भारत में लाइटहाउस पर्यटन को प्रोत्साहन | 15 Jul 2024
प्रिलिम्स के लिये:मैरीटाइम इंडिया विज़न (MIV) 2030, ऋग्वेद, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, लाइटहाउस, मामल्लपुरम, सागरमाला पहल मेन्स के लिये:लाइटहाउस पर्यटन को को प्रोत्साहन, मैरीटाइम इंडिया विज़न (MIV) 2030, विकास और संधारणीय पर्यटन प्रथाएँ |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री ने केरल के विझिनजाम में दीप स्तंभ और दीपपोत महानिदेशालय (Directorate General of Lighthouses and Lightships) द्वारा आयोजित हितधारकों की बैठक के दौरान भारत में मैरीटाइम इंडिया विज़न (MIV) 2030 और मैरीटाइम अमृत काल विज़न 2047 के तहत लाइटहाउस पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना की घोषणा की।
लाइटहाउस क्या है?
- परिचय: लाइटहाउस/दीपस्तंभ एक प्रकार का टावर, इमारत या अन्य प्रकार की संरचना है जिसे लैंप और लेंस की प्रणाली से प्रकाश उत्सर्जित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है तथा इनका उपयोग नाविकों एवं स्थानीय मछुआरों हेतु नौचालन सहायता के रूप में किया जाता है। लाइटहाउस खतरनाक समुद्री तटों, परिसंकटमय रेतिले क्षेत्र, चट्टानों आदि को चिह्नित करने के साथ-साथ बंदरगाहों में सुरक्षित प्रवेश भी उपलब्ध कराते हैं।
- वर्तमान में भारत के जलीय क्षेत्र के समुद्री तट और द्वीपों पर अब तक 194 दीपस्तंभों की स्थापना और रखरखाव का कार्य किया जा रहा है।
- ऐतिहासिक भूमिका:
- पौराणिक संबंध: ‘मनु’ को बाढ़ से बचाए जाने संबंधी कथाएँ समुद्र और नौवहन के संबंध में भारत के प्रारंभिक ज्ञान को उजागर करती है।
- 7वीं शताब्दी ई. में, पल्लव राजा नरसिंहवर्मन-I ने जहाज़ों के नौचालन हेतु लकड़ी की आग का उपयोग करते हुए मामल्लपुरम (महाबलीपुरम) में एक लाइटहाउस की स्थापना की।
- यह लाइटहाउस यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, शोर मंदिर परिसर के अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है।
महत्त्वपूर्ण आधुनिक लाइटहाउस:
लाइटहाउस |
विवरण |
इमेज |
तांगसेरी लाइटहाउस, कोल्लम, केरल |
यह केरल में अंग्रेज़ों द्वारा निर्मित सबसे ऊँचा लाइटहाउस है। इसे सफेद और लाल रंग से रंगा गया है जो इसे आकर्षक बनाता है। |
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महाबलीपुरम लाइटहाउस, तमिलनाडु |
यह औपनिवेशिक काल का प्राचीन लाइटहाउस है जो पल्लव वंश के महेंद्र पल्लव द्वारा बनवाए गए प्राचीन लाइटहाउस के समीप स्थित है। हालाँकि यह क्रियाशील नहीं है किंतु पर्यटक के लिये खुला है। |
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कौप बीच लाइटहाउस, उडुपी, कर्नाटक |
मूलतः इसका निर्माण वर्ष 1901 में अंग्रेज़ों ने किया था और विगत कुछ वर्षों में इसमें कई सुधार किये गए हैं जिसमें विभिन्न लाइटिंग उपकरण संस्थापित किये गए। |
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विझिनजाम लाइटहाउस, कोवलम, केरल |
वर्ष 1925 में कोलाचल में एक लाइट बीकन स्थापित किया गया था और उसके पश्चात् 1960 में विझिनजाम में एक डे मार्क बीकन प्रदान किया गया। एक प्रमुख लाइटहाउस निर्माण वर्ष 1972 में पूरा हुआ था। यह भारत के प्राचीनतम और सबसे अद्भुत लाइटहाउस में से एक है। |
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अगुआड़ा किला लाइटहाउस, गोवा |
यह पुर्तगाली द्वारा निर्मित एक सुव्यवस्थित रूप से संरक्षित संरचना है जो गोवा में स्थित प्रमुख स्थलों में से एक। यहाँ से समुद्र का अद्भुत नज़ारा देखा जा सकता है जो इसे पर्यटकों के लिये एक महत्त्वपूर्ण स्थल बनाता है। |
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चंद्रभागा, ओडिशा |
यह लाइटहाउस कोणार्क मंदिर के समीप स्थित है सुपर साइक्लोन (1999), फैलिन (2013) और फानी (2019) जैसे भीषण चक्रवातों का सामना किया है। |
टिप्पणी: तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में, टॉलेमी द्वितीय ने प्राचीन दुनिया के सात अजूबों में से एक, अलेक्जेंड्रिया के प्रसिद्ध फारोस (अलेक्जेंड्रिया का लाइटहाउस) का निर्माण करवाया था।
- उच्च गुणवत्ता वाले केदान पत्थर की ईंटों से बना यह टॉवर पिघले हुए सीसे में जड़ा हुआ था, जिसे 1600 वर्षों तक संचालित किया गया था। 13वीं शताब्दी ईस्वी में, एक भयंकर भूकंप के कारण यह क्षतिग्रस्त हो गया।
भारत में आधुनिक लाइटहाउस की क्या भूमिका है?
