अफगानिस्तान में COVID-19 मामलों में वृद्धि | 07 May 2020
प्रीलिम्स के लियेअंतर्राष्ट्रीय प्रवासी संगठन, ‘डिस्प्लेस्मेंट ट्रैकिंग मैट्रिक्स, COVID-19 मेन्स के लियेस्वास्थ्य क्षेत्र पर COVID-19 का प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी संगठन’ (International Organisation for Migration-IOM) ने अफगानिस्तान में COVID-19 के बढ़ते मामलों पर चिंता ज़ाहिर की है। IOM के अनुमान के अनुसार, अफगानिस्तान में COVID-19 संक्रमण की दर विश्व में सबसे अधिक हो सकती है।
मुख्य बिंदु:
- 5, मई 2020 तक अफगानिस्तान में COVID-19 संक्रमण के कुल 2,900 मामलों की पुष्टि की गई थी, जबकि इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 90 बताई गई थी।
- IOM के अनुसार, अफगानिस्तान में COVID-19 के नियंत्रण हेतु किसी तात्कालिक प्रभावी प्रतिक्रिया के अभाव में देश की लगभग 80% तक की आबादी इस संक्रामक बीमारी की चपेट में आ सकती है।
- IOM के अनुसार, हाल ही में लगभग 50-70 लाख की आबादी वाले काबुल शहर में 500 लोगों से लिये गये अनियमित/यादृच्छिक नमूनों (Randomised Sample) में से लगभग 50% COVID-19 से संक्रमित पाए गए थे।
- COVID-19 महामारी के कारण हाल ही में पड़ोसी देशों पाकिस्तान और ईरान से लगभग 2,71,000 से अधिक अफगान नागरिकों के लौटने से अफगानिस्तान प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है।
कमज़ोर स्वास्थ्य व्यवस्था और COVID-19:
- पिछले तीन महीनों के दौरान देश के विभिन्न क्षेत्रों में सुरक्षा के अभाव और गैर-सरकारी नियंत्रण वाले क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की नियमित पहुँच न होने के कारण देश के लगभग 30% हिस्से में COVID-19 परीक्षण नहीं किये जा सके हैं।
- अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर COVID-19 परीक्षण करने की क्षमता का न होना भी एक बड़ी चुनौती है, जनवरी, 2020 में देश में स्थापित 8 परीक्षण केंद्रों में प्रत्येक पर एक दिन में मात्र 100-150 परीक्षण किये जा सकते हैं।
- अफगानिस्तान में COVID-19 टेस्टिंग किट और प्रशिक्षित लैब टेक्नीशियनों की कमी के साथ गंभीर रूप से बीमार लोगों का उपचार करने के लिये आवश्यक संसाधन बहुत ही सीमित हैं।
- अफगानिस्तान में पुरुषों और महिलाओं के लिये अनुमानित जीवनकाल या जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) मात्र 50 वर्ष है, जिसमें से एक बड़ी आबादी पहले से ही तपेदिक, एचआईवी-एड्स (HIV-AIDS), कुपोषण, कैंसर और हृदय और फेफड़ों के रोग आदि गंभीर बीमारियों से ग्रस्त है।
- पर्यावरण प्रदूषण भी लोगों के गिरते स्वास्थ्य का एक बड़ा कारण रहा है।
COVID-19 के नियंत्रण में चुनौतियाँ:
- देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के कारण आवाजाही पर प्रतिबंध और क्वारंटीन जैसे प्रयासों के परिणाम भी सीमित रहे हैं।
- देश की एक बड़ी आबादी बगैर रोज़गार के कुछ दिनों से अधिक अपने परिवार का भरण-पोषण नहीं कर सकती, ऐसे में दो सप्ताह के बाद ही रोज़गार के लिये लोगों ने पुनः ईरान जाना प्रारंभ कर दिया।
- IOM के अनुसार, अफगानिस्तान में, जहाँ एक परिवार में औसतन 7 लोग रहते हैं, वहाँ सोशल डिस्टेंसिंग जैसे प्रयासों की सफलता बहुत ही अव्यावहारिक है। साथ ही इनमें से अधिकांश परिवार बहुत ही छोटे, एक कमरों वाले बिना व्यवस्थित वायु-प्रबंधन के घरों में रहते हैं।
- देश में COVID-19 के संदर्भ में जागरूकता का अभाव इस बीमारी से लड़ने में एक बड़ी समस्या बन गई है, हाल ही में कुछ गैर-सरकारी संगठनों द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 60% लोगों को COVID-19 के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
तालिबान समस्या और राजनीतिक अस्थिरता:
- वर्ष 1990 में तालिबान के उदय के साथ ही अफगानिस्तान में एक ऐसी अंतहीन अशांति की शुरुआत हुई जी आज तक जारी है।
- 29 फरवरी, 2020 को तालिबान और अमेरिका के बीच एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये गए, हालाँकि अभी तक इसके बहुत सकारात्मक परिणाम देखने को नहीं मिले हैं।
