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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

गैलियम और जर्मेनियम पर चीन का निर्यात नियंत्रण

  • 11 Jul 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

गैलियम, जर्मेनियम, सेमीकंडक्टर, महत्त्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी पहल (iCET)

मेन्स के लिये:

चीन के निर्यात नियंत्रण का प्रभाव, वैश्विक बाज़ार में अर्द्धचालकों का महत्त्व

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में चीन ने 1 अगस्त, 2023 से सेमीकंडक्टर निर्माण के लिये आवश्यक गैलियम और जर्मेनियम पर निर्यात नियंत्रण की घोषणा की है।

  • इस कार्रवाई को संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और नीदरलैंड द्वारा लागू निर्यात नियंत्रणों की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को व्यक्त करते हैं और चीन पर सैन्य उपयोग और मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाते हैं। 
  • चीन इन आरोपों को यह कहते हुए अस्वीकार करता है कि उसके निर्यात नियंत्रण का उद्देश्य किसी भी देश को बाहर किये बिना वैश्विक औद्योगिक और आपूर्ति शृंखला स्थिरता की रक्षा करना है।

गैलियम और जर्मेनियम: 

  • गैलियम: 
    • यह एक नरम, चाँदी जैसी सफेद धातु है जो कमरे के तापमान पर तरल रूप में रहती है।
    • यह एक स्वतंत्र तत्त्व के रूप में नहीं पाया जाता है और केवल कुछ खनिजों, जैसे- जस्ता अयस्कों और बॉक्साइट में कम मात्रा में मौजूद होता है।
    • गैलियम का उपयोग गैलियम आर्सेनाइड बनाने के लिये किया जाता है, जो अर्द्धचालकों के लिये एक मुख्य सब्सट्रेट है।
    • इसका उपयोग सेमीकंडक्टर वेफर्स, एकीकृत सर्किट, मोबाइल और उपग्रह संचार (चिपसेट में) तथा LED (डिस्प्ले में) के उत्पादन में किया जाता है। 
    • गैलियम का अनुप्रयोग ऑटोमोबाइल तथा लाइटिंग उद्योग के साथ-साथ विमानन, अंतरिक्ष और रक्षा प्रणालियों के सेंसर में भी पाया जाता है।

  • जर्मेनियम: 
    • यह एक चमकदार, कठोर, चाँदी जैसी सफेद अर्द्ध-धातु है जिसकी क्रिस्टल संरचना हीरे के समान होती है।
    • जर्मेनियम का उपयोग विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक तथा ऑप्टिकल अनुप्रयोगों में किया जाता है।
    • इसका उपयोग सामान्य रूप से फाइबर-ऑप्टिक केबल तथा इन्फ्रारेड इमेजिंग उपकरणों में किया जाता है।
    • जर्मेनियम कठिन परिस्थितियों में हथियार प्रणालियों को संचालित करने की क्षमता बढ़ाता है।
    • इसकी ऊष्मा प्रतिरोध के साथ उच्च ऊर्जा रूपांतरण दक्षता के कारण इसका उपयोग सौर सेलों में भी किया जाता है।

नोट: 

  • खान मंत्रालय द्वारा इसे भारत की हाल ही में जारी महत्त्वपूर्ण खनिज सूची में सूचीबद्ध किया है, साथ ही गैलियम और जर्मेनियम, दोनों को यूरोपीय संघ के कच्चे माल की सूची में भी शामिल किया गया है, जिन्हें यूरोप की अर्थव्यवस्था के लिये भी महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
    • इसके अतिरिक्त इन तत्त्वों को संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान द्वारा रणनीतिक संसाधन माना जाता है।

कच्चे माल की वैश्विक आपूर्ति में चीन का प्रभुत्व:

  • चीन, गैलियम एवं जर्मेनियम का विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है।
  • वर्ष 2020 में चीन ने वैश्विक गैलियम उत्पादन का 80% तथा वैश्विक जर्मेनियम उत्पादन का 60% उत्पादन किया था।
  • चीन में गैलियम एवं जर्मेनियम के प्रचुर भंडार, बाज़ार में इसकी प्रमुख स्थिति में योगदान करते हैं।
  • चीन अपनी घरेलू आपूर्ति को पूरा करने के लिये कज़ाखस्तान, रूस और कनाडा जैसे देशों से गैलियम एवं जर्मेनियम का आयात करता है।
  • गैलियम एवं जर्मेनियम को उच्च शुद्धता वाले उत्पादों में प्रसंस्कृत और परिष्कृत करने के लिये चीन के पास एक मज़बूत औद्योगिक आधार है।
  • कम श्रम लागत, अनुकूल नीतियाँ और बड़े घरेलू बाज़ार की उपलब्धता से चीन को काफी लाभ होता है, जिससे इसे वैश्विक आपूर्ति शृंखला में प्रतिस्पर्द्धात्मक लाभ भी मिलता है।

चीन की निर्यात रणनीतियों का बाज़ार पर प्रभाव:

  • भारत: 
    • गैलियम और जर्मेनियम पर चीनी निर्यात नियंत्रण का भारत एवं इसके उद्योगों पर अल्पकालिक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
    • भारत वर्तमान में सभी इलेक्ट्राॅनिक चिप्स का आयात करता है और अनुमान है कि यह बाज़ार वर्ष 2025 तक 24 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगा। आपूर्ति शृंखलाओं में उत्पन्न व्यवधान के परिणामस्वरूप कीमतों में इज़ाफा और भारत में इन कच्चे माल की उपलब्धता सीमित होने की संभावना है।
    • गैलियम और जर्मेनियम के आयात पर निर्भरता के कारण भारत की चिप बनाने की योजना पर प्रभाव पड़ सकता है।
    • भारत के सेमीकंडक्टर/अर्द्धचालक उद्योग के दीर्घकालिक परिणाम वैकल्पिक आपूर्ति स्रोतों और घरेलू उत्पादन क्षमताओं पर निर्भर हैं।
    • भारत-अमेरिका क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (iCET) जैसी रणनीतिक साझेदारी एक विश्वसनीय आपूर्ति शृंखला के निर्माण को सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभा सकती है।
    • डेलॉइट इंडिया ने गैलियम और जर्मेनियम के संभावित स्रोत के रूप में जस्ता तथा एल्यूमिना उत्पादन से निकले अपशिष्ट की पुनर्प्राप्ति का सुझाव दिया है।
    • भारत के पास घरेलू क्षमताओं को विकसित करने और इंडियम तथा सिलिकॉन जैसे विकल्पों पर ध्यान केंद्रित करके अपनी आपूर्ति शृंखला में विविधता लाने का अवसर है।
  • वैश्विक: 
    • विभिन्न प्रकार के प्रतिबंधों के परिणामस्वरूप सीमित आपूर्ति के कारण वैश्विक बाज़ार में गैलियम और जर्मेनियम की कीमतें बढ़ सकती हैं।
    • अनेक देश और कंपनियाँ चीनी आपूर्ति पर अत्यधिक निर्भर हैं, इस निर्भरता को कम करने के लिये इन्हें गैलियम और जर्मेनियम के अन्य स्रोतों की खोज करने की आवश्यकता है।
    • चीन द्वारा निर्यात नियंत्रण अन्य देशों या क्षेत्रों के लिये गैलियम और जर्मेनियम के उत्पादन तथा आपूर्ति को बढ़ाने के अवसर प्रदान कर सकता है, जिससे संभावित रूप से अधिक विविध बाज़ार तैयार हो सकता है।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. हाल में तत्त्वों के एक वर्ग, जिसे 'दुर्लभ मृदा धातु' कहते हैं, की कम आपूर्ति पर चिंता जताई गई। क्यों? (2012)

  1. चीन, जो इन तत्त्वों का सबसे बड़ा उत्पादक है, द्वारा इनके निर्यात पर कुछ प्रतिबंध लगा दिया गया है।
  2. चीन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और चिली को छोड़कर अन्य किसी भी देश में ये तत्त्व नहीं पाए जाते हैं।
  3. दुर्लभ मृदा धातु विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक सामानों के निर्माण में आवश्यक हैं और इन तत्त्वों की मांग बढ़ती जा रही है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (c) 

स्रोत: द हिंदू

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