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कृषि

प्रमाणित जूट बीज

  • 19 Feb 2021
  • 9 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कपड़ा मंत्रालय द्वारा जूट आई केयर कार्यक्रम (Jute ICARE Program) के तहत प्रमाणित जूट बीज वितरण योजना (Certified Jute Seed Distribution Plan) की शुरुआत की गई है। 

  • वर्ष 2019 में जूट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (Jute Corporation of India-JCI) द्वारा वर्ष 2021-22 हेतु 1,000 मीट्रिक टन जूट के प्रमाणित बीजों (Certified Seeds) के व्यावसायिक वितरण हेतु राष्ट्रीय बीज निगम के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए थे।

प्रमुख बिंदु:

प्रमाणित जूट बीज वितरण योजना:

  • इस योजना के तहत जूट के उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 55% से अधिक क्षेत्र में प्रमाणित बीजों का उपयोग किया जाएगा
    • प्रमाणित बीज (Certified Seed) आधारीय बीज (Foundation Seed) की संतति (Progeny) होता है तथा इसका उत्पादन विशिष्ट आनुवंशिक पहचान और शुद्धता को बनाए रखने के उद्देश्य से  फसल के प्रमाणित मानकों के अनुसार निर्धारित किया जाता है।
  • इस योजना के तहत लगभग 5 लाख किसानों को प्रमाणित बीजों का वितरण किया जाएगा।
  • प्रमाणित जूट बीजों का उपयोग करने से जूट की गुणवत्ता में 1 ग्रेड की वृद्धि के साथ इसकी  उत्पादकता में 15% की वृद्धि हुई है जिससे जूट किसानों की आय में लगभग 10,000 रुपए प्रति हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। 

 जूट आई केयर कार्यक्रम:

  • वर्ष 2015 में  ‘बेहतर खेती और उन्नत रेटिंग अभ्यास’ (जूट आई केयर) कार्यक्रम की  शुरुआत की गई। 
    • कार्यक्रम की शुरुआत नेशनल जूट बोर्ड (National Jute Board- NJB) ने सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन जूट एंड एलाइड फाइबर्स ( Central Research Institute for Research in Jute and Allied Fibres- CRIJAF) और जूट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ( Jute Corporation of India- JCI) के सहयोग से की थी।
  • उद्देश्य: मशीनीकरण द्वारा किसानों के अनुकूल जूट की खेती को बढ़ावा देना तथा जूट की खेती करने वाले किसानों की आय में वृद्धि के लिये माइक्रोबियल कंसोर्टियम (Microbial Consortium) के त्वरित उपयोग को बढ़ावा देना। 
  •  जूट आई केयर कार्यक्रम के तहत उपलब्ध आगत:  
    • रियायती दर पर 100% प्रमाणित बीज उपलब्ध कराना।
    • बीज ड्रिल/नेल वीडर/साइकल वीडर जैसे यंत्रों के वितरण के साथ किसानों के खेतों का अधिग्रहण कर जूट की खेती के विभिन्न वैज्ञानिक तरीके का प्रदर्शन करना।
    • CRIJAF SONA जो कि एक माइक्रोबियल कंसोर्टियम है, का उपयोग करते हुए माइक्रोबियल रिटेनिंग (Microbial Retting) का प्रदर्शन करना तथा किसानों में इसका वितरण करना
      • जूट के पौधों के तने से फाइबर निकालने की प्रक्रिया को रिटेनिंग (Retting) कहा जाता है।
  • जूट आई केयर कार्यक्रम के अंतर्गत सरकार द्वारा अब तक 2.60 लाख किसानों की मदद की गई है।

जूट उद्योग को बढ़ावा देने हेतु उठाए गए अन्य कदम:

