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भारतीय अर्थव्यवस्था

अल सल्वाडोर में बिटकॉइन को कानूनी मान्यता

  • 12 Jun 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये

अल सल्वाडोर अवस्थिति, बिटकॉइन 

मेन्स के लिये

बिटकॉइन को कानूनी मान्यता दिये जाने के निहितार्थ, क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भारत की स्थिति

चर्चा में क्यों?

मध्य अमेरिका का एक छोटा सा तटीय देश अल सल्वाडोर बिटकॉइन को कानूनी निविदा के रूप में अपनाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।

  • कानूनी निविदा का आशय किसी विशिष्ट राजनीतिक अधिकार क्षेत्र के भीतर कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त धन से होता है।

EL-Salvador

प्रमुख बिंदु

बिटकॉइन

  • परिचय
    • बिटकॉइन एक प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी है, जिसे वर्ष 2009 में प्रस्तुत किया गया था और जो किसी को भी तुरंत भुगतान करने में सक्षम बनाती है।
      • क्रिप्टोकरेंसी एक विशिष्ट प्रकार की आभासी मुद्रा है, जो क्रिप्टोग्राफिक एन्क्रिप्शन तकनीकों द्वारा विकेंद्रीकृत और संरक्षित होती है।
      • बिटकॉइन, एथेरियम और रिपल आदि क्रिप्टोकरेंसी के उल्लेखनीय उदाहरण हैं।
    • बिटकॉइन एक ओपन-सोर्स प्रोटोकॉल पर आधारित है और किसी केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा जारी नहीं किया जाता है।
  • प्रयोग
    • मूलतः बिटकॉइन का उद्देश्य फिएट मनी का विकल्प प्रदान करना और दो शामिल पक्षों के बीच प्रत्यक्ष विनिमय का एक सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत माध्यम बनना था।
    • फिएट मनी सरकार द्वारा जारी मुद्रा होती है जो सोने जैसी कमोडिटी द्वारा समर्थित नहीं होती है।

इस निर्णय के कारण

  • प्रेषण का नुकसान
    • अल सल्वाडोर विदेशों से श्रमिकों द्वारा भेजे गए धन पर बहुत अधिक निर्भर करता है।
    • बिटकॉइन को अपनाने से यह प्रेषण की प्रकिया तीव्र और सुगम हो सकती है।
  • वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना
    • इससे देश में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलने की भी उम्मीद है, क्योंकि अधिकांश आबादी की औपचारिक बैंकिंग चैनलों तक पहुँच नहीं है।

चिंताएँ

  • एक केंद्रीय नियामक प्राधिकरण की अनुपस्थिति में बिटकॉइन को वैध बनाने से धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग, उच्च ऊर्जा लागत और अत्यधिक अस्थिरता की संभावना काफी अधिक बढ़ गई है।

क्रिप्टो वर्ल्ड के लिये इसके निहितार्थ

  • यह संभावित रूप से कमज़ोर अर्थव्यवस्था वाले अन्य छोटे देशों को क्रिप्टो को फिएट मुद्राओं के विकल्प के रूप में मान्यता देने के लिये प्रोत्साहित करेगा, जिससे दुनिया भर में क्रिप्टोकरेंसी को मुख्यधारा के रूप में अपनाने का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।
  • पहले से ही वेनेजुएला और कई अफ्रीकी देशों ने क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करना शुरू कर दिया है, क्योंकि उनकी मुद्राओं में तीव्रता से कमी देखने को मिल रही है।

भारत के लिये संदेश

  • मौद्रिक नीति का अभाव 
    • अल सल्वाडोर की अपनी कोई मौद्रिक नीति नहीं है, इसलिये रक्षा हेतु कोई स्थानीय मुद्रा भी नहीं है। यह अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की मौद्रिक नीति का अनुसरण करता है।
      • इसलिये फेडरल रिज़र्व की नीतियों में कोई भी बदलाव निश्चित रूप से देश को प्रभावित करेगा। अतः वह ऐसे क्रिप्टोकरेंसी जैसे विकल्पों पर विचार कर रहा है।
    • चूँकि, भारत के पास अपनी मुद्रा और एक केंद्रीय बैंक है, इसलिये बिटकॉइन और रुपए का साथ-साथ सह-अस्तित्व मुश्किल हो सकता है।
  • प्रेषण पर प्रभाव
    • भारत ज़रूर बिटकॉइन के प्रेषण प्रवाह पर प्रभाव की निगरानी करेगा, क्योंकि भारत विश्व में सबसे अधिक प्रेषण प्राप्त करता है।
      • विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत को वर्ष 2020 में प्रेषण के रूप में 83 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक प्राप्त हुआ था।
  • मनी लॉन्ड्रिंग पर प्रभाव
    • मनी लॉन्ड्रिंग के लिये इस कदम के निहितार्थ फिलहाल स्पष्ट नहीं हैं।
    • वर्तमान में अल साल्वाडोर को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की सूची के तहत शामिल नहीं किया गया है।
    • हालाँकि व्यापक पैमाने पर क्रिप्टोकरेंसी प्रवाह और बहिर्वाह के साथ यह उम्मीद की जा सकती है कि अल सल्वाडोर आभासी मुद्राओं पर वर्ष 2019 में जारी FATF दिशा-निर्देशों का पालन करेगा।

क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भारत की मौजूदा स्थिति

  • वर्ष 2018 में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक सर्कुलर जारी किया जिसमें सभी बैंकों को क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन न करने का निर्देश दिया गया था। इस सर्कुलर को सर्वोच्च न्यायालय ने मई 2020 में असंवैधानिक घोषित कर दिया था।
  • हाल ही में सरकार ने एक विधेयक पेश करने की घोषणा की है। क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा का विनियमन विधेयक, 2021 नामक इस विधेयक का उद्देश्य एक संप्रभु डिजिटल मुद्रा बनाना और साथ ही सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाना है।
  • भारत में भारतीय ब्लॉकचेन स्टार्ट-अप्स में जाने वाली धनराशि वैश्विक स्तर पर ब्लॉकचैन क्षेत्र द्वारा जुटाई गई राशि के 0.2 प्रतिशत से भी कम है।

आगे की राह

  • अल सल्वाडोर के इस निर्णय को मुख्यतः मौद्रिक अर्थ में नहीं, बल्कि इस उदाहरण के रूप में लिया जा सकता है कि अल सल्वाडोर का यह निर्णय ब्लॉकचेन जैसे उभरते क्षेत्रों में कार्यरत नवप्रवर्तकों और उद्यमियों के लिये कितना महत्त्वपूर्ण है।
  • यह वह धन है जो भारत के पास उपलब्ध तो है, किंतु नीतिगत रूप से संरक्षित नहीं है।
  • यद्यपि भारत में क्रिप्टोकरेंसी के मौद्रिक और वित्तीय नियमों पर विचार-विमर्श जारी है, यह महत्त्वपूर्ण है कि इस क्षेत्र में प्रमुख नवाचारों पर काम कर रहे भारत के डेवलपर्स को प्रोत्साहन देने पर भी ध्यान दिया जाए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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