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जैव विविधता और पर्यावरण

सस्टेनेबल फैशन की चुनौतियाँ

  • 16 Feb 2024
  • 16 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सस्टेनेबल फैशन की चुनौतियाँ, बायोडिग्रेडेबल, संयुक्त राष्ट्र, खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC)

मेन्स के लिये:

सस्टेनेबल फैशन की चुनौतियाँ, स्वस्थ और समावेशी वातावरण के लिये सस्टेनेबल फैशन की आवश्यकता, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

अधिकांश कपड़े और फैशन उत्पाद अब "पुनर्नवीनीकरण सामग्री" से बने होने का दावा करते हैं। हालाँकि इस दृष्टिकोण की प्रभावशीलता और स्थिरता को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं।

सस्टेनेबल फैशन क्या है?

  • सस्टेनेबल फैशन से तात्पर्य इस तरह से फैशन उत्पाद  बनाने की अवधारणा से है जो पर्यावरणीय प्रभाव को कम करता है और संपूर्ण उत्पादन प्रक्रिया के दौरान सामाजिक ज़िम्मेदारी को बढ़ावा देता है। इसका उद्देश्य ऐसे फैशन आइटम बनाना है जो पर्यावरण के अनुकूल, सामाजिक रूप से ज़िम्मेदार और आर्थिक रूप से व्यवहार्य हों
  • इको-फैशन का प्राथमिक फोकस उत्पादन में उपयोग की जाने वाली सामग्रियों पर है। सस्टेनेबल फैशन ऊन, लिनन और कपास जैसी प्राकृतिक तथा जैविक सामग्रियों के उपयोग पर बल देता है, जिन्हें हानिकारक कीटनाशकों और रसायनों के बिना उत्पादित किया जाता है।
  • ये सामग्रियाँ बायोडिग्रेडेबल हैं और लैंडफिल में कचरे के निर्माण में योगदान नहीं करती हैं।

सस्टेनेबल फैशन का क्या महत्त्व है?

  • पर्यावरणीय प्रभाव: 
    • फैशन उद्योग वैश्विक कार्बन उत्सर्जन, पानी की खपत और अपशिष्ट उत्पादन में प्रमुख योगदानकर्त्ता है।
    • सस्टेनेबल फैशन का लक्ष्य नवीकरणीय सामग्रियों का उपयोग करके, संसाधन खपत को कम करने के साथ-साथ पर्यावरण-अनुकूल उत्पादन प्रक्रियाओं को लागू करके इन प्रभावों को कम करना है।
  • अपशिष्ट में कमी: 
    • पारंपरिक फैशन के कारण अक्सर बड़ी मात्रा में कपड़े लैंडफिल में चले जाते हैं या जला दिये जाते हैं। सस्टेनेबल फैशन सर्कुलरिटी को बढ़ावा देता है, जहाँ सामग्रियों का पुन: उपयोग, पुनर्चक्रण या बायोडिग्रेडेशन किया जाता है, जिससे अपशिष्ट कम होता है और संसाधनों का संरक्षण होता है।
  • स्वास्थ्य एवं सुरक्षा: 
    • पारंपरिक कपड़ा उत्पादन में कठोर रसायनों के उपयोग से श्रमिकों और उपभोक्ताओं दोनों के लिये स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।
    • सस्टेनेबल फैशन विषाक्त रसायनों के उपयोग से बचाता है या कम करता है, साथ ही सभी के लिये सुरक्षित और स्वस्थ उत्पादों को बढ़ावा देता है।
  • उपभोक्ता जागरूकता: 
    • सस्टेनेबल फैशन उपभोक्ताओं को अपने वस्त्रों की पसंद के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव पर विचार करने के लिये प्रोत्साहित करता है।
    • जागरूकता बढ़ाने और सचेत उपभोग को बढ़ावा देकर, यह व्यक्तियों को अधिक जानकारीपूर्ण एवं नैतिक खरीदारी संबंधी निर्णय लेने के लिये भी सशक्त बनाता है।

सस्टेनेबल फैशन के समक्ष क्या चुनौतियाँ हैं?

