्रीलिम्स के लियेCOVID-19 टेस्टिंग किट मेन्स के लियेस्वास्थ्य क्षेत्र पर COVID-19 का प्रभाव, स्वास्थ्य सेवाओं में तकनीकी का प्रयोग |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पुणे स्थित स्वास्थ्य क्षेत्र की एक निजी कंपनी मायलैब (MyLab) को COVID-19 परीक्षण के लिये टेस्टिंग किट बनाने की मंज़ूरी दे दी गई है।
मुख्य बिंदु:
- मायलैब (MyLab) भारत का पहला स्थानीय/स्वदेशी निर्माता है, जिसे COVID-19 के परीक्षण के लिये टेस्टिंग किट बनाने की अनुमति दी गई है।
- मायलैब प्रबंध निदेशक के अनुसार, ‘मेक इन इंडिया’ पहल को ध्यान में रखते हुए COVID-19 टेस्टिंग किट को स्थानीय तथा केंद्र सरकार के सहयोग से तैयार किया गया है।
- साथ ही इस किट के निर्माण में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) और रोग नियंत्रण एवं निवारण केंद्र (Centers for Disease Control and Prevention -CDC) द्वारा निर्धारित आवश्यक दिशा निर्देशों का भी ध्यान रखा गया है।
- इस टेस्टिंग किट का पूरा नाम ‘मायलैब पैथोडिटेक्ट COVID-19 क्वांटिटेटिव पीसीआर किट’ (Mylab PathoDetect Covid-19 qualitative PCR kit) है।
- मायलैब प्रबंध निदेशक के अनुसार, निजी प्रयोगशालों द्वारा COVID-19 परीक्षण के लिये आवश्यक दिशा-निर्देश कंपनी द्वारा जारी कर दिये हैं और अभी तक 12 निजी प्रयोगशालों ने पंजीकरण कराकर काम करना शुरू कर दिया है।
- वर्तमान में मायलैब से जुड़ी इन प्रयोगशालाओं के पास पूरे भारत में 15,000 संग्रह केंद्रों पर COVID-19 के नमूने लेने की व्यवस्था है। अन्य प्रयोगशालाओं के पंजीकरण के साथ संग्रह केंद्रों की संख्या में भी वृद्धि होगी।
- मायलैब प्रबंध निदेशक के अनुसार, ‘भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद’ (Indian Council of Medical Research-ICMR) नेटवर्क के तहत 111 प्रयोगशालाओं के माध्यम से सरकार के पास एक दिन में 10,000 से अधिक नमूनों की जाँच करने की क्षमता है।
टेस्टिंग किट बनाने की अनुमति के लिये आवश्यक प्रक्रिया:
- हालाँकि COVID-19 के परीक्षण के लिये भारत अधिकांशतः विदेशी कंपनियों पर निर्भर रहा है, परंतु हाल ही में कई स्थानीय कंपनियों ने टेस्टिंग किट बनाने की अनुमति के लिये ‘राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान’ (National Institute Of Virology) में आवेदन किया था।
- ICMR के लिखित दिशा-निर्देशों के तहत देश में उन्हीं कंपनियों की टेस्टिंग किट को COVID-19 के व्यावसायिक परीक्षण की अनुमति दी जाती है जिन्हें या तो ‘यू.एस. फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन’ (US Food and Drug Administration- USFDA) की अनुमति प्राप्त हो या यूरोपीय संघ द्वारा प्रमाणित किया गया हो।
- परंतु, 23 मार्च, 2020 को ICMR द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, वर्तमान में यदि किसी टेस्टिंग किट को ‘राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान’ की स्वीकृति प्राप्त है तो उन्हें USFDA या यूरोपीय संघ की अनुमति के बिना भी बनाने की अनुमति दी जा सकती है।
कैसे काम करती है यह टेस्टिंग किट?
