विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
चीन का तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन
- 11 Jun 2022
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन, भारत का अर्थ ऑब्जर्वेटरी उपग्रह, ध्रुवीय उपग्रह, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन। मेन्स के लिये:अंतरिक्ष कार्यक्रम, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में तकनीकी नवाचार का योगदान। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में चीन की रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण अंतरिक्ष स्टेशन परियोजना ने अपने अंतिम चरण को पूरा किया, इसके साथ ही चीन के तीन अंतरिक्ष यात्रियों ने तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन के ऑर्बिट मॉड्यूल में प्रवेश कर लिया है।
- इन्हें शेनझोउ-14 अंतरिक्षयान द्वारा निर्धारित कक्षा में भेजा गया।
- शेनझोउ-1 से 4 अंतरिक्ष उड़ानें, मानव रहित अंतरिक्ष उड़ान मिशन थीं।
- शेनझोउ-5 से 14 अंतरिक्ष उड़ानें, मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान मिशन हैं।
- अंतरिक्ष स्टेशन एक अंतरिक्षयान है जो चालक दल के सदस्यों की सहायता करने में सक्षम है, जिसे अंतरिक्ष में एक विस्तारित अवधि के लिये और अन्य अंतरिक्षयानों के डॉकिंग के लिये निर्मित किया गया है।
तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन:
- तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन चीनी अंतरिक्ष स्टेशन है जिसे पृथ्वी से 340 से 450 किलोमीटर के बीच लो अर्थ ऑर्बिट में बनाया गया है।
- यह चीन के मानवयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम का हिस्सा और देश का पहला दीर्घकालिक अंतरिक्ष स्टेशन है।
- चीन कम-से-कम दस वर्षों के लिये अपने नए तियांगोंग मल्टी-मॉड्यूल अंतरिक्ष स्टेशन का संचालन करने जा रहा है।
- चीन ने वर्ष 2021 में अपने स्थायी अंतरिक्ष स्टेशन के लिये "तियानहे" या "हार्मनी ऑफ द हेवन्स" नामक एक मानव रहित मॉड्यूल लॉन्च किया, जिसके वर्ष 2022 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।
- तियानहे कोर मॉड्यूल तियांगोंग स्पेस स्टेशन मॉड्यूल को लॉन्च करने वाला पहला मॉड्यूल है।
चीन का मानवयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम:
- चीनी सरकार ने 1992 में "तीन-चरण" पद्धति का उपयोग करके एक मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया, जिसे चीन के मानवयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम के रूप में जाना जाता है।
- पहला चरण: बुनियादी मानव अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों में महारत हासिल करने के लिये मानवयुक्त अंतरिक्षयान लॉन्च करना।
- दूसरा चरण: अनुसंधान एवं विकास में तकनीकी सफलता हासिल करने के लिये स्पेस लैब्स लॉन्च करना और लंबे समय तक मानव-प्रवृत्त उपयोग को सामान्य पैमाने पर समायोजित करना।
- तीसरा चरण: बड़े पैमाने पर लंबे समय तक मानव-प्रवृत्त उपयोग को समायोजित करने के लिये चीन के अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण करना।
- इसका प्रबंधन चीन के मानवयुक्त अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा किया जाता है।
चीन के लिये इस लॉन्च का महत्त्व:
- रूस और अमेरिका के बाद चीन तीसरा ऐसा देश है जिसने अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा है तथा अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण किया है।
- चीनी अंतरिक्ष स्टेशन (CSS) भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशनों के लिये प्रतियोगी होने की उम्मीद है।
- अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) कई देशों की एक सहयोगी परियोजना है।
- ISS इतिहास की सबसे जटिल अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग परियोजना है तथा मानव द्वारा अंतरिक्ष में स्थापित सबसे बड़ी संरचना है।
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन कार्यक्रम:
- परिचय:
- भारत वर्ष 2030 तक अमेरिका, रूस और चीन के सर्वोत्कृष्ट अंतरिक्ष क्लब में शामिल होकर अपना स्वयं का अंतरिक्ष स्टेशन शुरू करने योजना बना रहा है।
- भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Indian Space Station), जिसका भार लगभग 20 टन होगा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की तुलना में बहुत हल्का होगा। इसका प्रयोग माइक्रो ग्रेविटी (Microgravity) से संबंधित परीक्षणों में किया जाएगा, न कि अंतरिक्ष यात्रा के लिये।
- इस परियोजना के प्रारंभिक चरण के अंतर्गत अंतरिक्ष यात्री इसमें लगभग 20 दिनों तक रह सकेंगे। यह परियोजना गगनयान मिशन के विस्तार के रूप में होगी।
- यह अंतरिक्ष स्टेशन लगभग 400 किमी. की ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करेगा।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (Space Docking experiment- Spadex) पर काम कर रहा है।
- “स्पेस डॉकिंग तकनीक का तात्पर्य अंतरिक्ष में दो अंतरिक्षयानों को जोड़ने की तकनीक से है। यह एक ऐसी तकनीक है जिसकी सहायता से मानव को एक अंतरिक्षयान से दूसरे अंतरिक्षयान में भेज पाना संभव होता है। अतः स्पेस डॉकिंग अंतरिक्ष स्टेशन के संचालन के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।”
- महत्त्व:
- अंतरिक्ष स्टेशन सार्थक वैज्ञानिक डेटा (विशेष रूप से जैविक प्रयोगों के लिये) एकत्र करने के लिये आवश्यक है।
- अन्य अंतरिक्ष वाहनों पर उपलब्ध वैज्ञानिक अध्ययनों की तुलना में अधिक संख्या और लंबे समय तक वैज्ञानिक अध्ययन हेतु मंच प्रदान करने के लिये (जैसे कि गगनयान मनुष्यों और प्रयोगों को माइक्रोग्रैविटी में कुछ दिनों के लिये ही ले जाएगा)।
- अंतरिक्ष स्टेशनों का उपयोग लंबी अवधि की अंतरिक्ष उड़ान के मानव शरीर पर प्रभावों का अध्ययन करने के लिये किया जाता है।