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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

बोआओ फोरम

  • 23 Apr 2021
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दक्षिण चीन के हैनान प्रांत के बोआओ में ‘बोआओ फोरम फॉर एशिया’ (Boao Forum for Asia- BFA) वार्षिक सम्मेलन 2021 का उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया।

  • BFA इस वर्ष अपनी 20वीं वर्षगाँठ मना रहा है।

प्रमुख बिंदु: 

‘बोआओ फोरम फॉर एशिया’ (BFA) वार्षिक सम्मेलन 2021:

  • इस फोरम में 60 से अधिक देशों से आए 2500 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस फोरम का इस वर्ष का विषय ‘ए वर्ल्ड इन चेंज: इन हैंड टू स्ट्रेंथ ग्लोबल गवर्नेंस एंड एडवांस बेल्ट एंड रोड कोऑपरेशन ’है।
  • इस फोरम का मुख्य एजेंडा महामारी के बाद के समय में आपसी समझ को मज़बूत बनाना है तथा समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास और प्रभावी वैश्विक प्रशासन के लिये अतिरिक्त प्रोत्साहन प्रदान करना है।
  • इस अवसर पर एशियाई अर्थव्यवस्था पर एक वार्षिक रिपोर्ट जारी की गई जिसमें उन एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया था, जिन्होंने वर्तमान महामारी के बावजूद अच्छी प्रगति की है।
    • क्रय शक्ति समानता के संदर्भ में वर्ष 2020 में सकल वैश्विक अर्थव्यवस्था में एशिया का हिस्सा 47.3% तक पहुँच गया जो 2019 से 0.9 प्रतिशत अंक अधिक है।
    • इससे पता चलता है कि सभी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं का आर्थिक एकीकरण तेज़ी से हो रहा है।
      • क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (RCEP) पर हस्ताक्षर करने से क्षेत्रीय और वैश्विक आर्थिक विकास में मज़बूती आ रही है।
      • भारत RCEP का हिस्सा नहीं है।

बोआओ फोरम

  • बोआओ फोरम फॉर एशिया (BFA) एक गैर- लाभकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जिसे वर्ष 2001 में 26 सदस्य राज्यों द्वारा संयुक्त रूप से प्रारंभ किया गया था, जिसके वर्तमान में 29 सदस्य हैं।
    • भारत भी BFA का सदस्य है।
  • इसके वार्षिक सम्मेलन का आयोजन चीन के हैनान प्रांत के बोआओ में नियमित रूप किया जाता है।
  • BFA की स्थापना ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम’ की तर्ज पर की गई है, जिसकी वार्षिक बैठक का आयोजन स्विट्ज़रलैंड के दावोस में किया जाता है। इस प्रकार बोआओ फोरम को ‘पूर्व के दावोस' नाम से जाना जाता है।
  • BFA की स्थापना का उद्देश्य एशिया में आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना था। इसका मिशन अब एशिया और दुनिया के विकास के लिये सकारात्मक ऊर्जा को एकत्रित करना है।
    • फोरम ने न केवल सर्वसम्मति से "बोआओ प्रस्तावों" को आगे बढ़ाने में अद्वितीय भूमिका निभाई है, बल्कि वैश्विक मुद्दों को संबोधित करने और विश्व विकास एवं समृद्धि को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका अदा की है।
  • इसके पाँच केंद्रीय बिंदुओं में क्षेत्रों में नई अर्थव्यवस्था के जवाब में प्रौद्योगिकी नवाचार, स्वास्थ्य, शिक्षा, संस्कृति और मीडिया शामिल हैं।

स्रोत-द हिंदू

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