इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

चीन का नया सीमा कानून

  • 03 Jan 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

चीन और उसके पड़ोसी देश, ब्रह्मपुत्र नदी, अरुणाचल प्रदेश तथा उसके सीमावर्ती देशों की स्थिति

मेन्स के लिये:

भारत-चीन संबंधों पर चीन के नए सीमा कानून का प्रभाव

चर्चा में क्यों? 

भूमि सीमाओं पर चीन का नया कानून 1 जनवरी, 2022 से लागू हुआ।

  • यह ऐसे समय में आया है जब पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध अनसुलझा है और हाल ही में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कई स्थानों का नाम बदलकर अपने अंतर्गत होने का दावा किया है।

प्रमुख बिंदु 

  • चीन के नए सीमा कानून के बारे में:
    • भूमि सीमाओं का परिसीमन और सर्वेक्षण:
      • नया कानून बताता है कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) सीमा को स्पष्ट रूप से चिह्नित करने के लिये अपनी सभी भूमि सीमाओं पर सीमा चिह्न स्थापित करेगा।
    • सीमावर्ती क्षेत्रों का प्रबंधन और रक्षा:
      • पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और चीनी पीपुल्स आर्म्ड पुलिस फोर्स को सीमा पर सुरक्षा बनाए रखने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।
        • इस ज़िम्मेदारी में अवैध सीमा पार की घटनाओं से निपटने में स्थानीय अधिकारियों के साथ सहयोग करना शामिल है।
        • कानून किसी भी ऐसे पक्ष को सीमा क्षेत्र में ऐसी गतिविधि में शामिल होने से रोकता है जो "राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालेगा या पड़ोसी देशों के साथ चीन के मैत्रीपूर्ण संबंधों को प्रभावित करेगा"।
        • यहाँ तक ​​​​कि नागरिकों और स्थानीय संगठनों को भी सीमा के बुनियादी ढाँचे की रक्षा करना अनिवार्य है।
        • अंत में कानून युद्ध, सशस्त्र संघर्ष, ऐसी घटनाएँ जो सीमावर्ती निवासियों की सुरक्षा को खतरा पैदा करती हैं, जैसे- जैविक और रासायनिक दुर्घटनाएँ प्राकृतिक आपदाएँ तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य घटनाओं की स्थिति में सीमा को सील करने का प्रावधान करता है।
    • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
      • अपने सीमा-साझा देशों के विषय पर कानून कहता है कि इन देशों के साथ संबंध "समानता और पारस्परिक लाभ" के सिद्धांतों पर आधारित होने चाहिये।
      • इसके अलावा, कानून भूमि सीमा प्रबंधन पर बातचीत करने और सीमा संबंधी मुद्दों को हल करने के लिये उक्त देशों के साथ नागरिक एवं सैन्य दोनों संयुक्त समितियों के गठन का प्रावधान करता है।
      • कानून यह भी निर्धारित करता है कि पीआरसी को भूमि सीमाओं पर संधियों का पालन करना चाहिये, जिस पर उसने संबंधित देशों के साथ हस्ताक्षर किये हैं और सभी सीमा मुद्दों को बातचीत के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिये।
  • चिंताएँ:
    • चीनी सेना के अपराधों को औपचारिक रूप देना:
      • भूमि सीमा कानून का व्यापक उद्देश्य 2020 में एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के पार चीनी सेना के उल्लंघन को कानूनी कवर प्रदान करना और औपचारिक रूप देना है।
    • नागरिक एजेंसियों को प्रोत्साहन:
      • कानून नागरिक आबादी के समस्या निपटान और सीमा क्षेत्र के साथ बेहतर बुनियादी ढाँचे का आह्वान करता है।
        • चीन ने पहले अपनी "नागरिक" आबादी को एलएसी के विवादित हिस्से के साथ की रणनीति का इस्तेमाल किया है, जिसके आधार पर वह इसके सही स्वामित्व का दावा करता है।
      • नया कानून ऐसे मामलों को बढ़ा सकता है तथा दोनों देशों के बीच और समस्याएँ पैदा कर सकता है।
    • जल प्रवाह को सीमित करना:
      • ब्रह्मपुत्र या यारलुंग ज़ंगबो नदी में जल प्रवाह को सीमित किये जाने भी संभावना है जो चीन से भारत में बहती है क्योंकि कानून के अनुसार "सीमा पार नदियों और झीलों की स्थिरता की रक्षा के उपाय" करना ज़रूरी है।
      • चीन जलविद्युत परियोजनाओं के मामले में इस प्रावधान का हवाला दे सकता है जो भारत में पारिस्थितिक आपदा का कारण बन सकता है और इसे अपनी ओर से एक वैध कार्रवाई बता सकता है।
  • चीन के सीमा विवाद:
    • चीन की 14 देशों के साथ 22,100 किलोमीटर की भूमि सीमा लगती है।
    • इसने 12 पड़ोसियों के साथ सीमा विवाद सुलझा लिये हैं।
    • भारत और भूटान दो ऐसे देश हैं जिनके साथ चीन को अभी सीमा समझौतों को अंतिम रूप देना है।
    • चीन और भूटान ने सीमा वार्ता में तेज़ी लाने के लिये तीन चरणों का रोडमैप तैयार करने हेतु एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये है।
    • भारत-चीन सीमा वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ 3,488 किलोमीटर की हैं जिसमे से लगभग 400 किलोमीटर में चीन-भूटान विवाद है।

China_drishtiias_hindi

आगे की राह:

  • चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में 15 स्थानों का नामकरण अपने स्वयं के क्षेत्र के रूप में किया गया क्योंकि भारत और चीन LAC के साथ विवादों को सुलझाने के लिये राजनयिक और सैन्य दोनों स्तरों पर लगे हुए हैं।
  • संबंधों को बहाल करने के साथ-साथ सीमाओं पर यथास्थिति को बनाए रखने के लिये आपसी संवेदनशीलता और पिछले समझौतों के पालन की आवश्यकता होगी जो कि पहले से ही मतभेदों की लंबी सूची का विस्तार करने वाले अनावश्यक विवादों को उकसाने के बजाय शांति बनाए रखने में सहायक ।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2