- अफगानिस्तान की आतंरिक राजनीति उस समय और अस्थिर हो गई जब मार्च 2020 में चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनके प्रतिद्वंदी अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने अलग-अलग समारोहों में राष्ट्रपति की शपथ ली और अपने को देश का वास्तविक राष्ट्रपति बताया था।
- वर्तमान में वैश्विक मंचों पर अशरफ गनी को ही राष्ट्रपति के रूप में मान्यता प्राप्त है परंतु इससे अफगानिस्तान की स्थानीय शांति एवं शासन व्यवस्था प्रभावित हुई है।
- विश्व बैंक (World Bank) के आँकड़ों के अनुसार, अफगानिस्तान में सेना और तालिबान के बीच संघर्ष के कारण वर्ष 2019 में आतंरिक रूप से विस्थापित लोगों की संख्या 3,69,700 (वर्ष 2018) से बढ़कर 400,000 (वर्ष 2019) तक पहुँच गई थी।
- वर्ष 2019 में अफगानिस्तान की जीडीपी वृद्धि दर मात्र 2.9% रही थी, परंतु COVID-19 के कारण इसमें काफी गिरावट देखी जा सकती है।
COVID-19 नियंत्रण के प्रयास:
- IOM के अनुसार इन कठिन चुनौतियों के बावज़ूद भी अफगानिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) के सहयोग से स्वास्थ्य कर्मियों और मोबाइल स्वास्थ्य टीम आदि के द्वारा COVID-19 के नियंत्रण का प्रयास किया जा रहा है।
- यदि शारीरिक तापमान और अन्य जाँच में किसी व्यक्ति के COVID-19 संक्रमित होने की संभावना होती है तो उसे IOM की एम्बुलेंस से नज़दीकी आइसोलेशन केंद्र (Isolation facility) पर भेज दिया जाता है। साथ ही यही प्रक्रिया ‘प्रवासी पारगमन केंद्रों’ (Migrant Transit Centres) पर भी अपनाई जा रही है।
- IOM द्वारा स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण और अन्य चिकित्सीय आपूर्ति मुहैया कराई जा रही है, साथ ही ‘डिस्प्लेस्मेंट ट्रैकिंग मैट्रिक्स’ (Displacement Tracking Matrix) के माध्यम से 25 प्रांतों और लगभग 10,000 समुदायों में आवश्यक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।
‘डिस्प्लेस्मेंट ट्रैकिंग मैट्रिक्स’
(Displacement Tracking Matrix- DTM):
- ‘डिस्प्लेस्मेंट ट्रैकिंग मैट्रिक्स’ DTM, किसी आबादी की गतिशीलता या विस्थापन की निगरानी के लिये प्रयोग की जाने वाली एक प्रणाली है।
- इसमें नियमित रूप से और एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत किसी समूह के विस्थापन के मार्ग, समूह के खतरों और आवश्यकताओं की जानकारी एकत्र कर उसकी समीक्षा की जाती है, जिससे नीति निर्माताओं या अन्य सहयोगियों द्वारा ऐसे समूहों को बेहतर और लक्षित सहायता उपलब्ध कराई जा सके।
- इस प्रणाली की अवधारणा वर्ष 2004 में इराक में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (Internally displaced people- IDPs) की जानकारी जुटाने के लिये की गई थी।
- IOM अफगानिस्तान की सीमा पर स्थित प्रवेश केंद्रों पर स्वास्थ्य मंत्रालय, WHO और ‘संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त’ (United Nations High Commissioner for Refugees-UNHCR) के साथ समन्वय में सहयोग प्रदान कर रहा है।
- IOM के अफगानिस्तान कार्यालय द्वारा प्रतिवर्ष ईरान से बिना पूरे प्रमाणिक कागज़ों के लौट रहे लाखों अफगानिस्तानियों को मानवीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है, वर्ष 2020 में अब तक IOM ने अपने ट्रांज़िट केंद्रों के माध्यम से 30,000 से अधिक लोगों को सहायता उपलब्ध कराई गई है।
- IOM ने अफगानिस्तान में COVID-19 के विरुद्ध अपने प्रयासों को तेज़ करने के लिये सहयोगियों से 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अतिरिक्त आर्थिक सहायता की मांग की है।
भारत द्वारा दी गई सहायता:
- COVID-19 से निपटने में ‘दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन’ (South Asian Association for Regional Cooperation- SAARC) के देशों में आपसी सहयोग बढ़ाने के लिये मार्च 2020 में भारतीय प्रधानमंत्री की पहल पर ‘सार्क COVID- 19 आपातकालीन निधि’ की स्थापना की गई थी।
- साथ ही भारत सरकार ने 12 अप्रैल, 2020 को अफगानिस्तान को 5,022 मीट्रिक टन गेहूँ (कुल प्रस्तावित 75000 टन) और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की 5,00,000 टैबलेट आदि सहयोग उपलब्ध कराया था।