- मायलैब के प्रतिनिधि के अनुसार, इस परीक्षण में कोरोनावायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिये संक्रमित व्यक्ति में वायरस के RNA की पहचान की जाती है।
- किसी व्यक्ति की अंगुलियों की छाप (Fingerprints) की तरह ही हर वायरस के RNA की एक विशिष्ट पहचान होती है।
- इस टेस्ट में ‘रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन’ (Reverse Transcription Polymerase Chain Reaction- RTPCR) तकनीक का प्रयोग किया जाता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुझाव के अनुसार, किसी व्यक्ति के कोरोनावायरस से संक्रमित होने की पुष्टि के लिये कम-से-कम दो RNA फिंगरप्रिंट की पहचान की जानी चाहिये।
- साथ ही इस परीक्षण के दौरान व्यक्ति में वायरस के प्रति कुछ अन्य प्रतिक्रियाओं की भी जाँच की जाती है।
- मायलैब के अनुसार, इस टेस्टिंग किट के माध्यम से मात्र 2.5 घंटों में ही परीक्षण के परिणाम जाने जा सकते हैं।
टेस्टिंग किट के लाभ:
- वर्तमान में विश्व के किसी भी देश में COVID-19 के प्रमाणिक उपचार की की खोज नही की जा सकी है, ऐसे में इस बीमारी के नियंत्रण का एक ही विकल्प इसके प्रसार को रोकना है। इस टेस्टिंग किट के माध्यम से कम समय में ही संक्रमित व्यक्तियों की पहचान कर COVID-19 के प्रसार को रोकने में सहायता प्राप्त होगी।
- इस टेस्टिंग किट के परीक्षण के दौरान सभी प्रयासों में 100% सही परिणाम प्राप्त हुए, जो इस किट की विश्वसनीयता को सिद्ध/ प्रमाणित करता है।
- वर्तमान में COVID-19 से बीमार हो रहे लोगों के अतिरिक्त अन्य स्वस्थ नागरिकों और प्रशासन के लिये यह महामारी एक गंभीर मानसिक तनाव/दबाव का कारण बनी है, ऐसी स्थिति में स्थानीय टेस्टिंग किट के निर्माण जैसी छोटी सफलता से भी इस बीमारी से लड़ने में नागरिकों, स्वास्थ्य कर्मियों तथा सरकार का मनोबल मज़बूत होगा।
चुनौतियाँ:
- हालाँकि इस टेस्टिंग किट की लागत (लगभग 1,200 रुपए) पहले से उपलब्ध अन्य विकल्पों से कम है परंतु अभी भी बहुत से लोग बिना किसी आर्थिक सहायता के पूरे परिवार के लिये इस परीक्षण को नहीं ले पाएंगे।
- हाल के दिनों में देश में COVID-19 से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ी है ऐसे में यह अति आवश्यक है कि शीघ्र ही अधिक-से-अधिक संक्रमित लोगों की पहचान की जाए। परंतु किट के निर्माताओं के लिये सरकार के सहयोग के बाद भी कम समय में बड़ी मात्रा में लोगों के लिये किट उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती होगी।
COVID-19 की चुनौती से निपटने के अन्य प्रयास:
- पिछले कुछ दिनों में COVID-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा अन्य प्रयासों के साथ इस रोग के प्रसार की निगरानी करने व सुदूर क्षेत्रों में काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों को जागरूक और प्रशिक्षित करने के लिये तकनीक की सहायता लेने का निर्णय लिया है।
स्वास्थ्य कर्मियों के लिये वेबिनार:
- इस प्रयास के तहत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से एक वेबिनार (Webinar) प्लेटफॉर्म शुरू किया गया है। वेबिनार को आसान शब्दों में ऑनलाइन सेमिनार या इंटरनेट आधारित सेमिनार के रूप में समझा जा सकता है।
- इस वेबिनार के माध्यम से ज़मीनी स्तर पर कार्य कर रहे चिकित्सा-सहायकों, नर्सों, आशा और आगनवाड़ी कार्यकर्ताओं आदि को प्रतिदिन एम्स के डॉक्टरों COVID-19 के संदर्भ में आवश्यक जानकारी दी जाएगी।
- इस पहल के तहत COVID-19 के संदर्भ में स्थानीय भाषा के माध्यम से ज्यादातर लोगों तक जागरूकता फैलाने के लिये राज्य सरकारों का भी सहयोग लिया जायेगा।
- इसके साथ ही इस पहल के तहत ‘इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय’ (Ministry of Electronics and Information Technology) के सहयोग से फेसबुक और वाट्सएप पर चैटबॉक्स (Chatbox) की शुरुआत की जाएगी और इन वेबिनार कार्यक्रमों को फेसबुक, वाट्सएप और यूट्यूब आदि के माध्यम से भी प्रसारित किया जाएगा।
कोरोना कवच:
- ‘इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय’ (Ministry of Electronics and Information Technology) के सहयोग से कोरोनावायरस के प्रसार की निगरानी करने के लिये एक एप का निर्माण किया गया है।
- यह एप फोन में इंस्टाल करने के बाद फोन के ब्लूटूथ और लोकेशन की सहायता से संक्रमण के संभावित प्रसार की चेतावनी दे सकता है।
- वर्तमान में इस एप को अस्थायी रूप से ‘कोरोना कवच’ का नाम दिया गया है।
- वर्तमान में ऐसे ही एक एप का प्रयोग सिंगापुर (Singapore) में किया जा रहा है।
कैसे काम करता है यह एप?
