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वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम द्वारा वैश्विक विनिर्माण सूचकांक ज़ारी

  • 15 Jan 2018
  • 9 min read

इस महीने के अंत में स्विट्ज़रलैंड के दावोस में होने वाली अपनी वार्षिक बैठक से पहले विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum-WEF) द्वारा जारी पहली ‘रेडीनेस फॉर द फ्यूचर ऑफ प्रोडक्शन’ रिपोर्ट में वैश्विक विनिर्माण सूचकांक पर भारत को 30वाँ स्थान मिला है।

प्रमुख बिंदु 

  • सर्वोत्तम उत्पादन ढाँचे की मौजूदगी के कारण जापान को इस सूचकांक में प्रथम स्थान मिला है। जापान के अतिरिक्त शीर्ष 10 देशों में दक्षिण कोरिया, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, चीन, चेक गणराज्य, अमेरिका, स्वीडन, ऑस्ट्रिया और आयरलैंड शामिल हैं।
  • यह रिपोर्ट आधुनिक औद्योगिक रणनीतियों के विकास का विश्लेषण करते हुए सामूहिक कार्यवाही का आग्रह करती है। इस रिपोर्ट में 100 देशों को निम्नलिखित चार समूहों में वर्गीकृत किया गया है-
    ⇒ अग्रणी (Leading)- वर्तमान में  मज़बूत आधार, भविष्य के लिये तैयारी का उच्च स्तर।
    ⇒ उच्च क्षमता (High Potential)- वर्तमान में सीमित आधार, भविष्य के लिये उच्च क्षमता।
    ⇒ लीगेसी (Legacy)- वर्तमान में  मज़बूत आधार, भविष्य में ज़ोखिम।
    ⇒ विकासोन्मुख (Nascent)- वर्तमान में सीमित आधार, भविष्य के लिये तैयारी का निम्न स्तर।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार अग्रणी देशों में शामिल 25 देश अच्छी स्थिति में है क्योंकि वैश्विक उत्पादन प्रणाली चरघातांकीय परिवर्तन के कगार पर है, किंतु कोई भी देश तैयारी के उस स्तर तक नहीं पहुँचा है कि वह अकेले चौथी औद्योगिक क्रांति द्वारा सृजित अवसरों का उत्पादन बढाने में पूर्णतया इस्तेमाल कर सके।

अन्य देशों की तुलना में भारत की स्थिति

  • इसमें चीन को 5वाँ स्थान मिला है जबकि अन्य ब्रिक्स देशों ब्राज़ील (41), रूस (35) और दक्षिण अफ्रीका (45) की तुलना में भारत की स्थिति बेहतर है।
  • भारत को हंगरी, मैक्सिको, फिलीपींस, रूस, थाईलैंड और तुर्की के साथ 'लीगेसी' समूह में रखा गया है।
  • चीन अग्रणी देशों की सूची में जबकि ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका विकासोन्मुख देशों की सूची में शामिल हैं।
  • उत्पादन के पैमाने के संदर्भ में भारत 9वें स्थान पर है, जबकि जटिलता के संदर्भ में यह 48वें स्थान पर है। बाज़ार के आकार के संदर्भ में भारत तीसरे स्थान पर है।
  • श्रम बल में महिला भागीदारी, व्यापार टैरिफ, विनियामक कुशलता और टिकाऊ संसाधनों के मामलें में भारत की रैंकिंग निम्न स्तर पर है।
  • भारत अपने पडोसी देशों श्रीलंका (66 वें), पाकिस्तान (74 वें) और बांग्लादेश (80 वें) से बेहतर स्थान पर है।
  • इस रैंकिंग में भारत के नीचे स्थित अन्य देशों में तुर्की, कनाडा, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, हॉन्गकॉन्ग, मॉरीशस और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं।
  • भारत से बेहतर स्थान सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रिटेन, इटली, फ्राँस, मलेशिया, मैक्सिको, रोमानिया, इज़रायल, नीदरलैंड, डेनमार्क, फिलीपींस और स्पेन शामिल हैं।
  • उत्पादन प्रणालियों को बदलने के लिये चौथी औद्योगिक क्रांति की संभावनाओं का दोहन करने में सक्षम देशों की एक अलग सूची में अमेरिका को प्रथम स्थान दिया गया है। इसके बाद शीर्ष पाँच में सिंगापुर, स्विट्ज़रलैंड, ब्रिटेन और नीदरलैंड शामिल हैं।
  • इस सूची में भारत को 44वें स्थान पर रखा गया है, जबकि चीन 25वें और रूस 43वें स्थान पर है। हालाँकि भारत, ब्राजील (47 वें) और दक्षिण अफ्रीका (49 वें) से बेहतर स्थिति में है।