- आधुनिक लाइटहाउस जहाज़ों का दिशा प्रदर्शित करने, बंदरगाहों को चिह्नित करने और सिग्नल भेजने में सहायता करते हैं, जो जीपीएस तकनीक के लिये मूल्यवान आधार के रूप में काम करते हैं।
- वर्ष 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद, तटीय निगरानी के लिये लाइटहाउसों को अत्याधुनिक राडार से लैस किया गया था।
- भारत सरकार ने मछुआरों और लाइटहाउस के बीच संचार की सुविधा के लिये स्वचालित पहचान प्रणाली (AIS) की स्थापना की।
- नेविगेशन के लिये समुद्री सहायता अधिनियम 2021 का उद्देश्य लाइटहाउस के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मूल्य में वृद्धि करना है।
- गोवा में इंडियन लाइटहाउस फेस्टिवल जैसे आयोजन इन संरचनाओं की विरासत और पर्यटन क्षमता को प्रदर्शित करते हैं। कई लाइटहाउस अब पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं, जो ऐतिहासिक अंतर्दृष्टि और आश्चर्यजनक दृश्य प्रस्तुत करते हैं।
आधुनिक नौवहन सहायक उपकरण
- लाइट वेसल्स (Light Vessels): ऐसी परिस्थितियों में जहाँ लाइटहाउस बनाना संभव नहीं होता, इन फ़्लोटिंग लाइट वेसल्स का इस्तेमाल अलग-अलग उथले जल या जल के नीचे के खतरों की पहचान करने के लिये किया जाता है। वे रोशनी और ऑप्टिकल उपकरणों का उपयोग करके जहाज़ के झुकाव को रोकती है।
- प्लव (Buoys): प्लव नाविकों को नेविगेशनल दिशाएँ प्रदान करते हैं। आरंभ में एसिटिलीन गैस का उपयोग करते हुए, वे अब सौर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल द्वारा संचालित इलेक्ट्रिक लाइट पर काम करते हैं।
- एम. एफ. रेडियो बीकन (M.F Radio Beacons): वर्ष 1955-60 के बीच स्थापित, इन्हें समुद्री स्थिति में बेहतर सटीकता के लिये डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (DGPS) द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था।
- रैकन्स (Racons): ये रडार ट्रांसपोंडर बीकन जहाज़ के रडार को एक विशिष्ट कूट सिग्नल भेजते हैं, जो रेंज, दिशा और पहचान संबंधी डेटा प्रदान करते हैं।
भारत में लाइटहाउस पर्यटन को बढ़ावा देने के क्या लाभ हैं?