  • कपड़ा पुनर्चक्रण जटिलता:
    • कपड़ा पुनर्चक्रण काँच या कागज़ जैसी पुनर्चक्रण सामग्री की तुलना में अधिक जटिल है।
    • पुनर्नवीनीकृत वस्त्रों की अधिकता (93%) प्लास्टिक की बोतलों या PET बोतलों (पॉलीइथाइलीन टेरेफ्थेलेट) से आती है, जो जीवाश्म ईंधन से निर्मित होते हैं।
    • हालाँकि प्लास्टिक की बोतलों के विपरीत, जिन्हें कई बार पुनर्चक्रण किया जा सकता है, पुनर्चक्रण पॉलिएस्टर से बनी टी-शर्ट को दोबारा पुनर्चक्रण नहीं किया जा सकता है।
      • यूरोप में अधिकांश कपड़ा अपशिष्ट को या तो फेंक दिया जाता है या जला दिया जाता है, केवल 22% का पुनर्चक्रण किया जाता है। हालाँकि कपड़ों के उत्पादन में पुन: उपयोग किये जाने के बजाय, पुनर्नवीनीकरण किये गए वस्त्रों को अक्सर इन्सुलेशन, गद्दे भरने या कपड़े साफ करने में पुन: उपयोग किया जाता है।
      • कपड़ों के उत्पादन में उपयोग किये जाने वाले 1% से भी कम कपड़ों को नए कपड़ों में पुनर्चक्रित किया जाता है।
  • महँगा और श्रमसाध्य:
    • दो से अधिक फाइबर वाले कपड़ों को रिसाइकल नहीं किया जा सकता।
    • पुनर्चक्रण योग्य कपड़ों के रंग की छँटाई और ज़िप, बटन, स्टड तथा अन्य सामग्रियों को हटाना होगा। यह प्रक्रिया आमतौर पर महँगी और श्रम-गहन है।
  • गुणवत्ता में गिरावट:
    • जब सामग्रियों का पुनर्चक्रण किया जाता है, विशेषकर कपास जैसे वस्त्रों के मामले में तब गुणवत्ता प्राय: कम हो जाती है।
    • यह कम गुणवत्ता पुनर्नवीनीकरण सामग्री के अनुप्रयोगों को सीमित कर सकती है और साथ ही पुनर्चक्रण के उद्देश्य को विफल करते हुए नई सामग्रियों के साथ मिश्रण की आवश्यकता हो सकती है।
  • संदूषण: 
    • पुनर्चक्रण योग्य सामग्री प्लास्टिक कंटेनरों या कपड़ा रंगों में खाद्य अवशेषों सहित अन्य सामग्रियों से दूषित हो सकती है।
    • संदूषण पुनर्चक्रित सामग्री की गुणवत्ता को खराब कर सकता है और साथ ही पुनर्चक्रण प्रक्रिया को भी जटिल बना सकता है।
  • प्रौद्योगिकीय सीमाएँ: 
    • विशेष रूप से कुछ सामग्रियों जैसे अशुद्ध प्लास्टिक या मिश्रित फाइबर वाले वस्त्रों के लिये पुनर्चक्रण प्रक्रियाएँ लगातार विकसित हो रही हैं। इसलिये पुनर्चक्रण तकनीकें कम सफल और कुशल हो सकती हैं।
  • कार्बन फुटप्रिंट:
    • कई पुनर्चक्रण योग्य वस्तुएँ जिन्हें पश्चिमी उपभोक्ता पुनर्चक्रण से छोड़ देते हैं,उन्हें सेकेंड हैंड सामान के रूप में बेचा जाता है।  ये मुख्य रूप से मिश्रित और पॉलिएस्टर आदि के रूप में खुले लैंडफिल में घाना और अन्य अफ्रीकी देशों की सड़कों पर समाप्त हो जाते हैं
    • यूरोप में एकत्र किये गए कपड़ों में लगभग 41% एशिया में कचरे के रूप भेजा जाता है, मुख्य रूप से निर्दिष्ट आर्थिक क्षेत्रों में जहाँ इसे छँटाई और प्रसंस्करण से गुज़रना पड़ता है।
    • एशिया भेजा गया यूरोप का कपड़ा कचरा निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्रों में पहुँच जाता है, जो ढीले श्रम मानकों और पर्यावरण नियमों के लिये विख्यात है।
    • छँटाई के लिये कम श्रम लागत वाले देशों में कपड़े निर्यात करना भी परिवहन से जुड़े कार्बन फुटप्रिंट के बारे में चिंता उत्पन्न करते है।

सस्टेनेबल फैशन के लिये क्या समाधान हो सकता है?

  • पॉलिएस्टर पर निर्भरता कम करना:
    • उत्पादन से लेकर पुनर्चक्रण तक इसके हानिकारक पर्यावरणीय प्रभाव के कारण विशेषज्ञ पॉलिएस्टर पर निर्भरता को पूरी तरह से कम करने की वकालत करते हैं। 
  • वैकल्पिक फाइबर को अपनाना:
    • कुछ फैशन ब्रांड अधिक टिकाऊ विकल्प के रूप में वैकल्पिक फाइबर की खोज कर रहे हैं, जैसे कि अनानास के पत्तों से बना पिनाटेक्स। हालाँकि सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इन तंतुओं को अभी भी सामंजस्य के लिये थर्मोप्लास्टिक सामग्री की आवश्यकता हो सकती है, जिससे पुनर्चक्रण सीमित हो सकता है।
  • अत्यधिक उपभोग को संबोधित करना:
    • अंततः, फैशन उद्योग में स्थिरता प्राप्त करने के लिये अत्यधिक खपत से निपटना आवश्यक माना जाता है। पर्यावरण समर्थकों द्वारा उपभोक्ताओं से कम कपड़े खरीदने और मरम्मत, पुन: उपयोग और अपसाइक्लिंग को प्राथमिकता देने का आह्वान किया गया है।

सस्टेनेबल फैशन से संबंधित क्या पहल हैं?

