सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी | 24 Aug 2022
प्रिलिम्स के लिये:आर्थिक विकास, क्रिप्टोकरेंसी, ब्लॉकचेन, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC), भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)। मेन्स के लिये:सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) - अवसर और संबद्ध जोखिम। |
चर्चा में क्यों?
हाल की रिपोर्टों के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का डिजिटल रुपया सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) चालू वित्त वर्ष में थोक व्यवसायों के साथ शुरू हो सकता है।
- RBI ने भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधन का प्रस्ताव रखा, जो इसे CBDC लॉन्च करने में सक्षम करेगा।
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC)
- परिचय:
- CBDC कागज़ी मुद्रा का डिजिटल रूप है और किसी भी नियामक संस्था द्वारा संचालित नहीं होने वाली क्रिप्टोकरेंसी के विपरीत केंद्रीय बैंक द्वारा जारी और समर्थित वैध मुद्रा है।
- यह फिएट मुद्रा के समान है और फिएट मुद्रा के साथ वन टू वन विनिमय योग्य है।
- फिएट मुद्रा राष्ट्रीय मुद्रा है जो किसी वस्तु की कीमत जैसे सोने या चाँदी की कीमत पर नहीं आँकी जाती है।
- ब्लॉकचेन द्वारा समर्थित वॉलेट का उपयोग करके डिजिटल फिएट मुद्रा या CBDC का लेन-देन किया जा सकता है।
- हालाँकि CBDCs की अवधारणा सीधे बिटकॉइन से प्रेरित थी, यह विकेंद्रीकृत आभासी मुद्राओं और क्रिप्टो संपत्तियों से अलग है जो राज्य द्वारा जारी नहीं की जाती हैं और न ही 'कानूनी निविदा' है।
- उद्देश्य:
- इसका मुख्य उद्देश्य जोखिम का शमन और वास्तविक मुद्रा के प्रबंधन, पुराने नोटों को चरणबद्ध तरीके से हटाने, परिवहन, बीमा एवं रसद से जुड़े लागत को कम करना है।
- यह धन हस्तांतरण के साधन के रूप क्रिप्टोकरेंसी से लोगों को दूर भी रखेगा।
- वैश्विक प्रवृति:
- बहामा अपनी राष्ट्रव्यापी CBDC सैंड डॉलर लॉन्च करने वाली पहली अर्थव्यवस्था है।
- नाइज़ीरिया एक और देश है जिसने वर्ष 2020 में ईनायरा (eNaira) शुरू किया है।
- चीन अप्रैल 2020 में डिजिटल मुद्रा e-CNY का संचालन करने वाली दुनिया की पहली बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया।
- कोरिया, स्वीडन, जमैका और यूक्रेन कुछ ऐसे देश हैं जिन्होंने अपनी डिजिटल मुद्रा का परीक्षण शुरू कर दिया है और कई और जल्द ही इसका अनुसरण कर सकते हैं।
CBDC के लाभ और चुनौतियाँ:
- लाभ:
- परंपरा और नवोन्मेष का संयोजन:
- CBDC मुद्रा प्रबंधन लागत को कम करके धीरे-धीरे आभासी मुद्रा की ओर एक सांस्कृतिक बदलाव ला सकता है।
- CBDC की परिकल्पना दोनों पक्षों के सर्वश्रेष्ठ को साथ लाने के लिये की गई है:
- जहाँ क्रिप्टोकरेंसी जैसे डिजिटल रूपों की सुविधा एवं सुरक्षा
- पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली का विनियमित, आरक्षित-समर्थित धन परिसंचरण शामिल है।
- सीमा-पार आसानी से भुगतान:
- CBDC एक विश्वसनीय संप्रभु समर्थित घरेलू भुगतान और निपटान प्रणाली को आंशिक रूप से कागजी मुद्रा को प्रतिस्थापित करने के लिये एक आसान साधन प्रदान कर सकता है।
- इसका उपयोग सीमा-पार भुगतान (Cross-Border Payments) के लिये भी किया जा सकता है; यह सीमा-पार भुगतानों के निपटान के लिये कोरेस्पोंडेंट बैंकों के महंगे नेटवर्क की आवश्यकता को समाप्त कर सकता है।
- वित्तीय समावेशन:
- बेहतर कर एवं नियामक अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु असंगठित अर्थव्यवस्था को संगठित क्षेत्र की ओर आगे बढ़ाने के लिये कई अन्य वित्तीय गतिविधियों के संबंध में भी CBDC के बढ़ते उपयोग की तलाश की जा सकती है।
- यह वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने का मार्ग भी प्रशस्त कर सकता है।