- सांस्कृतिक विरासत: लाइटहाउस ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मूल्य प्रदान करते हैं, जिससे वे शैक्षणिक केंद्र के रूप में कार्य करते हैं, साथ ही गोवा के ऐतिहासिक किले अगुआड़ा में आयोजित भारत का प्रथम लाइटहाउस महोत्सव "भारतीय प्रकाश स्तंभ उत्सव" जैसे कार्यक्रम भारत की समृद्ध समुद्री विरासत का उत्सव मनाते हैं, जो ऐतिहासिक लाइटहाउस के प्रति जागरूकता तथा प्रशंसा को बढ़ावा देते हैं, जिन्हें पूर्व में वृहद् स्तर पर नज़रअंदाज़ किया गया है।
- नौवहन के लिये नौचालन के लिये सामुद्रिक सहायता अधिनियम, 2021 के तहत, कुछ प्रकाशस्तंभों को विरासत स्थल के रूप में नामित किया जा सकता है, जिससे उनकी भूमिका नौवहन सहायता से आगे बढ़कर सांस्कृतिक और शैक्षिक उद्देश्यों तक विस्तारित हो जाएगी।
- लाइटहाउस विजिट करने से व्यापार, विजय और यात्रा में उनकी सदियों पुरानी भूमिका की झलक मिलती है। लाइटहाउस समुद्र के किनारे सूर्यास्त का आनंद लेने और समुद्री इतिहास के बारे में जानने के लिये अद्वितीय सुविधाजनक स्थान प्रदान करते हैं।
- आर्थिक विकास: लाइटहाउस और लाइटशिप महानिदेशालय ने पर्यटन विकास में संभावित निवेश के लिये 75 लाइटहाउस की पहचान की है, जो आस-पास के क्षेत्रों को आर्थिक लाभ प्रदान करते हैं।
- यह पहल सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के माध्यम से निवेश क्षमता पर प्रकाश डालती है, जिससे निजी संस्थाओं को इन स्थलों को पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित करने में निवेश करने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।
- पर्यटन बढ़ने से तटीय क्षेत्रों में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि कर सकती है, जिससे स्थानीय विक्रेताओं, रेस्तरां और सेवा प्रदाताओं को लाभ होगा।
- पर्यावरण जागरूकता: विरासत लाइटहाउस पर ध्यान पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन प्रथाओं को बढ़ावा देता है,जो पर्यटकों को आकर्षित करते हुए तटीय वातावरण की रक्षा कर सकते हैं।
- इस पहल का उद्देश्य लाइटहाउस को बहुआयामी पर्यटन स्थलों में बदलना है, जो पारंपरिक सागरीय तट पर्यटन से परे विविध अनुभव प्रदान करते हैं।
लाइटहाउस और लाइटशिप महानिदेशालय
- बंदरगाह, जहाज़रानी और जलमार्ग मंत्रालय के तहत लाइटहाउस तथा लाइटशिप महानिदेशालय, भारतीय तट के साथ समुद्री नेविगेशन में सहायता प्रदान करता है। इसका मुख्यालय नोएडा में है, क्षेत्रीय मुख्यालय 9 ज़िलों (गांधीधाम, जामनगर, मुंबई, गोवा, कोचीन, चेन्नई, विशाखापत्तनम, कोलकाता और पोर्ट ब्लेयर) में है।
- इसका उद्देश्य लाइटहाउस, हल्के जहाज़ों, प्लव (Buoys) और बीकन जैसे दृश्य सहायता के साथ-साथ डीजीपीएस तथा रैकन्स(RACONs) जैसे रेडियो सहायता के माध्यम से भारतीय जल में सुरक्षित नेविगेशन सुनिश्चित करना है।
- निदेशालय इंटरैक्टिव नेविगेशन नियंत्रण के लिये पोत यातायात सेवाएँ भी प्रदान करता है। यह लाइटहाउस अधिनियम 1927 के अनुसार समुद्री नेविगेशन के लिये सामान्य सहायता बनाए रखने के लिये ज़िम्मेदार है, जबकि स्थानीय सहायता समुद्री राज्य सरकार संगठनों द्वारा बनाए रखी जाती है।
- निदेशालय स्थानीय लाइटों के रखरखाव के लिये तकनीकी सहायता प्रदान करता है, साथ ही यदि वित्तीय बाधाओं या तकनीकी कर्मियों की कमी के कारण अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा नहीं किया जाता है तो निदेशालय रखरखाव की ज़िम्मेदारी ले सकता है।
मैरीटाइम इंडिया विज़न (MIV), 2030 क्या है?
