अंतर्राष्ट्रीय संबंध
चीन की वैश्विक सुरक्षा पहल
- 29 Apr 2022
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प्रिलिम्स के लिये:वैश्विक सुरक्षा पहल, क्वाड ग्रुप, AUKUS ग्रुपिंग, इंडो-पैसिफिक रणनीति मेन्स के लिये:नया शीत युद्ध, भारत को शामिल करने वाले समूह और समझौते और/या भारत के हित को प्रभावित करना, भारत के हितों पर देशों की नीतियांँ और राजनीति का प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में चीनी राष्ट्रपति द्वारा एक नई वैश्विक सुरक्षा पहल (GSI) का प्रस्ताव रखा गया है। GSI को अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति और क्वाड (भारत, यूएस, ऑस्ट्रेलिया, जापान ग्रुप) के विरुद्ध प्रतिक्रियात्मक कदम के रूप में देखा जा सकता है।
- हालांँकि चीन ने प्रस्तावित वैश्विक सुरक्षा पहल के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दी है।
GSI के बारे में:
- अविभाज्य सुरक्षा का सिद्धांत: एकाधिकारवाद (Unilateralism), आधिपत्य और सत्ता की राजनीति से उत्पन्न खतरों, शांति, सुरक्षा, विश्वास और शासन की कमी के कारण मानव जाति अधिक समस्याओं और सुरक्षा खतरों का सामना कर रही है।
- अतःचीन का कहना है कि "अविभाज्य सुरक्षा" के सिद्धांत को बनाए रखने के लिये वैश्विक सुरक्षा पहल की परिकल्पना की गई है।
- "अविभाज्य सुरक्षा" के सिद्धांत का अर्थ है कि कोई भी देश दूसरे देश की सुरक्षा कीमत पर अपनी सुरक्षा को मज़बूत नहीं कर सकता है।
- एशियाई सुरक्षा मॉडल: GSI एक "साझा, व्यापक, सहकारी और टिकाऊ" सुरक्षा एवं आपसी सम्मान, खुलेपन तथा एकीकरण के लिये एशियाई सुरक्षा मॉडल के निर्माण की बात करता है।
- प्रतिबंध का विरोध: यह मॉडल पश्चिमी प्रतिबंधों को संदर्भित करने के लिये एकतरफा प्रतीत होने वाले प्रतिबंधों और लंबे समय तक अधिकार क्षेत्र के उपयोग का विरोध करेगा।
- नए शीत युद्ध का समाधान: यूएस की इंडो-पैसिफिक रणनीति इस क्षेत्र को विभाजित करने और 'नया शीत युद्ध' शुरू होने की स्थिति में 'उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सैन्य गठबंधनों का उपयोग एशिया में करना है।
- चीन के अनुसार, क्वाड समूह ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, कनाडा,अमेरिका और यूके ऑकस संधि से जुड़े "फाइव आईज़" खुफिया गठबंधन के समकक्ष है, जिसे अमेरिका के "नाटो के एशियन संस्करण" के निर्माण की योजना के प्रमुख तत्त्व के रूप में देखा जा रहा है।
क्वाड सदस्यों की प्रतिक्रियाएँ:
- क्वाड एक सैन्य गठबंधन नहीं है: क्वाड के सदस्यों ने इस धारणा को खारिज किया है कि यह नाटो का एक एशियन संस्करण या एक सैन्य गठबंधन है, बल्कि उन्होंने इसे वैक्सीन और प्रौद्योगिकी सहित एक व्यापक सहयोग आधारित समझौता कहा है।
- चीन के दोहरे मानदंड: चीन द्वारा जब भी एकाधिकारवाद, आधिपत्य और दोहरे मानकों की आलोचना की जाती है उसमें प्रायः अमेरिका को लक्षित किया जाता है।
- रूस-यूक्रेन युद्ध का प्रभाव: प्रशांत क्षेत्र में चीन की नई प्रगति यूक्रेन युद्ध के कारण बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के ठहराव से संबंधित हो सकती है।
एक नए शीत युद्ध का संकेत देने वाली घटनाएँ:
- चीन का विकास: कई दशकों तक देंग शियाओपिंग (Deng Xiaoping) और उनके उत्तराधिकारियों के अपेक्षाकृत प्रबुद्ध अधिनायकवाद के अंतर्गत चीन के आक्रामक विकास को संयुक्त राज्य अमेरिका में सकारात्मक रूप से देखा गया था।
- हालाँकि शी जिनपिंग (राष्ट्रपति) के शासन के अधीन चीन नरम से कठोर अधिनायकवाद के रूप में विकसित हुआ है।
- उदीयमान व्यक्तित्व के साथ अब वह जीवन भर के लिये चीन के राष्ट्रपति हैं।
- अमेरिका द्वारा प्रतिरोध: चीन की बढ़ती दृढ़ता पर अंकुश लगाने के लिये अमेरिका ने अपनी 'एशिया के लिये धुरी' (Pivot to Asia) नीति के तहत क्वाड इनिशिएटिव एंड इंडो पैसिफिक नैरेटिव की शुरुआत की है।
- हाल ही में अमेरिका ने चीन को शामिल किये बिना G7 को G-11 तक विस्तारित करने का प्रस्ताव रखा।
- दक्षिण चीन सागर पर चीन का रुख: दक्षिण चीन सागर में चीन की कार्रवाइयों, पहले भूमि पुनर्ग्रहण और फिर अतिरिक्त-क्षेत्रीय दावे का विस्तार करने के लिये कृत्रिम द्वीपों के निर्माण की नीति की अमेरिका और उसके सहयोगियों ने तीखी आलोचना की है।
- आर्थिक आधिपत्य को चुनौती देना: चीन अमेरिका के प्रभुत्व वाले अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और विश्व व्यापार संगठन के लिये वैकल्पिक शासन तंत्र के साथ सामने आया है, जिसमें न्यू डेवलपमेंट बैंक का आकस्मिक रिज़र्व समझौता (सीआरए) बेल्ट एंड रोड पहल तथा एशिया अवसंरचना निवेश बैंक जैसे संस्थान शामिल हैं।
भारत की भूमिका:
- भारत एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति है और इसके महत्त्व को देखते हुए अमेरिका और चीन दोनों भारत को अपने खेमे में आकर्षित करने की कोशिश करते रहे। अमेरिकी विदेश नीति विशेषज्ञों का तर्क है कि भारत नए शीत युद्ध में अमेरिका का एक स्वाभाविक सहयोगी है।
- दूसरी ओर भारत में चीनी राजदूत ने "मानवता के लिये एक साझा भविष्य" के साथ "एक साथ एक नया अध्याय" लिखने का सुझाव दिया है तथा इसी संदर्भ में:
- भारत वसुधैव कुटुम्बकम के तत्त्वावधान में नए बहुपक्षवाद को बढ़ावा दे सकता है जो समान सतत् विकास हेतु आर्थिक व्यवस्था और सामाजिक व्यवहार दोनों के पुनर्गठन पर निर्भर करता है।
- भारत को वैश्विक शक्तियों के साथ गहन कूटनीति अपनानी चाहिये ताकि एशिया की इस सदी को शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और वैश्विक हित के संदर्भ में परिभाषित किया जा सके।
- इसके अलावा भारत को यह स्वीकार करना चाहिये कि राष्ट्रीय सुरक्षा अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), साइबर और अंतरिक्ष में तकनीकी श्रेष्ठता पर निर्भर करती है, न कि महंगे पूंजीगत उपकरणों पर।
- इस प्रकार भारत को महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना चाहिये।