- परंपरा और नवोन्मेष का संयोजन:
- चुनौतियाँ:
- गोपनीयता से संबद्ध मुद्दे :
- केंद्रीय बैंक संभावित रूप से उपयोगकर्त्ता से लेन-देन के संबंध में बड़ी मात्रा में डेटा को संगृहीत करेगा जो व्यक्ति की निजता/ गोपनीयता के लिये जोखिम उत्पन्न करता है।
- इसके गंभीर निहितार्थ हैं क्योंकि नकदी लेन-देन की तुलना में डिजिटल मुद्राओं का लेन-देन उपयोगकर्त्ताओं की गोपनीयता की उस स्तर तक सुरक्षित करने में सक्षम नहीं हैं।
- साख का समझौता इसमें प्रमुख मुद्दा है।
- केंद्रीय बैंक संभावित रूप से उपयोगकर्त्ता से लेन-देन के संबंध में बड़ी मात्रा में डेटा को संगृहीत करेगा जो व्यक्ति की निजता/ गोपनीयता के लिये जोखिम उत्पन्न करता है।
- बैंकों की मध्यस्थता में कमी:
- यदि पर्याप्त रूप से बड़े और व्यापक-आधारित CBDCs में बदलाव आता है तो यह बैंक की साख मध्यस्थता में धन वापस करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
- यदि ई-कैश लोकप्रिय हो जाता है और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) उस राशि की कोई सीमा नहीं रखता है जिसे मोबाइल वॉलेट में संग्रहीत किया जा सकता है तो ऐसी स्थिति में कमज़ोर बैंक निम्न-लागत वाली जमा राशि को भी बनाए रखने के लिये संघर्ष कर सकते हैं।
- अन्य जोखिम:
- प्रौद्योगिकी का तीव्र अप्रचलन CBDCs पारिस्थितिकी तंत्र के लिये खतरा पैदा कर सकता है; परिणामस्वरूप उन्नयन की उच्च लागत को वहन करना पड़ सकता है।
- मध्यस्थों के परिचालन जोखिम के रूप में कर्मचारियों को CBDCs के अनुकूल कार्य करने के लिये फिर से प्रशिक्षित और तैयार करना होगा।
- उन्नत साइबर सुरक्षा जोखिम भेद्यता परीक्षण और फायरवॉल की सुरक्षा की लागत।
- CBDCs के प्रबंधन में केंद्रीय बैंक के लिये परिचालन बोझ और लागत।
- गोपनीयता से संबद्ध मुद्दे :
आगे की राह:
- CBDCs में व्याप्त कमियों को दूर करने के लिये भुगतान और निपटान प्रणाली में सुधार के लिये इसका भुगतान-केंद्रित उपयोग होना चाहिये।
- तब यह मध्यस्थता के जोखिम और इसके प्रमुख मौद्रिक नीति प्रभावों से बचने के लिये मूल्य के भंडार के रूप में सेवा से दूर हो सकता है।
- केंद्रीय बैंक के पास एक केंद्रीकृत प्रणाली में संग्रहीत डेटा से उत्पन्न गंभीर सुरक्षा जोखिम को कम करने और डेटा उल्लंघनों को रोकने के लिये मज़बूत डेटा सुरक्षा प्रणाली को स्थापित करना होगा।
- अतः उच्च-स्तरीय तकनीक का उपयोग अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, जो CBDC के मुद्दे का समाधान प्रस्तुत करेगा।
- यदि भुगतान लेन-देन इसी प्रणाली का उपयोग करके किया जाता है, तो CBDC के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचे को उपलब्ध कराना चुनौतीपूर्ण बना रहेगा।
- RBI को प्रौद्योगिकी परिदृश्य को अच्छी तरह से आकलित करना होगा और CBDCs को शुरू करने के लिये उचित तकनीक के साथ सावधानी से आगे बढ़ना होगा।
- डिजिटल मुद्रा लेन-देन पर एकत्रित वित्तीय डेटा प्रकृति में संवेदनशील होगा अतः सरकार को नियामकों के संदर्भ में सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिये।
- इसके लिये बैंकिंग और डेटा सुरक्षा नियामकों के बीच घनिष्ठ संपर्क की आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रिलिम्स: प्रश्न:“ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी” के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (वर्ष 2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) व्याख्या:
अतः विकल्प (d) सही है। प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (a) केवल 1और 3 उत्तर: (b)
प्रश्न. क्रिप्टोकरेंसी क्या है? यह वैश्विक समाज को कैसे प्रभावित करता है? क्या यह भारतीय समाज को भी प्रभावित कर रहा है? (मुख्य परीक्षा- 2021) |