लोकसभा में पारित हुआ नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 | 10 Jan 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 (Citizenship Amendment Bill 2016) जो नागरिकता अधिनियम, 1955 (Citizenship Act, 1955) में संशोधन करता है, लोकसभा में पारित हुआ।
- लोकसभा में यह विधेयक 19 जुलाई, 2016 को प्रस्तुत किया गया था और विधेयक के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से विचार करने तथा उस पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये 12 अगस्त, 2016 को यह विधेयक संसद की संयुक्त समिति को भेज दिया गया था।
विधेयक की प्रमुख विशेषताएँ
1. अवैध प्रवासियों की परिभाषा- नागरिकता अधिनियम, 1955 अवैध प्रवासियों के भारत की नागरिकता हासिल करने पर प्रतिबंध लगाता है, लेकिन नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 इस अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव करता है ताकि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए अवैध प्रवासियों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को भारत की नागरिकता प्रदान की जा सके।
- लेकिन इन अवैध प्रवासियों को उपरोक्त लाभ प्रदान करने लिये केंद्र सरकार को विदेशी अधिनियम, 1946 और पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 के तहत भी छूट प्रदान करनी होगी।
2. देशीयकरण द्वारा नागरिकता- 1955 का अधिनियम कुछ शर्तों (Qualification) को पूरा करने वाले किसी भी व्यक्ति को देशीयकरण द्वारा नागरिकता प्राप्ति के लिये आवेदन करने की अनुमति प्रदान करता है। लेकिन इस प्रकार नागरिकता प्राप्ति हेतु आवेदन करने के लिये यह अनिवार्य है कि नागरिकता के लिये आवेदन करने वाला व्यक्ति आवेदन करने से पहले एक निश्चित समयावधि से भारत में रह रहा हो अथवा केंद्र सरकार की नौकरी कर रहा हो और-
(i) नागरिकता के लिये आवेदन करने वाला व्यक्ति आवेदन की तिथि से 12 महीने पहले से भारत में रह रहा हो।
(ii) 12 महीने से पहले 14 वर्षों में से 11 वर्ष उसने भारत में बिताए हों।
लेकिन नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी तथा ईसाई प्रवासियों के लिये 11 वर्ष की शर्त को 6 वर्ष करने का प्रावधान करता है।
3. भारत के विदेशी नागरिकता (Overseas Citizenship of India-OCI) कार्डधारकों का पंजीकरण रद्द-
1955 के अधिनियम के अनुसार, केंद्र सरकार निम्नलिखित आधारों पर OCI के पंजीकरण को रद्द कर सकती है-
(i) यदि OCI ने धोखाधड़ी के ज़रिये पंजीकरण कराया हो।
(ii) यदि पंजीकरण कराने की तिथि से पाँच वर्ष की अवधि के अंदर OCI कार्डधारक को 2 वर्ष अथवा उससे अधिक समय के लिये कारावास की सजा सुनाई गई हो।
- नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 पंजीकरण रद्द करने के लिये एक और आधार जोड़ने का प्रावधान करता है। इस नए आधार के अनुसार, यदि OCI ने देश के किसी कानून का उल्लंघन किया हो तो उसका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।
नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 से संबंधित प्रमुख मुद्दे
क्या धर्म के आधार पर अंतर करना अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है?
- विधेयक के अनुसार, जो अवैध प्रवासी अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान के निर्दिष्ट अल्पसंख्यक समुदायों के हैं, उनके साथ अवैध प्रवासियों जैसा व्यवहार नहीं किया जाएगा। इन अल्पसंख्यक समुदायों में हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शामिल हैं। इसका तात्पर्य यह है कि इन देशों से आने वाले अवैध प्रवासी जिनका संबंध इन छः धर्मों से नहीं है, वे नागरिकता के लिये पात्र नहीं हैं।
- ऐसे में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि क्या यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद के तहत प्रदत्त समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है क्योंकि यह अवैध प्रवासियों के बीच उनके धर्म के आधार पर अंतर करता है।
- संविधान का अनुच्छेद 14 समानता की गारंटी देता है। लेकिन यह कानून को व्यक्ति अथवा समूहों के बीच अंतर करने की अनुमति देता है वह भी उस स्थिति में जब किसी उपयुक्त उद्देश्य को पूरा करने के लिये ऐसा करना तार्किक हो।
- नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 के उद्देश्यों तथा कारणों के वक्तव्य में अवैध प्रवासियों के बीच धर्म के आधार पर अंतर करने के पीछे के तर्क को स्पष्ट नहीं किया गया है।
OCI पंजीकरण को रद्द करने का नया आधार कितना उचित है?
- इस विधेयक के अनुसार, सरकार अब किसी भी उल्लंघन की स्थिति में OCI पंजीकरण को रद्द कर सकती है। इसमें हत्या जैसे गंभीर अपराध और ट्रैफिक कानून के उल्लंघन (जैसे नो पार्किंग ज़ोन में वाहन खड़ा करना या लाल बत्ती पार करना आदि) जैसे मामूली अपराध भी शामिल होंगे।
- ऐसी स्थिति में प्रश्न यह उठता है कि क्या मामूली उल्लंघनों के कारण OCI पंजीकरण रद्द होना चाहिये जिसके कारण भारत में रहने वाले किसी OCI को देश छोड़कर जाना पड़ सकता है।