इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भूगोल

बादल फटना

  • 30 Jul 2021
  • 4 min read

प्रिलिम्स के लिये

फ्लैश फ्लड, लैंडस्लाइड

मेन्स के लिये

बादल फटने की घटनाएँ और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत में कई स्थानों पर बादल फटने की सूचना मिली है।

प्रमुख बिंदु

परिचय:

  • बादल फटना एक छोटे से क्षेत्र में छोटी अवधि की तीव्र वर्षा की घटना है।
  • यह लगभग 20-30 वर्ग किमी. के भौगोलिक क्षेत्र में 100 मिमी./घंटा से अधिक अप्रत्याशित वर्षा के साथ एक मौसमी घटना है।
  • भारतीय उपमहाद्वीप में आमतौर पर यह घटना तब घटित होती है जब मानसून उत्तर की ओर, बंगाल की खाड़ी या अरब सागर से मैदानी इलाकों में और फिर हिमालय की ओर बढ़ता है जो कभी-कभी प्रति घंटे 75 मिलीमीटर वर्षा करता है।

घटना:

  • सापेक्षिक आर्द्रता और मेघ आवरण, निम्न तापमान एवं धीमी हवाओं के साथ अधिकतम स्तर पर होता है, जिसके कारण बादल बहुत अधिक मात्रा में तीव्र गति से संघनित होते हैं और इसके परिणामस्वरूप बादल फट सकते हैं।
  • जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, वातावरण अधिक-से-अधिक नमी धारण कर सकता है और यह नमी कम अवधि में बहुत तीव्र वर्षा (शायद आधे घंटे या एक घंटे लिये) का कारण बनती है, जिसके परिणामस्वरूप पहाड़ी क्षेत्रों में अचानक बाढ़ आती है और शहरों में शहरी बाढ़ आती हैं।

बादल फटना वर्षा से भिन्न कैसे?

  • वर्षा बादलों से गिरने वाला संघनित जल है, जबकि बादल फटना अचानक भारी वर्षा का होना है।
  • प्रति घंटे 100 मिमी. से अधिक वर्षा को बादल फटने के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • बादल फटना एक प्राकृतिक घटना है, लेकिन यह अप्रत्याशित रूप से और अचानक घटित होती है।

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:

  • कई अध्ययनों से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन से दुनिया भर के कई शहरों में बादल फटने की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि होगी।
    • मई 2021 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने उल्लेख किया था कि इस बात की 40% संभावना है कि आगामी पाँच वर्षों में वार्षिक औसत वैश्विक तापमान अस्थायी रूप से पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुँच जाएगा।
    • इसमें कहा गया है कि इस बात की 90 प्रतिशत संभावना है कि वर्ष 2021 और वर्ष 2025 के बीच कम-से-कम एक वर्ष ऐसा होगा जिसमें सबसे अधिक गर्मी रिकॉर्ड की जाएगी तथा वह वर्ष अब तक के सबसे गर्म वर्ष के रूप में वर्ष 2016 को प्रतिस्थापित कर देगा।
  • हिमालयी क्षेत्र में बादल फटने की सबसे अधिक घटनाएँ देखी जा रही हैं, क्योंकि हिमालयी क्षेत्र में दशकीय तापमान वृद्धि वैश्विक तापमान वृद्धि की दर से अधिक है।

बादल फटने का परिणाम:

पूर्वानुमान

  • वर्तमान में बादल फटने की घटना का अनुमान लगाने के लिये कोई तकनीक उपलब्ध नहीं है, क्योंकि ये घटनाएँ बहुत कम देखने को मिलती हैं।
  • बादल फटने की संभावना का पता लगाने के लिये अत्याधुनिक रडार के एक बेहतर नेटवर्क की आवश्यकता होती है, जो कि अपेक्षाकृत काफी महँगा है।
  • इससे भारी वर्षा की संभावना वाले क्षेत्रों में इसका पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। बादलों के फटने की घटना के अनुकूल क्षेत्रों और मौसम संबंधी स्थितियों की पहचान कर नुकसान से बचा जा सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2