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चीन का नया सामरिक राजमार्ग

  • 22 May 2021
  • 8 min read

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में चीन ने भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य के साथ विवादित सीमा को लेकर दूरदराज़ के क्षेत्रों में अपनी पहुंँच को और अधिक मज़बूत करने हेतु सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण राजमार्ग के निर्माण कार्य को पूरा कर लिया है।

China-Highway

प्रमुख बिंदु: 

  • इस राजमार्ग के निर्माण कार्य को वर्ष 2014 में शुरू किया गया था तथा यह तिब्बत के सीमावर्ती क्षेत्रों में व्यापक बुनियादी ढांँचे को आगे बढ़ाने के हिस्से के रूप में है।
  • यह राजमार्ग ब्रह्मपुत्र नदी (तिब्बत में यारलंग झांग्‍बो) की घाटी से होकर गुज़रता है।
    • ब्रह्मपुत्र तिब्बत की सबसे लंबी नदी है और इसकी घाटी विश्व की सबसे गहरी घाटी है, जिसमें सबसे ऊँचे पर्वत शिखर से लेकर सबसे निचले बेसिन ( 7,000 मीटर ) पाए जाते हैं।
  • यह राजमार्ग पैड टाउनशिप (Pad Township) को न्यिंगची ( Nyingchi) और मेडोग काउंटी (Medog County) से जोड़ता है।
    •  न्यिंगची और मेडोग काउंटी दोनों ही तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (Tibet Autonomous Region- TAR), चीन में स्थित हैं।
    • मेडोग तिब्बत का अंतिम प्रांत है, जो अरुणाचल प्रदेश (भारत ) की सीमा के करीब स्थित है।
    • चीन दक्षिणी तिब्बत के हिस्से के रूप में अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता है, जिसे भारत ने खारिज़ कर दिया है। भारत-चीन सीमा विवाद में 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control- LAC) शामिल है।
      •  इस राजमार्ग से न्यिंगची और मेडोग काउंटी के बीच यात्रा का समय आठ घंटे कम हो जाएगा।

चीन द्वारा अन्य  सामरिक निर्माण कार्य:

  • रेलवे लाइन:
    • इससे पहले वर्ष 2020 में चीन ने रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण एक रेलवे लाइन पर काम शुरू किया था जो सिचुआन प्रांत को तिब्बत में न्यिंगची से जोड़ेगा, यह रेलवे लाइन भारत के अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास है।
      • वर्ष 2006 में  शुरू किये गए  चिंगहई-तिब्बत रेलमार्ग (Qinghai-Tibet railway) के बाद यह तिब्बत के लिये दूसरा प्रमुख रेल लिंक है।
  • नए गाँवों का निर्माण:
  • जनवरी 2021 में अरुणाचल प्रदेश में बुमला दर्रे से 5 किलोमीटर दूर चीन द्वारा तीन गांँवों के निर्माण किये जाने की खबरें आई थीं।
    • वर्ष 2020 के कुछ उपग्रह चित्रों में भूटान की सीमा के अंतर्गत 2-3 किमी में निर्मित ‘पंगडा’ नामक एक नया गांँव देखा गया।
    • वर्ष 2017 में TAR सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों में मध्यम रूप से संपन्न गाँव बनाने की योजना शुरू की।
      • इस योजना के तहत भारत, भूटान, नेपाल और चीन की सीमाओं के साथ नगारी, शिगात्से, शन्नान और न्यिंगची प्रांतों तथा अन्य दूरदराज़ के इलाकों में 628 गाँव विकसित किये जाएंगे। 

भारत की चिंताएँ:

  • ‘मेगा यारलुंग ज़ांगबो हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट’ के सर्वेक्षण और इस संबंध में योजना बनाने हेतु एक राजमार्ग द्वारा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है, जिसे चीन‘मेडोग काउंटी’ घाटी में बनाने की योजना बना रहा है, इससे भारत जैसा देश चिंतित है।
  • सीमा से संबंधित राजमार्ग से सीमा क्षेत्र में सैन्यकर्मियों, सामग्री परिवहन और रसद आपूर्ति की दक्षता  तथा आपूर्ति में काफी सुधार होगा।

भारत द्वारा उठाए गए कदम:

  • भारत सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (BADP) के 10 प्रतिशत कोष को केवल चीन सीमा पर बुनियादी ढाँचे में सुधार के लिये खर्च करेगा।
  • सीमा सड़क संगठन (BRO) ने अरुणाचल प्रदेश में सुबनसिरी नदी पर दापोरिजो पुल का निर्माण किया है।
    • यह भारत और चीन के बीच LAC तक जाने वाली सड़कों को जोड़ता है।
  • अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग ज़िले के नेचिफू में एक सुरंग की नींव रखी गई है, जो तवांग से LAC तक सैनिकों हेतु यात्रा के समय को कम कर देगी, जिसे चीन अपना क्षेत्र होने का दावा करता है।
  • अरुणाचल प्रदेश में ‘से ला’ दर्रा के नीचे एक सुरंग का निर्माण किया जा रहा है जो तवांग को अरुणाचल प्रदेश और गुवाहाटी से जोड़ती है।
  • अरुणाचल प्रदेश की राज्य सरकार ने भारत-चीन सीमा पर 10 शहरों के बुनियादी विकास के लिये पायलट परियोजनाओं के रूप में चुनने की वकालत की है, ताकि राज्य में दूर शहरी केंद्रों में प्रवास करने वाले विशेष रूप से चीन से आने वाले लोगों को रोका जा सके।
  • अरुणाचल प्रदेश में निचली दिबांग घाटी में स्थित सिसेरी नदी पुल, दिबांग घाटी और सियांग को जोड़ता है।
  • वर्ष 2019 में भारतीय वायु सेना ने अरुणाचल प्रदेश में भारत के सबसे पूर्वी गांँव-विजयनगर (चांगलांग ज़िला) में रनवे का उद्घाटन किया।
  •  वर्ष 2019 में भारतीय सेना ने अपने नव-निर्मित एकीकृत युद्ध समूहों (IBG) के साथ अरुणाचल प्रदेश और असम में 'हिमविजय' अभ्यास किया।
  • बोगीबील पुल, जो असम के डिब्रूगढ़ को अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट से जोड़ने वाला भारत का सबसे लंबा सड़क-रेल पुल है, का उद्घाटन वर्ष 2018 में किया गया था।
    • यह भारत-चीन सीमा के पास के क्षेत्रों में सैनिकों और उपकरणों की त्वरित आवाजाही की सुविधा प्रदान करेगा।

आगे की राह:

  • भारत को अपने हितों की कुशलता से रक्षा करने के लिये अपनी सीमा के पास चीन द्वारा किसी नए निर्माण के संबंध में सतर्क रहने की आवश्यकता है। इसके अलावा इसे कुशल तरीके से कर्मियों और अन्य रसद आपूर्ति की आवाजाही सुनिश्चित करने हेतु अपने दुर्गम सीमा क्षेत्रों में मज़बूत बुनियादी ढाँचे का निर्माण करने की आवश्यकता है।

स्रोत-द हिंदू

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