निजी प्रयोगशालाओं में COVID-19 परीक्षण | 09 Apr 2020
प्रीलिम्स के लियेCOVID-19 मेन्स के लियेCOVID-19 परीक्षण में निजी क्षेत्र की भूमिका |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को एक ऐसा तंत्र विकसित करने के आदेश दिये हैं जिसमें COVID-19 परीक्षणों का संचालन करने वाली निजी प्रयोगशालाएँ सार्वजनिक प्रयोगशालाओं से अधिक शुल्क न लें, साथ ही प्रयोगशालाओं द्वारा लिये जाने वाले शुल्क की प्रतिपूर्ति (Reimbursement) की व्यवस्था हो।
प्रमुख बिंदु
- इससे पूर्व केंद्र सरकार ने जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. रवींद्र भट की खंडपीठ से कहा था कि शुरुआत में 118 प्रयोगशालाओं द्वारा 15,000 परीक्षण प्रति दिन किये जा रहे थे और बाद में इस क्षमता को बढ़ाने के लिये 47 निजी प्रयोगशालाओं को COVID-19 परीक्षणों का संचालन करने की अनुमति दी गई थी।
- ध्यातव्य है कि वकील शशांक देव सुधी ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर करते हुए मांग की थी कि न्यायालय केंद्र सरकार को सभी नागरिकों के लिये मुफ्त परीक्षण करने के निर्देश दे, ताकि वे लोग भी अपने परीक्षण करा सकें जो इस खर्चे को वहन नहीं कर सकते।
- इस मामले में केंद्र सरकार का नेतृत्त्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुसार, यह एक विकासशील तथा गतिशील स्थिति है और सरकार के लिये इस स्थिति में यह अनुमान लगाना अपेक्षाकृत कठिन है कि हमें कितनी प्रयोगशालाओं की आवश्यकता है तथा कब तक है?
प्रतिपूर्ति के लिये तंत्र
- न्यायपीठ ने सुझाव दिया है कि केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करे कि निजी प्रयोगशालाएँ परीक्षण के लिये अधिक शुल्क न लें, साथ ही सरकार परीक्षणों हेतु लिये जाने वाले शुल्क की प्रतिपूर्ति के लिये एक तंत्र विकसित करे।
- याचिकाकर्त्ता ने देश भर में बढ़ती मृत्यु दर (Mortality Rate) और रुग्णता दर (Morbidity Rate) को देखते हुए COVID-19 की परीक्षण सुविधाओं हेतु जल्द-से-जल्द निर्देश देने की मांग की थी।
- याचिका में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की 17 मार्च की सलाह (Advisory) पर प्रश्नचिह्न लगाया गया है, जिसमें निजी अस्पतालों या प्रयोगशालाओं में COVID-19 के परीक्षण का शुल्क 4,500 रुपए निर्धारित किया गया था, इसमें स्क्रीनिंग और पुष्टिकरण परीक्षण भी शामिल हैं।
- सरकारी अस्पताल और प्रयोगशालाओं में आम नागरिकों के लिये खुद का परीक्षण करवाना अपेक्षाकृत काफी कठिन है और किसी विशिष्ट विकल्प के अभाव में लोग निजी अस्पताल और प्रयोगशालाओं को परीक्षण के लिये भुगतान करने को विवश हैं।
- उल्लेखनीय है कि देश में एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो इस शुल्क का भुगतान करने में समर्थ नहीं है, किंतु यह वर्ग COVID-19 के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील है। इसके अलावा देश भर में लागू किये गए 21-दिवसीय लॉकडाउन के कारण आम नागरिकों की दुर्दशा के प्रति अधिकारी पूर्ण रूप से असंवेदनशील और उदासीन हैं।
- याचिका के अनुसार, निजी अस्पतालों और प्रयोगशालाओं में COVID-19 के परीक्षण हेतु कीमत निर्धारित करने का निर्णय संविधान के अनुच्छेद-14 के तहत अनुचित है।
- साथ ही याचिका में यह भी मांग की गई है कि COVID-19 से संबंधित सभी परीक्षण राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories-NABL) या ICMR द्वारा मान्यता प्राप्त पैथोलॉजिकल लैब के तहत किये जाएं।
कोरोनावायरस महामारी
- COVID-19 वायरस मौजूदा समय में भारत समेत दुनिया भर में स्वास्थ्य और जीवन के लिये गंभीर चुनौती बना हुआ है। अब यह वायरस संपूर्ण विश्व में फैल गया है।
- WHO के अनुसार, COVID-19 में CO का तात्पर्य कोरोना से है, जबकि VI विषाणु को, D बीमारी को तथा संख्या 19 वर्ष 2019 (बीमारी के पता चलने का वर्ष ) को चिह्नित करता है।
- कोरोनावायरस (COVID -19) का प्रकोप तब सामने आया जब 31 दिसंबर, 2019 को चीन के हुबेई प्रांत के वुहान शहर में अज्ञात कारण से निमोनिया के मामलों में हुई अत्यधिक वृद्धि के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन को सूचित किया गया।
- कोरोनावायरस मौजूदा समय में विश्व के समक्ष एक गंभीर चुनौती बन गया है और दुनिया भर में इसके कारण अब तक 88000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है और तकरीबन 14 लाख लोग इसकी चपेट में हैं।
- भारत में भी स्थिति काफी गंभीर है और इस खतरनाक वायरस के कारण अब तक देश में 166 लोगों की मृत्यु हो चुकी है तथा देश में 5700 से अधिक लोग इसकी चपेट में हैं।
राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड
(National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories-NABL)
- NABL भारत की गुणवत्ता परिषद का एक सांविधिक बोर्ड है।
- NABL को सरकार, उद्योग संघों और उद्योग को अनुरूपता मूल्यांकन निकाय की मान्यता प्रदान करने की योजना के साथ स्थापित किया गया है। जिसमें चिकित्सा और अंशांकन प्रयोगशालाओं, प्रवीणता परीक्षण प्रदाताओं और संदर्भ सामग्री उत्पादकों सहित परीक्षण की तकनीकी क्षमता का तृतीय-पक्ष मूल्यांकन शामिल है।
स्रोत: द हिंदू