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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ब्रिक्स इनोवेशन बेस

  • 27 Aug 2020
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ब्रिक्स देश, ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’

मेन्स के लिये:

वैश्विक अर्थव्यवस्था और तकनीकी विकास, चतुर्थ औद्योगिक क्रांति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ब्रिक्स (BRICS) देशों के उद्योग मंत्रियों की एक वर्चुअल बैठक के दौरान चीन द्वारा ब्रिक्स देशों के बीच ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ (Artificial Intelligence-AI) और 5G के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिये चीन में एक ‘ब्रिक्स इनोवेशन बेस’ (BRICS Innovation Base) की स्थापना का प्रस्ताव किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • चीन ने भारत सहित समूह के सभी देशों से ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ और 5G के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का आग्रह किया है।
  • चीन का यह प्रस्ताव भारत के लिये एक नई परेशानी खाड़ी कर सकता है क्योंकि ब्रिक्स समूह में भारत ही एक ऐसा सदस्य है जो चीन को अपने देश के 5G तंत्र से बाहर रखने का प्रयास कर रहा है।
  • गौरतलब है कि चीनी की एक दूरसंचार कंपनी ‘हुवेई’ (Huawei) को संयुक्त राज्य अमेरिका में काफी हद तक प्रतिबंधित कर दिया गया है।

अन्य ब्रिक्स देशों की प्रतिक्रिया:

  • रूस:
    • रूस ने 5G तकनीकी पर चीन के साथ काम करने पर सहमति व्यक्त की है।
    • रूसी विदेश मंत्री ने इसी माह 5G के क्षेत्र में चीनी दूरसंचार कंपनी हुवेई (Huawei) के साथ मिलकर कार्य करने का स्वागत किया है।
  • दक्षिण अफ्रीका:
    • दक्षिण अफ्रीका में हुवेई देश की तीन दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों द्वारा उनकी 5G सेवा को शुरू करने में सहयोग कर रहा है।
  • ब्राज़ील:
    • ब्राज़ील ने भी चीनी कंपनियों को अपने देश के 5G के परीक्षण में में शामिल होने की अनुमति दी है हालाँकि देश में 5G को पूरी तरह से शुरू किये जाने की प्रक्रिया में चीनी कंपनियों को शामिल करने पर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
    • हालाँकि ब्राज़ील के उपराष्ट्रपति ने इसी माह हुवेई को 5G नेटवर्क में शामिल करने के संकेत दिये हैं। उनके अनुसार, वर्तमान में ब्राज़ील के 4G तंत्र में देश की दूरसंचार सेवाप्रदाता कंपनियों द्वारा प्रयोग किये जा रहे उपकरणों में से एक-तिहाई (1/3) से अधिक हुवेई के ही हैं।
    • ब्राज़ील के उपराष्ट्रपति के अनुसार, हुवेई में अपने प्रतिद्वंदियों से बेहतर क्षमता है और वे अभी अमेरिकी कंपनियों को इस क्षेत्र की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा में आगे बढ़ता हुए नहीं देखते।

भारत की चुनौती:

  • वर्तमान में भारत और चीन तनाव के बीच भारत सरकार द्वारा 5G के क्षेत्र में चीनी कंपनियों की भागीदारी की अनुमति दिये जाने की संभावनाएँ बहुत ही कम है।
  • गौरतलब है कि हाल ही में भारत द्वारा चीनी निवेश पर नियमों में सख्ती के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए लगभग 59 चीनी मोबाइल एप पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था।
  • भारतीय खुफिया तंत्र ने अपने आकलन के आधार पर हुवेई सहित चीन की कई अन्य कंपनियों के चीनी सेना से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध की संभावनाओं के संदर्भ में चिंता ज़ाहिर की है।
  • 5G से जुड़ी सबसे बड़ी चुनौती डेटा सुरक्षा की है, वर्तमान में 5G जैसे क्षेत्र में भारतीय बाज़ार में चीनी कंपनियों की भागीदारी की अनुमति देने से यह आर्थिक हितों के साथ सुरक्षा की दृष्टि से भी एक चिंता का विषय होगा।
  • ध्यातव्य है कि वर्तमान में विश्व में COVID-19 महामारी से सबसे अधिक प्रभावित 5 देशों में से 4 ब्रिक्स समूह के देश (ब्राज़ील, भारत, रूस और दक्षिण अफ्रीका) हैं और ऐसे समय में चीनी कंपनियाँ इन देशों के बाज़ारों पर मज़बूत बढ़त बनाने के लिये प्रयासरत हैं।

आगे की राह:

  • पिछले कुछ वर्षों में भारतीय सीमा पर चीन की आक्रामकता में वृद्धि और अमेरिका-चीन व्यापारिक तनाव ने भारत के लिये ‘क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी’ (RCEP), ‘रूस-भारत-चीन’ (Russia-India-China- RIC) और ब्रिक्स जैसे अंतर्राष्ट्रीय समूहों से जुड़े राजनीतिक निर्णयों को अधिक जटिल बना दिया है।
  • हाल ही में भारत ‘ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ (Global Partnership on Artificial Intelligence-GPAI) में एक संस्थापक सदस्य के तौर पर शामिल हुआ है।
    • यह आर्थिक विकास के साथ मानवाधिकारों, समावेशन, विविधता, और नवाचार जैसे मूल्यों पर आधारित ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ (Artificial Intelligence-AI) के ज़िम्मेदारी पूर्ण विकास का मार्गदर्शन करने हेतु एक अंतरराष्ट्रीय और बहु-हितधारक पहल है।
  • ‘GPAI’ की ही तरह 5G के क्षेत्र में भी सामान विचारधारा वाले देशों के सहयोग से 5G से जुड़े तकनीकी विकास को बढ़ावा दिया जा सकता है।
  • पिछले एक दशक में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनियों ने महत्त्वपूर्ण प्रगति की है, 5G से जुड़े रणनीतिक और आर्थिक हितों को देखते हुए ‘मेक-इन-इंडिया' और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे प्रयासों के तहत भारतीय कंपनियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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