शासन व्यवस्था
सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम, 2024
- 26 Mar 2024
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम, 2024, सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) अधिनियम, 2023, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC)। मेन्स के लिये:भारत में फिल्म उद्योग का विनियमन, भारतीय फिल्म बाज़ार और अर्थव्यवस्था के लिये इसका महत्त्व, वैश्विक फिल्म बाज़ार में भारत की प्रतिस्पर्द्धात्मकता। |
स्रोत: पी. आई. बी.
चर्चा में क्यों?
सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) अधिनियम, 2023 के अनुसरण में केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम, 1983 के स्थान पर सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम, 2024 को अधिसूचित किया है।
- सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) अधिनियम, 2023 ने सिनेमैटोग्राफ अधिनियम 1952 में संशोधन किया, जो भारत में फिल्मों के प्रमाणन, प्रदर्शन और सेंसरशिप को नियंत्रित करता है।
सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम, 2024 क्या हैं?
- उद्देश्य :
- नियमों का उद्देश्य प्रासंगिकता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिये फिल्म क्षेत्र में उभरती प्रौद्योगिकियों तथा प्रगति के साथ तालमेल बनाए रखना है।
- सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम, 2024 में मुख्य पहलू:
- ऑनलाइन प्रमाणन प्रक्रियाओं के साथ संरेखण:
- ऑनलाइन प्रमाणन प्रक्रियाओं को अपनाने के साथ इसे पूरी तरह से संरेखित करने हेतु नियमों में व्यापक संशोधन किया गया है, जो फिल्म उद्योग के लिये बढ़ी हुई पारदर्शिता, दक्षता और व्यापार सुगमता सुनिश्चित करेगा।
- प्रमाणन समय-सीमा में कमी:
- फिल्म प्रमाणन की प्रक्रिया के लिये समय-सीमा में कमी और काम करने के समय में लगने वाले विलंब को खत्म करने हेतु पूर्ण डिजिटल प्रक्रियाओं को अपनाना।
- फिल्मों के लिये अभिगम्यता सुविधाएँ:
- समय-समय पर इस संबंध में जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, फिल्मों/फीचर फिल्मों में प्रमाणन के लिये पहुँच संबंधी विशेषताएँ होनी चाहिये, ताकि इसमें दिव्यांगजनों को भी शामिल किया जा सके।
- आयु-आधारित प्रमाणीकरण का परिचय:
- मौजूदा UA (Universal Adult) श्रेणी को तीन श्रेणियों में उप-विभाजित करके प्रमाणन की आयु आधारित श्रेणियों को शुरू किया जा रहा है, यानी बारह वर्ष के बजाय सात वर्ष (UA 7+), तेरह वर्ष (UA 13+) और सोलह वर्ष (UA 16+)।
- ये आयु आधारित मार्कर केवल अनुशंसात्मक होंगे, जो माता-पिता या अभिभावकों हेतु इस बात पर विचार करने हेतु होंगे कि क्या उनके बच्चों को ऐसी फिल्म देखनी चाहिये। साथ ही यह सुनिश्चित करना कि युवा दर्शकों को आयु-उपयुक्त सामग्री उपलब्ध हो।
- उन्नत लिंग प्रतिनिधित्व:
- नियम केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) बोर्ड और सलाहकार पैनलों में महिलाओं के अधिक प्रतिनिधित्व को निर्धारित करते हैं, बोर्ड में एक-तिहाई सदस्य एवं अधिमानतः आधी महिलाएँ होंगी।
- फिल्मों की प्राथमिकता स्क्रीनिंग के लिये प्रणाली:
- प्रमाणन प्रक्रिया में तेज़ी लाने के लिये फिल्मों की प्राथमिकता स्क्रीनिंग का प्रावधान शुरू किया गया है, विशेषकर फिल्म रिलीज़ से संबंधित तत्काल प्रतिबद्धताओं का सामना करने वाले फिल्म निर्माताओं के लिये।
- प्रमाण-पत्रों की स्थायी वैधता:
- केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) द्वारा जारी प्रमाण-पत्रों की स्थायी वैधता सुनिश्चित करते हुए प्रमाण-पत्रों की वैधता पर केवल 10 वर्षों के लिये प्रतिबंध हटा दिया गया है।