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि: जूट हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price- MSP) को वर्ष  2014-15 के 2400 रुपए से बढ़ाकर वर्ष 2020-21 के लिये 4225 रुपए कर दिया गया है। 
  • रिटेनिंग टैंक: जूट किसानों की उत्पादकता, गुणवत्ता और आय को बढ़ाने हेतु  46000 रिटेनिंग टैंकों के निर्माण को मंज़ूरी दी गई है, जिनका निर्माण  केंद्र सरकार की योजनाओं जैसे- मनरेगा, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, आरकेवीवाई और आईसीएआर के तहत किया जाएगा।
    • इससे जूट रिटेनिंग के समय में  7 दिनों की कमी आएगी और जूट का उत्पादन करने वाले राज्यों के ग्रामीण लोगों के लिये 46 लाख मानव-दिनों (Man-days of Employment) का रोज़गार उत्पन्न होगा।
  • जूट पैकेजिंग सामग्री अधिनियम, 1987: इस अधिनियम के तहत सरकार लगभग 4 लाख श्रमिकों और 40 लाख कृषक परिवारों के हितों की रक्षा कर रही है।
    • यह अधिनियम कच्चे जूट और जूट पैकेजिंग सामग्री के उत्पादन और इस कार्य में लगे व्यक्तियों के हितों को देखते हुए कुछ वस्तुओं की आपूर्ति और वितरण हेतु जूट पैकेजिंग सामग्री के अनिवार्य उपयोग का प्रावधान करता है।
  • जूट जियो-टेक्सटाइल्स (JGT): आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs- CCEA) द्वारा एक तकनीकी कपड़ा मिशन को मंज़ूरी दी गई है जिसमें जूट जियो-टेक्सटाइल्स शामिल हैं।
    • JGT सबसे महत्त्वपूर्ण विविध जूट उत्पादों में से एक है। इसे कई क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है जैसे- सिविल इंजीनियरिंग, मृदा अपरदन नियंत्रण, सड़क फुटपाथ निर्माण और नदी तटों का संरक्षण।
  • जूट स्मार्ट:
    • जूट स्मार्ट (Jute SMART) एक ई-गवर्नमेंट  पहल है जिसे दिसंबर 2016 में जूट क्षेत्र में पारदर्शिता को बढ़ावा देने हेतु शुरू किया गया था।
    • यह सरकारी एजेंसियों द्वारा सैकिंग (टाट बोरा बनाने का कपड़ा) की खरीद के लिये एकीकृत मंच प्रदान करता है।
  • राष्ट्रीय जूट बोर्ड और राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थान, अहमदाबाद के मध्य सहयोग:
    • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिज़ाइन (National Institute of Design- NID), अहमदाबाद के इनोवेटिव सेंटर फॉर नेचुरल फाइबर्स (Innovative Centre for Natural Fibres- ICNF) में जूट शॉपिंग बैग्स और लाइफस्टाइल एक्सेसरीज़ के विकास हेतु एक जूट डिजाइन सेल की स्थापना की गई है।

Major-Jute-Producing-states

जूट: 

  • तापमान: 25-35°C के मध्य। 
  • वर्षा की मात्रा: 150-250 cm में मध्य। 
  • मृदा: जलोढ़ प्रकार की।
  • उत्पादन: 
    • भारत जूट का बड़ा उत्पादक देश है।
    • इसका उत्पादन  मुख्य रूप से पूर्वी भारत में गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा की समृद्ध जलोढ़ मिट्टी पर केंद्रित है।
    • प्रमुख जूट उत्पादक राज्यों में पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, आंध्र प्रदेश, मेघालय और त्रिपुरा शामिल हैं।
  • अनुप्रयोग:
    • इसे गोल्डन फाइबर के रूप में जाना जाता है। इसका उपयोग जूट की थैली, चटाई, रस्सी, सूत, कालीन और अन्य कलाकृतियों को बनाने में किया जाता है।
  • सरकारी पहल:
    • जूट के उत्पादों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार द्वारा स्वर्ण फाइबर क्रांति (Golden Fibre Revolution) तथा जूट और मेस्टा पर प्रौद्योगिकी मिशन (Technology Mission on Jute and Mesta) नामक योजनाओं का संचालन किया जा रहा है।
      • अपनी उच्च लागत की वजह से यह सिंथेटिक फाइबर और पैकिंग सामग्री, विशेष रूप से नायलॉन के उत्पादन के कारण बाज़ार खो रहा  है। 

स्रोत: पी.आई.बी

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