भारतीय अर्थव्यवस्था
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी
- 30 Nov 2021
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय रिज़र्व बैंक, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी मेन्स के लिये:सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी- महत्त्व और चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधन का प्रस्ताव दिया है जो इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लॉन्च करने में सक्षम बनाएगा और इस प्रकार डिजिटल रूप में मुद्रा को शामिल करने के लिये 'बैंक नोट' की परिभाषा का दायरा बढ़ाएगा।
- वर्तमान संसद सत्र में क्रिप्टोकरेंसी पर एक विधेयक पेश करने की सरकार की योजना के बीच यह कदम उठाया गया है जो कुछ अपवादों के साथ भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने का प्रयास करता है।
प्रमुख बिंदु
- सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी:
- CBDC फिएट करेंसी (Fiat Currency) का एक डिजिटल रूप है जिसमे लेन-देन के लिये ब्लॉकचेन द्वारा समर्थित वॉलेट का उपयोग किया जा सकता है तथा इसे केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित किया जाता है। यह केंद्रीय बैंक द्वारा जारी डिजिटल रूप में एक कानूनी निविदा है।
- फिएट मनी (Fiat money) सरकार द्वारा जारी मुद्रा है जो सोने जैसी कमोडिटी द्वारा समर्थित नहीं है। फिएट मनी केंद्रीय बैंकों को अर्थव्यवस्था पर अधिक नियंत्रण प्रदान करती है क्योंकि वे नियंत्रित कर सकते हैं कि कितना पैसा मुद्रित किया जाता है।
- हालाँकि CBDCs की अवधारणा सीधे बिटकॉइन से प्रेरित थी, यह विकेंद्रीकृत आभासी मुद्राओं और क्रिप्टो संपत्तियों से अलग है जो राज्य द्वारा जारी नहीं की जाती हैं और न ही 'कानूनी निविदा' है।
- CBDC फिएट करेंसी (Fiat Currency) का एक डिजिटल रूप है जिसमे लेन-देन के लिये ब्लॉकचेन द्वारा समर्थित वॉलेट का उपयोग किया जा सकता है तथा इसे केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित किया जाता है। यह केंद्रीय बैंक द्वारा जारी डिजिटल रूप में एक कानूनी निविदा है।
- ज़रूरत:
- कदाचार को संबोधित करना:
- एक संप्रभु डिजिटल मुद्रा की आवश्यकता मौजूदा क्रिप्टोकरेंसी की अराजक प्रवृति के कारण उत्पन्न होती है जिसमें उनका निर्माण और रखरखाव जनता के हाथों में होता है।
- डिजिटल मुद्रा को विनियमित कर केंद्रीय बैंक उनके कदाचार पर रोक लगा सकता है।
- एक संप्रभु डिजिटल मुद्रा की आवश्यकता मौजूदा क्रिप्टोकरेंसी की अराजक प्रवृति के कारण उत्पन्न होती है जिसमें उनका निर्माण और रखरखाव जनता के हाथों में होता है।
- अस्थिरता को संबोधित करना:
- चूँकि क्रिप्टोकरेंसी किसी भी संपत्ति या मुद्रा से जुड़ी नहीं है, इसका मूल्य पूरी तरह से मांग और आपूर्ति के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
- इसके कारण बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी के मूल्य में भारी उतार-चढ़ाव देखा जाता है।
- डिजिटल मुद्रा छद्म युद्ध के रूप में :
- भारत एक छद्म डिजिटल मुद्रा युद्ध के बवंडर में फँसने का ज़ोखिम उठाता है क्योंकि अमेरिका और चीन नए जमाने के वित्तीय उत्पादों को पेश करके अन्य बाज़ारों में वर्चस्व हासिल करने के लिये संघर्ष करते हैं।
- एक संप्रभु डिजिटल रुपया केवल वित्तीय नवाचार का मामला नहीं है, बल्कि अपरिहार्य छद्म युद्ध को रोकने के लिये आवश्यक है जो हमारी राष्ट्रीय तथा वित्तीय सुरक्षा के लिये खतरा है।
