भारतीय इतिहास
बिज़नेस रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड सस्टेनेबिलिटी रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क
- 18 Sep 2023
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स, बिज़नेस रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड सस्टेनेबिलिटी रिपोर्टिंग, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, योजना आयोग, SEBI मेन्स के लिये:भारत में कॉर्पोरेट प्रशासन में सुधार के उपाय |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स (IICA) ने मुंबई में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) परिसर में यूनिसेफ और NSE के सहयोग से बिज़नेस रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड सस्टेनेबिलिटी रिपोर्टिंग (BRSR) पर एक कार्यशाला का आयोजन किया।
बिज़नेस रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड सस्टेनेबिलिटी रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क:
- बिज़नेस रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड सस्टेनेबिलिटी रिपोर्टिंग शीर्ष 1000 सूचीबद्ध कंपनियों अथवा व्यवसायों के लिये पर्यावरण, सामाजिक और कॉर्पोरेट प्रशासन (ESG) मापदंडों पर अपने प्रदर्शन की रिपोर्ट करने व उत्तरदायित्वपूर्ण व्यावसायिक प्रथाओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने के लिये एक अनिवार्य स्पष्टीकरण तंत्र (Mandatory Disclosure Mechanism) है।
- वर्ष 2021 में SEBI ने बिज़नेस रिस्पॉन्सिबिलिटी रिपोर्ट्स (BRR) को बिज़नेस रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड सस्टेनेबिलिटी रिपोर्टिंग (BRSR) से प्रतिस्थापित कर दिया।
- नेशनल गाइडलाइन फॉर रिस्पॉन्सिबल बिज़नेस कंडक्ट (NGRBC) में कुल नौ सिद्धांत हैं, ये BRSR की बुनियाद के रूप में कार्य करते हैं। ये नौ सिद्धांत इस प्रकार हैं:
- व्यवसायों को निष्ठापूर्वक और नैतिक, पारदर्शी व जवाबदेह तरीके से व्यवसाय को संचालित एवं शासित करना चाहिये।
- व्यवसायों को धारणीय व सुरक्षित वस्तु एवं सेवाएँ प्रदान करनी चाहिये।
- व्यवसायों को अपनी मूल्य शृंखला सहित सभी कर्मचारियों के कल्याण को बढ़ावा देना चाहिये एवं उनका सम्मान करना चाहिये।
- व्यवसायों को अपने सभी हितधारकों के हितों का ख्याल रखना चाहिये और उनके प्रति उत्तरदायी होना चाहिये।
- व्यवसायों को मानवाधिकारों का सम्मान करना चाहिये तथा उन्हें बढ़ावा देना चाहिये।
- व्यवसायों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होना चाहिये और उसकी रक्षा के प्रयास करने चाहिये।
- सार्वजनिक और नियामक नीतियों के निर्माण में सहभागिता के दौरान व्यवसायों को ज़िम्मेदार एवं पारदर्शिता के साथ कार्य करना चाहिये।
- व्यवसायों को समावेशी और समान विकास को बढ़ावा देना चाहिये।
- व्यवसायों को ज़िम्मेदारी के साथ अपने उपभोक्ताओं के साथ जुड़ना चाहिये और उनका सम्मान करना चाहिये।
पर्यावरणीय, सामाजिक और कॉर्पोरेट प्रशासन (ESG):
- यह दिशानिर्देशों का एक समूह है जो कंपनियों के लिये अपने संचालन में बेहतर मानकों का पालन करना अनिवार्य बनाता है, इसके अंतर्गत बेहतर प्रशासन, नैतिक आचरण, पर्यावरणीय रूप से सतत् प्रथाएँ और सामाजिक उत्तरदायित्त्व शामिल हैं।
- वर्ष 2006 में यूनाइटेड नेशंस प्रिंसिपल फॉर रिस्पॉन्सिबल इन्वेस्टमेंट (United Nations Principles for Responsible Investment- UN-PRI) के आरंभ के साथ ESG ढाँचे को आधुनिक समय के व्यवसायों की एक अविभाज्य कड़ी के रूप में मान्यता दी गई है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स:
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स (IICA) को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत 12 सितंबर, 2008 को एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत किया गया था।
- IICA की स्थापना के प्रस्ताव को फरवरी 2007 में योजना आयोग द्वारा अनुमोदित किया गया था।
- यह एक स्वायत्त संस्थान है और अनुसंधान, शिक्षा तथा वकालत के अवसर प्रदान करने हेतु कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के तत्त्वावधान में कार्य करता है।
- यह एक थिंक टैंक भी है जो नीति निर्माताओं, नियामकों के साथ-साथ कॉर्पोरेट मामलों के क्षेत्र में कार्य करने वाले अन्य हितधारकों के लिये डेटा और ज्ञान का भंडार तैयार करता है।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष:
- संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF), जिसे मूल रूप से संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष के रूप में जाना जाता है, 11 दिसंबर, 1946 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा बनाया गया था, इसकी स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध से तबाह हुए देशों में बच्चों एवं माताओं को आपातकालीन भोजन तथा स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिये की गई थी।
- वर्ष 1950 में UNICEF के अधिदेश को विकासशील देशों में बच्चों एवं महिलाओं की दीर्घकालिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये विस्तारित किया गया था।
- वर्ष 1953 में यह संयुक्त राष्ट्र प्रणाली का एक स्थायी हिस्सा बन गया।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज:
- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) भारत का एक प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज बाज़ार है जो भारत में पूरी तरह से स्वचालित स्क्रीन आधारित ट्रेडिंग प्रदान करता है।
- NSE को वर्ष 1992 में शामिल किया गया था। इसे अप्रैल 1993 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा स्टॉक एक्सचेंज के रूप में मान्यता दी गई थी और वर्ष 1994 में थोक ऋण बाज़ार के शुभारंभ के साथ परिचालन शुरू किया गया था।
- इसकी अधिक लोकप्रिय पेशकशों में से एक NIFTY 50 इंडेक्स है, जो भारतीय इक्विटी बाज़ार में सबसे बड़ी संपत्ति को ट्रैक करता है।