रिपोर्ट में भारत का संदर्भ 

  • वर्ष 2016 में विनिर्माण क्षेत्र में कुल $420 बिलियन के मूल्यवर्धन के साथ भारत विश्व का पाँचवा सबसे बड़ा विनिर्माता है।
  • पिछले तीन दशकों से भारत के विनिर्माण क्षेत्र की औसतन संवृद्धि दर 7% तथा देश के सकल घरेलू उत्पाद में इसका हिस्सा 16-20% रहा है।
  • विश्व की दूसरी सर्वाधिक आबादी वाला और सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल भारत के विनिर्मित उत्पादों की मांग में वृद्धि देखने को मिल रही है।
  • भारत में उत्पादन के सभी कारकों पर सुधार की संभावनाएँ हैं। (सिवाय मांग कारक को छोड़कर जहाँ भारत शीर्ष 5 देशों में शामिल है)
  • इस रिपोर्ट में देश को वैश्विक विनिर्माण का केंद्र बनाने के लिये 'मेक इन इंडिया' पहल और अधिक अंतर्संबंधित अर्थव्यवस्था के विकास के लिये 2017 में की गई बुनियादी ढांचे में 59 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा का विशेष उल्लेख किया गया है।

भारत के लिये चुनौतियां

  • मानव पूंजी और टिकाऊ संसाधनों को भारत के लिये दो सर्वप्रमुख चुनौतियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसके समाधान के लिये भारत को अपने अपेक्षाकृत युवा और तेजी से बढ़ते श्रमिक बल की क्षमताओं को बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • इसके लिये शिक्षा पाठ्यक्रम को उन्नत करने, व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सुधार लाने और डिजिटल कौशल में सुधार की जरूरत है।
  • भारत को अपने ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने और उत्सर्जन स्तर को कम करने हेतु प्रयास जारी रखने होंगे क्योंकि इसके विनिर्माण क्षेत्र का विस्तार आगे जारी रहेगा।

इस रिपोर्ट के अनुसार हर देश ऐसी चुनौतियों का सामना कर रहा है जो अकेले निजी क्षेत्र या सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा हल नहीं की जा सकती। इसमें सरकार की सहायता हेतु सार्वजनिक-निजी सहभागिता के परंपरागत मॉडल के पूरक के रूप में नवीन और नवाचारी दृष्टिकोणों को विकसित करने की आवश्यकता है ताकि सरकार नए मानको को अपना सके।

विश्व आर्थिक मंच (WORLD ECONOMIC FORUM)

  • विश्व आर्थिक मंच एक स्विस गैर-लाभकारी एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठन है।
  • इसकी स्थापना 1971 में हुई थी। इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में है।
  • फोरम वैश्विक, क्षेत्रीय और औद्योगिक एजेंडों को आकार देने के लिये राजनीतिक, व्यापारिक, सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्र के अग्रणी नेतृत्व को एक साझा मंच उपलब्ध कराता है। यह एक स्वतंत्र और निष्पक्ष संगठन है जिसका स्वयं का कोई हित नहीं है।
  • यह फोरम स्विट्ज़रलैंड के पूर्वी आल्पस क्षेत्र में दावोस में जनवरी के अंत में वार्षिक बैठक के आयोजन के लिये प्रसिद्ध है। इस वर्ष 22-26 जनवरी को आयोजित की जाने वाली बैठक विश्व आर्थिक मंच की 48वीं सालाना बैठक होगी।

विश्व आर्थिक मंच द्वारा जारी की जाने वाली अन्य रिपोर्ट्स

  • Global Gender Gap Report 
  • Global Competitiveness Report
  • Global Human Capital Report 
  • Travel and Tourism Competitiveness Report 
  • Global Risks Report 
  • Inclusive Growth and Development Report
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