- भारत एक छद्म डिजिटल मुद्रा युद्ध के बवंडर में फँसने का ज़ोखिम उठाता है क्योंकि अमेरिका और चीन नए जमाने के वित्तीय उत्पादों को पेश करके अन्य बाज़ारों में वर्चस्व हासिल करने के लिये संघर्ष करते हैं।
- डॉलर पर निर्भरता कम करना:
- डिजिटल रुपया भारत को अपने रणनीतिक भागीदारों के साथ व्यापार के लिये एक बेहतर मुद्रा के रूप में डिजिटल रुपए का प्रभुत्व स्थापित करने का अवसर प्रदान करता है जिससे डॉलर पर निर्भरता कम होगी।
- निजी मुद्रा का आगमन:
- यदि इन निजी मुद्राओं को मान्यता मिलती है तो सीमित परिवर्तनीयता वाली राष्ट्रीय मुद्राओं को खतरा उत्पन्न हो सकता है।
- कदाचार को संबोधित करना:
- महत्त्व:
- यह बिना किसी अंतर-बैंक निपटान के वास्तविक समय के भुगतान को सक्षम करते हुए मुद्रा प्रबंधन की लागत को कम करेगा।
- भारत का मुद्रा-जीडीपी अनुपात (Currency-to-GDP ratio) CBDC का एक और अन्य लाभ है, जहांँ बड़े पैमाने पर नकदी का उपयोग होता है। (CBDC) द्वारा इसे प्रतिस्थापित किया जा सकता है जिससे कागज़ी मुद्रा की छपाई, परिवहन और भंडारण की लागत को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- यह निजी आभासी मुद्राओं के उपयोग से जनता को होने वाले नुकसान को भी कम करेगा।
- यह उपयोगकर्त्ता को घरेलू औ र सीमा पार दोनों प्रकार के लेन-देन में सक्षम करेगा जिसके लिये किसी तीसरे पक्ष या बैंक की आवश्यकता नहीं होती है।
- इसमें महत्त्वपूर्ण लाभ प्रदान करने की क्षमता है, जैसे- नकदी पर कम निर्भरता, कम लेन-देन की लागत के कारण उच्च पदभार और कम निपटान जोखिम।
- यह संभवतः एक अधिक मज़बूत, कुशल, विश्वसनीय, विनियमित और कानूनी निविदा-आधारित भुगतान विकल्प की ओर भी ले जाएगा।
- मुद्दे:
- RBI की जांँच के तहत कुछ प्रमुख मुद्दों में शामिल हैं- सीबीडीसी का दायरा, अंतर्निहित तकनीक, सत्यापन तंत्र और डिस्ट्रीब्यूशन आर्किटेक्चर।
- साथ ही कानूनी परिवर्तन आवश्यक होंगे क्योंकि वर्तमान प्रावधान भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के तहत भौतिक रूप में मुद्रा को ध्यान में रखते हुए किये गए हैं।
- सिक्का अधिनियम, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में भी परिणामी संशोधन की आवश्यकता होगी।
- पहले से तनावग्रस्त बैंकों से धन की अचानक निकासी एक और चिंता का विषय है।
- हालिया विकास:
- मध्य अमेरिका का एक छोटा सा तटीय देश अल सल्वाडोर, बिटकॉइन को कानूनी निविदा के रूप में अपनाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।
- ब्रिटेन, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (ब्रिटकॉइन) बनाने की संभावना तलाश रहा है।
- वर्ष 2020 में चीन ने अपनी आधिकारिक डिजिटल मुद्रा का परीक्षण शुरू किया जिसे अनौपचारिक रूप से "डिजिटल मुद्रा इलेक्ट्रॉनिक भुगतान, डीसी/ईपी" (Digital Currency Electronic Payment, DC/EP) कहा जाता है।
- अप्रैल 2018 में RBI ने बैंकों और अन्य विनियमित संस्थाओं को क्रिप्टो लेन-देन का समर्थन करने से प्रतिबंधित कर दिया, क्योंकि धोखाधड़ी के लिये डिजिटल मुद्राओं का उपयोग किया गया था। मार्च 2020 में सर्वोच न्यायालय ने प्रतिबंध को असंवैधानिक करार दिया।
आगे की राह
- एक डिजिटल रुपए का निर्माण भारत को अपने नागरिकों को सशक्त बनाने और हमारी लगातार बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था में इसका स्वतंत्र रूप से उपयोग करने तथा पुरानी बैंकिंग प्रणाली से मुक्त होने में सक्षम बनाने का अवसर प्रदान करेगा।
- मैक्रोइकॉनमी और तरलता, बैंकिंग सिस्टम एवं मुद्रा बाज़ारों पर इसके प्रभाव को देखते हुए नीति निर्माताओं के लिये भारत में डिजिटल रुपए की संभावनाओं पर पूरी तरह से विचार करना अनिवार्य है।