अंतर्राष्ट्रीय संबंध
सीमा शुल्क में सहयोग और पारस्परिक सहायता: भारत-स्पेन
- 07 Jan 2022
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प्रिलिम्स के लिये:सीमा शुल्क, यूरोपीय संघ, एफडीआई, स्पेन और इसके पड़ोसी, भारत-स्पेन पारस्परिक सहायता। मेन्स के लिये:यूरोपीय संघ में भारत-स्पेन संबंधों का महत्त्व और आगे का रास्ता। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सीमा शुल्क मामलों में सहयोग और पारस्परिक सहायता पर भारत एवं स्पेन के बीच एक समझौते को मंज़ूरी दी है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- यह दोनों देशों के सीमा शुल्क अधिकारियों के बीच सूचना साझा करने के लिये एक कानूनी ढाँचा है।
- यह सीमा शुल्क कानूनों के उचित प्रशासन और सीमा शुल्क अपराधों का पता लगाने तथा जाँच एवं वैध व्यापार की सुविधा में मदद करता है।
- प्रावधान:
- सीमा शुल्क का सही मूल्यांकन विशेष रूप से सीमा शुल्क, टैरिफ का वर्गीकरण और माल की उत्पत्ति के निर्धारण से संबंधित जानकारी।
- निम्नलिखित के अवैध संचलन से संबंधित सीमा शुल्क अपराध:
- हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक उपकरण।
- कला और प्राचीन वस्तुएँ, जो ऐतिहासिक, सांस्कृतिक या पुरातात्विक मूल्य की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं।
- पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये खतरनाक विषाक्त और अन्य पदार्थ।
- जो वस्तुएँ पर्याप्त सीमा शुल्क या करों के अधीन हैं।
- सीमा शुल्क कानून के खिलाफ सीमा शुल्क अपराध करने हेतु नियोजित नए साधन और तरीके।
- महत्त्व:
- यह सीमा शुल्क अपराधों की रोकथाम, जाँच और सीमा शुल्क अपराधियों को पकड़ने के लिये उपलब्ध, विश्वसनीय, त्वरित तथा लागत प्रभावी व खुफिया जानकारी उपलब्ध कराने में मदद करेगा।
भारत स्पेन संबंध
- परिचय:
- वर्ष 1956 में राजनयिक संबंधों की स्थापना के बाद से भारत और स्पेन के बीच संबंध सौहार्दपूर्ण रहे हैं। भारत के पहले राजदूत को वर्ष 1965 में नियुक्त किया गया था।
- किसी भारतीय राष्ट्राध्यक्ष द्वारा स्पेन की पहली राजकीय यात्रा तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा अप्रैल 2009 में की गई।
- JCEC (आर्थिक सहयोग पर संयुक्त आयोग) की बैठक का 11वाँ दौर जनवरी 2018 में मैड्रिड में आयोजित किया गया था।
- व्यापार और निवेश संबंधों को गति देने के लिये आर्थिक सहयोग पर भारत-स्पेन संयुक्त आयोग (JCEC) की स्थापना वर्ष 1972 के व्यापार और आर्थिक सहयोग समझौते के तहत की गई थी और तब से इसकी दस बार बैठक हो चुकी है।
- आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध:
- स्पेन यूरोपीय संघ में भारत का 7वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
- वर्ष 2018 (जनवरी-दिसंबर) में द्विपक्षीय व्यापार 6.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जो एक वर्ष पहले की समान अवधि की तुलना में 8.68% अधिक है।
- भारत का निर्यात 8.49% बढ़ा और 4.74 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जबकि आयात 8.49% बढ़ा और 1.571.39 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
- स्पेन को भारतीय निर्यात में जैविक रसायन, कपड़ा और वस्त्र, लोहा व इस्पात उत्पाद, मोटर वाहन घटक, समुद्री उत्पाद तथा चमड़े के सामान शामिल हैं।