  • वैश्विक स्तर पर:
    • सस्टेनेबल फैशन के लिये संयुक्त राष्ट्र गठबंधन:
    • सस्टेनेबल गारमेंट और फुटवियर के लिये अभिगम्यता: इस पहल के हिस्से के रूप में UNECE (यूरोप के लिये संयुक्त राष्ट्र आर्थिक आयोग) ने "द सस्टेनेबिलिटी प्लेज" लॉन्च किया है, जिसमें सरकारों, परिधान और जूते निर्माताओं तथा उद्योग के हितधारकों को कार्यवाही हेतु उपायों  को लागू करने एवं पर्यावरण और नैतिक साख क्षेत्र में सुधार की दिशा में सकारात्मक कदम उठाने के लिये आमंत्रित किया गया है। 
    • विश्व कपास दिवस (7 अक्तूबर): यह अल्प विकसित देशों से कपास और कपास से संबंधित उत्पादों के लिये बाज़ार पहुंँच की आवश्यकता के बारे में जागरूकता उत्पन्न करता है, स्थायी व्यापार नीतियों को बढ़ावा देता है तथा विकासशील देशों को कपास मूल्य शृंखला के हर चरण से अधिक लाभ प्राप्त करने में सक्षम बनाता है। 
  • राष्ट्रीय स्तर पर: 
    • प्रोजेक्ट SU.RE: SU.RE का तात्पर्य 'सस्टेनेबल रिज़ॉल्यूशन' है। यह भारतीय वस्त्र उद्योग के लिये महत्त्वपूर्ण स्थिरता लक्ष्यों को स्थापित करने के लिये एक व्यापक ढाँचे को क्रमिक रूप से पेश करने की दिशा में पहला समग्र प्रयास है। इसे वर्ष 2020 में लॉन्च किया गया था।
      • उद्देश्य: परियोजना का लक्ष्य सतत् फैशन की ओर अग्रसर होना है जो स्वच्छ वातावरण में योगदान देता है।
    • खादी प्रोत्साहन: खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) खादी उत्पादों को बढ़ावा देता है। उन्होंने खादी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये प्रमुख ब्रांडों के साथ समझौता किया है।
    • ब्राउन कॉटन: ब्राउन कॉटन, देसी कपास की एक स्थानीय (कर्नाटक की) स्वदेशी किस्म है जो अपने प्राकृतिक भूरे रंग के लिये जानी जाती है। यह प्रयास एक व्यापक समावेशी प्रयास है जिसमें पर्यावरण, अर्थव्यवस्था संबंधी लक्ष्यों के साथ-साथ स्थानीय समुदाय की भागीदारी भी शामिल है।

आगे की राह

  • समाग विश्व में लोगों को जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूक किया जाना चाहिये जिससे वे पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के लिये अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन सुनिश्चित करें।
  • पर्यावरणविदों द्वारा उन कंपनियों के विरुद्ध सार्वजनिक अभियान चलाया जाना चाहिये जो पर्यावरण मानकों का अनुपालन नहीं करती हैं और उनके द्वारा निर्मित किसी भी उत्पाद को खरीदने से बचना चाहिये। 
  • संपूर्ण देश की सरकारों को कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) में वृद्धि करनी चाहिये जिसमें पर्यावरण को नुकसान पहुंँचाने पर कंपनियों को भुगतान करने की आवश्यकता होती है। यह उन्हें सतत् प्रथाओं को अपनाने के लिये प्रेरित करेगा।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. 'अभीष्ट राष्ट्रीय निर्धारित अंशदान (Intended Nationally Determined Contributions)’ पद को कभी-कभी समाचारों में किस संदर्भ में  देखा जाता है? (2016)

(a) युद्ध प्रभावित मध्य-पूर्व के शरणार्थियों के पुनर्वास के लिये यूरोपीय देशों द्वारा दिये गए वचन।
(b) जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिये विश्व के देशों द्वारा बनाई गई कार्य-योजना।
(c) एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक) की स्थापना करने में सदस्य राष्ट्रों द्वारा किया गया पूंजी योगदान। 
(d) धारणीय विकास लक्ष्यों के बारे में विश्व के देशों द्वारा बनाई गई कार्य-योजना।

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • ‘अभीष्ट राष्ट्रीय निर्धारित अंशदान’, UNFCCC के तहत पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले सभी देशों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने के लिये व्यक्त की गई प्रतिबद्धता को बताता है।
  • CoP 21 में दुनिया भर के देशों ने सार्वजनिक रूप से उन कार्रवाइयों की रूपरेखा तैयार की, जिन्हें वे अंतर्राष्ट्रीय समझौते अंतर्गत क्रियान्वयित करना चाहते थे। राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान पेरिस समझौते के दीर्घकालिक लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है जो "वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लिये तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के प्रयासों को बढ़ावा देता हैऔर इस शताब्दी के उत्तरार्द्ध में नेट ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करता है।" अतः विकल्प (b) सही है।

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