- यह एप फोन के ब्लूटूथ के माध्यम से किसी स्थान पर व्यक्ति से 3-5 मीटर की दूरी पर स्थित सभी लोगों के आँकड़े सुरक्षित रखता है। शुरुआत में इस एप में एक हरे रंग का सांकेतिक चिन्ह होगा।
- यदि कोई व्यक्ति कोरोना से संक्रमित पाया जाता है तो उसकी जानकरी लैब में दर्ज की जाएगी, संक्रमण की पुष्टि होने पर एप में सांकेतिक चिन्ह का रंग लाल (Red) हो जाएगा।
- एप से प्राप्त जानकारी के आधार पर पिछले 14 दिनों में संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए सभी लोगों को सूचित कर दिया जाएगा और उनके एप में सांकेतिक चिन्ह का रंग पीला (Yellow) हो जाएगा।
- साथ ही उन्हें यह भी निर्देश दिया जाएगा कि वे अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और अगले 14 दिनों तक किसी अन्य व्यक्ति के संपर्क में न आए।
COVID-19 की जागरूकता के लिये वाट्सएप का प्रयोग:
- COVID-19 के बारे में सही जानकारी प्रदान करने और गलत सूचनाओं/समाचारों (Fake News) से निपटने के लिए प्रधानमंत्री ने हाल ही में एक वाट्सएप नंबर जारी किया है।
- इस सेवा का लाभ लेने के लिये व्यक्ति को सरकार द्वारा जारी नंबर (9013151515) पर एक ‘Hi’ लिखकर भेजना होगा।
- यह सेवा वर्तमान में हिंदी, अंग्रेजी और गुजराती भाषा में उपलब्ध है। साथ ही इसे मराठी में उपलब्ध कराने की तैयारी भी पूरी कर ली गई है।
- केरल और कर्नाटक की राज्य सरकारें भी इस सेवा को स्थानीय भाषा में जारी करने के लिये सहयोग कर रही हैं।
- इस सेवा को दो अन्य नंबरों पर जारी करने की तैयारी की जा रही है।
चिकित्सा केंद्रों की ज़रूरतों के लिये मैप आधारित पोर्टल:
- केंद्र सरकार ने COVID-19 के कारण चिकित्सा उपकरणों और अन्य आवश्यक ज़रूरतों को पूरा करने के लिये एक पोर्टल की शुरुआत करने पर कार्य शुरू कर दिया है।
- इस पोर्टल का उद्देश्य अस्पतालों और वे लोग जो सहायता प्रदान करने की इच्छा रखते हों के बीच आसानी से संपर्क स्थापित कराना है।
- इस योजना के तहत स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा विभिन्न अस्पतालों की ज़रूरतों के आँकड़े एक सिस्टम में दर्ज किये जाएँगे।
- ‘इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय’ के सहयोग से एक पोर्टल तैयार किया जाएगा जिसमें मानचित्र की सहायता से किसी क्षेत्र विशेष में स्थित सभी अस्पतालों और उनकी ज़रूरतों का आँकड़ा जारी किया जा सकेगा।
- इस पोर्टल की सहायता से इच्छुक व्यक्ति या संस्थाएँ अस्पतालों के लिये आवश्यक वस्तुएँ उपलब्ध करा सकेंगे।
स्रोत: द हिंदू