- मैरीटाइम इंडिया विज़न, 2030 (जिसे नवंबर, 2020 में मैरीटाइम इंडिया समिट में प्रधानमंत्री द्वारा जारी किया गया था) भारत में समुद्री क्षेत्र से संबंधित दस वर्ष की रणनीति है। इसका उद्देश्य जलमार्ग, जहाज़ निर्माण उद्योग और क्रूज पर्यटन को उन्नत बनाना है।
- मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030 के तहत वैश्विक समुद्री क्षेत्र में भारत की स्थिति को मज़बूत बनाने के क्रम में आवश्यक विषयों पर प्रकाश डाला गया है। इसके द्वारा सागरमाला पहल का स्थान लिया जाएगा। इसका उद्देश्य भारत में जलमार्गों को बढ़ावा देना तथा क्रूज पर्यटन को प्रोत्साहित करना है।
- MIV 2030 के तहत 4 प्रमुख क्षेत्रों में हस्तक्षेपों की पहचान की गई है: ब्राउनफील्ड क्षमता में वृद्धि, विश्व स्तरीय मेगा पोर्ट विकसित करना, दक्षिण भारत में ट्रांसशिपमेंट हब का विकास करना और बुनियादी ढाँचे का आधुनिकीकरण करना।
- भारत का लक्ष्य अगले 5 से 10 वर्षों में विश्व निर्यात में 5% हिस्सेदारी हासिल करना है, जिसके लिये निर्यात में उचित वृद्धि की आवश्यकता है। इसे प्राप्त करने के लिये भारतीय बंदरगाहों के संदर्भ में ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस (EoDB) में सुधार पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके तहत प्रमुख
- 200 से अधिक बंदरगाहों की कनेक्टिविटी परियोजनाओं, मशीनीकरण, प्रौद्योगिकी अपनाने, परिवहन समय में कमी, लागत में कमी, तटीय शिपिंग को बढ़ावा देना और पोर्टलैंड औद्योगिकीकरण के माध्यम से लाॅजिस्टिक दक्षता एवं लागत प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाना।
- MIV 2030 का उद्देश्य शासन तंत्र में सुधार करना, मौजूदा कानूनों में संशोधन करना, समुद्री एवं तटरक्षक एजेंसी (MCA) को मज़बूत करना तथा समुद्री क्षेत्र में सतत् विकास का समर्थन करने हेतु PPP अपनाना और राजकोषीय सहायता एवं वित्तीय अनुकूलन को बढ़ावा देना शामिल है।
- भारत का लक्ष्य शिक्षा, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करते हुए समुद्री क्षेत्र में अग्रणी राष्ट्र बनना है। वर्तमान में विश्व के नाविकों में 10-12% की भागीदारी वाले भारत को फिलीपींस जैसे देशों से बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ रहा है।
- इस क्षेत्र के तहत मुख्य हस्तक्षेपों में अनुसंधान तथा नवाचार को बढ़ावा देना, शिक्षा एवं प्रशिक्षण में सुधार करना और नाविकों तथा बंदरगाह क्षमता के विकास हेतु अनुकूल वातावरण का निर्माण करना शामिल है।
- भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक अपनी राष्ट्रीय ऊर्जा का 40% नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करना है और इस क्रम में भारत में सुरक्षित, कुशल एवं टिकाऊ बंदरगाहों हेतु अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन के लक्ष्यों के साथ समन्वित होने की आवश्यकता है।
- MIV 2030 के तहत सुरक्षित, धारणीय एवं हरित बंदरगाहों में अग्रणी के रूप में भारत की स्थिति को बढ़ाने के लिये प्रमुख हस्तक्षेपों की पहचान की गई है, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना, वायु उत्सर्जन को कम करना, जल उपयोग को अनुकूलित करना, अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार करना, शून्य दुर्घटना सुरक्षा कार्यक्रम को लागू करना तथा एक केंद्रीकृत निगरानी प्रणाली की स्थापना करना शामिल है।हस्तक्षेपों में राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स पोर्टल (समुद्री) का निर्माण करना, समुद्री हितधारकों से संबंधित प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण करना, डिजिटल-आधारित स्मार्ट बंदरगाहों का निर्माण करना तथा प्रणालीगत-संचालित दृष्टिकोणों के माध्यम से बंदरगाह के प्रदर्शन की निगरानी करना शामिल है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत में लाइटहाउस के ऐतिहासिक महत्त्व को बताते हुए समुद्री नौवहन में उसकी भूमिका पर चर्चा कीजिये। लाइटहाउस पर्यटन को बढ़ावा देने से इस विरासत को संरक्षित करने के साथ भारत की अर्थव्यवस्था में किस प्रकार योगदान मिल सकता है? |