- टेलीविज़न प्रसारण के लिये पुनः प्रमाणीकरण:
- टेलीविज़न प्रसारण हेतु संपादित फिल्मों के लिये पुन: प्रमाणन आवश्यक है, जिससे केवल अप्रतिबंधित सार्वजनिक प्रदर्शनी श्रेणी प्रमाणन वाली फिल्मों को टेलीविज़न पर दिखाए जाने की अनुमति मिलती है।
- ऑनलाइन प्रमाणन प्रक्रियाओं के साथ संरेखण:
- महत्त्व:
- नियमों में बदलाव पिछले चार दशकों में फिल्म प्रौद्योगिकी और दर्शकों की जनसांख्यिकी में प्रगति को अद्यतन किया गया है।
- वर्ष 2023 में सिनेमैटोग्राफ अधिनियम में संशोधन को लागू करते हुए नए नियम प्रमाणन प्रक्रिया को सरल बनाते हैं, जिससे यह समकालीन और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बन जाता है।
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC)
- CBFC सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत संचालित एक वैधानिक निकाय है, जिसे सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 के अनुसार फिल्मों के सार्वजनिक प्रदर्शन को विनियमित करने का कार्य सौंपा गया है।
- वैधानिक आवश्यकताओं और मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए, CBFC से प्रमाणन प्राप्त करने के बाद ही फिल्मों को भारत में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया जा सकता है।
- CBFC में गैर-आधिकारिक सदस्य और एक अध्यक्ष शामिल होते हैं, जिनकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है तथा इसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है।
- इसके अतिरिक्त, यह पूरे भारत में नौ क्षेत्रीय कार्यालय संचालित करता है, जिनमें से प्रत्येक फिल्मों की जाँच में सहायता के लिये सलाहकार पैनल होते हैं।
- सलाहकार पैनल में केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न पृष्ठभूमियों से नामित सदस्य शामिल होते हैं, जो 2 वर्ष की अवधि के लिये सेवारत होते हैं।
भारत में फिल्म उद्योग
- निर्मित फिल्मों की संख्या के मामले में भारतीय फिल्म उद्योग विश्व में सबसे बड़ा है और 40 से अधिक भाषाओं में सालाना 3,000 से अधिक फिल्मों का निर्माण करने वाला विश्व में सबसे बड़ा उद्योग है।
- भारत में तीन सबसे बड़े फिल्म उद्योग हिंदी, तेलुगू और तमिल हैं।
- भारतीय फिल्म उद्योग अपने जीवंत और विविध सिनेमा के लिये जाना जाता है जिसका बाज़ार मूल्य वर्ष 2022 में 172 बिलियन भारतीय रुपए से अधिक था। यह आँकड़ा फिल्म उद्योग के मूल्य में हुए सुधार को इंगित करता है हालाँकि उद्योग अभी भी कोविड-19 महामारी के प्रभावों का सामना करते हुए वीडियो ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म के तीव्र विकास से होने वाली चुनौतियों का सामना कर रहा है।
- भारत में महामारी और लॉकडाउन के दौरान लोग अपने घरों तक ही सीमित थे जिस दौरान OTT प्लेटफाॅर्मों सहित वीडियो स्ट्रीमिंग सेवाओं नें लोकप्रियता हासिल की।
- भारत में ऑनलाइन वीडियो बाज़ार में वैश्विक और स्थानीय अभिकर्त्ताओं की संयुक्त भागीदारी है, जो 400 मिलियन से अधिक उपयोगकर्त्ताओं के लिये प्रतिस्पर्द्धा करते हैं।
- वित्तीय वर्ष 2022 में समग्र देश में टेलीविज़न और फिल्म उद्योग द्वारा सृजित नौकरियों का अनुमान 4.12 मिलियन था, जो वित्तीय वर्ष 2017 में लगभग 2.36 मिलियन नौकरियों से अधिक था।
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. हाल ही में बना ‘द मैन हू न्यू इन्फिनिटी’ (The Man Who Knew Infinity) शीर्षक वाला चलचित्र किसके जीवनचरित पर आधारित है? (2016) (a) एस. रामानुजन उत्तर: (a)
अतः विकल्प (a) सही उत्तर है। |