- स्पेन भारत में 1.43 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जनवरी 2000 में) के संचयी एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) स्टॉक के साथ 15वाँ सबसे बड़ा निवेशक है, जो ज़्यादातर बुनियादी ढाँचे, नवीकरणीय ऊर्जा, ऑटोमोबाइल, पानी के विलवणीकरण और एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र में किया गया है।
- सांस्कृतिक और शैक्षणिक संबंध:
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान भारत-स्पेन द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। वर्ष 2003 में ‘कासा डे ला इंडिया’ (होमस्टेड) की स्थापना संस्कृति, शिक्षा, सहयोग और उद्यम के क्षेत्र में भारत व स्पेन के संबंधों को बढ़ावा देने हेतु एक मंच के रूप में की गई थी।
- ‘भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद’ (ICCR) द्वारा प्रायोजित प्रदर्शनियाँ 'भारत के धर्म' और 'भारत की धाराएँ' भी वर्ष 2015 में विभिन्न स्पेनिश शहरों में आयोजित की गईं।
- पहले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून, 2015) में प्रतिष्ठित ‘प्लाज़ा डे कोलन’ में एक मेगा मास्टर क्लास में 1200 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया था, जिसके बाद एक योग सम्मेलन भी आयोजित हुआ था।
- ‘भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद’, ‘कासा डे ला इंडिया’ और भारत के दूतावास के समर्थन से 'फ्लेमेंको इंडिया' शीर्षक से एक इंडो-स्पैनिश थिएटर शुरू किया गया है।
- भारतीय प्रवासी:
- भारतीय समुदाय स्पेन की अप्रवासी आबादी का एक बहुत ही छोटा हिस्सा है।
- एशियाई समुदायों में भारतीय प्रवासी चीन और पाकिस्तान के समुदायों के बाद तीसरा सबसे बड़ा समूह है।
- स्पेन में सबसे पहले बसने वाले भारतीय सिंधी लोग थे, जो 19वीं शताब्दी के अंत में उपमहाद्वीप से आए थे और कैनरी द्वीप समूह में बस गए थे।
- स्पेन के आँकड़ों के अनुसार, स्पेन में भारतीय जनसंख्या वर्ष 2001 के 9000 से बढ़कर वर्ष 2015 में 34,761 हो गई है।
- द्विपक्षीय समझौते:
- व्यापार और आर्थिक सहयोग पर समझौता (1972)
- सांस्कृतिक सहयोग पर समझौता (1982)
- नागरिक उड्डयन समझौता (1986)
- दोहरा कराधान परिहार समझौता (1993)
- द्विपक्षीय निवेश संरक्षण और सवर्द्धन समझौता (1997)
- प्रत्यर्पण संधि (2002)
- राजनीतिक संवाद के संस्थागतकरण पर समझौता ज्ञापन (2006)
आगे की राह
- अधिक विश्वास और सहयोग के साथ संबंधों को जारी रखने के लिये जिसके आधार पर स्पेन और भारत अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में घनिष्ठ सहयोगी बन सकते हैं, दोनों सरकारों को राजनीतिक, वाणिज्यिक और सांस्कृतिक संबंधों पर केंद्रित एक अधिक महत्त्वाकांक्षी और कल्पनाशील रणनीति हेतु प्रतिबद्ध होना चाहिये।
- पहलू जो तुलनात्मक लाभ उत्पन्न करने की संभावना प्रदान करते हैं उनपर बल देने की आवश्यकता है।
- स्पेन के साथ पर्यटन क्षेत्र में सहयोग भारतीय समकक्षों को अग्रणी विशेषज्ञता प्रदान करता है और दोनों देशों की प्रवासी लोगों की भूमिका को बढ़ाता है, विशेष रूप से स्पेन में अच्छी तरह से स्थापित भारतीय समुदाय, द्विपक्षीय साझेदारी के दो अतिरिक्त प्रमुख आयाम हैं।
- दोनों देशों के मध्य संबंध को यूरोपीय संघ और भारत के मध्य द्विपक्षीय संबंधों के ढांँचे द्वारा भी समर्थित होना चाहिये।