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शासन व्यवस्था

ब्लड बैंक भंडार में कमी

  • 21 Apr 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय रक्त आधान परिषद (NBTC), भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी 

मेन्स के लिये:

भारत में रक्त दान की स्थिति 

चर्चा में क्यों?

हाल में ‘COVID- 19’ महामारी के चलते ‘ब्लड बैंक’ (Blood Banks) रक्त की कमी का सामना कर रहे हैं ऐसे में अस्पतालों ने रक्त की कमी को पूरा करने के लिये ‘व्यक्तिगत रक्त दाताओं’ से संपर्क करना शुरू कर दिया है।

मुख्य बिंदु:

  • COVID- 19 के अलावा अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ितों को रक्त की कमी का सामना करना पड़ रहा है।  
  • 'केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय' (Union Health Ministry) ने अस्पतालों को कहा है कि वे ज़रूरतमंद मरीज़ों को आवश्यक रक्त उपलब्ध कराए। 

सबसे ज़्यादा प्रभावित लोग:

  • रक्त विकार (Blood Disorder) वाले व्यक्ति, गर्भवती महिलाएँ, B-पॉजिटिव ब्लड ग्रुप, सांस या दिल के मरीज़ आदि को मुख्यत: रक्त की कमी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में अस्पताल द्वारा सूचीबद्ध दाताओं तथा ‘दुर्लभ रक्त समूहों’ (Rare Blood Groups) वाले लोगों से रक्त दान की अपील की जा रही है।

थैलेसीमिया के मरीज़

(Thalassemia Patients):

  • थैलेसीमिया’ के रोगियों को बहुत अधिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि ऐसे रोगियों को जीवित रहने के लिये बार-बार रक्त बदलने की आवश्यकता होती है। भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी (Indian Red Cross Society) द्वारा ब्लड बैंक कैंपों के माध्यम से एकत्रित किया गया रक्त इन रोगियों को उपलब्ध कराया जाता है।
    • वर्ष 1920 में संसदीय अधिनियम के तहत भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी का गठन किया गया, तब से रेडक्रॉस के स्वंय सेवक विभिन्न प्रकार के आपदाओं में निरंतर निस्वार्थ भावना से अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।
    • विश्व का पहला ब्लड बैंक वर्ष 1937 में रेडक्रॉस की पहल पर अमेरिका में खुला था। आज विश्व के अधिकांश ब्लड बैंकों का संचालन रेडक्रॉस एवं उसकी सहयोगी संस्थाओं द्वारा किया जाता है।

ब्लड बैंकों की वर्तमान स्थिति: 

  • इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी (Indian Red Cross Society) के अनुसार अभी तक स्थिति नियंत्रण में है क्योंकि नियमित सर्जरी नहीं हो रही है, जिससे रक्त की मांग में कमी आई है। 
  • 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' (World Health Organization- WHO) के अनुसार किसी देश की आबादी के 1% लोगों की रक्त की आवश्यकता को उस देश रक्त की ज़रूरतों के मानक के रूप में उपयोग किया जाना चाहिये। इस मानक से तुलना करें तो वर्ष 2018 में भारत में 1.9 मिलियन यूनिट रक्त की कमी थी।
  • राष्ट्रीय रक्त आधान परिषद (National Blood Transfusion Council) के अनुसार, भारत में 2,023 ब्लड बैंक हैं, जो रक्त की 78% आपूर्ति स्वैच्छिक रक्तदाताओं से प्राप्त करते हैं। 

सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

  • स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी को नियमित रक्त दाताओं के पास गतिशील रक्त संग्रह वैन (Mobile Blood Collection Vans) भेजने के लिये कहा है ताकि रक्तदाता, रक्तदान को आगे आ सके।

आगे की राह:

  • व्यक्तिगत रक्त दाताओं के लिये पिक-ड्रॉप सुविधाओं (Pick-Drop Facilities) प्रदान की जानी चाहिये तथा रक्त दाता संपर्क में रहे लोगों की विस्तृत जानकारी ली जाएगी ताकि सुरक्षित तथा वायरस मुक्त रक्त की आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।

राष्ट्रीय रक्त आधान परिषद (NBTC):

  • सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार, वर्ष 1996 ‘राष्ट्रीय रक्त आधान परिषद’ का गठन किया गया था। 

उद्देश्य (objectives):

  • स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देना।  
  • सुरक्षित रक्त आधान सुनिश्चित करना।  
  • रक्त केंद्रों को बुनियादी ढाँचा प्रदान करना। 
  • मानव संसाधनों विकास करना। 

NBTC के कार्य:

  • ‘राष्ट्रीय रक्त आधान परिषद’ (NBTC) रक्त केंद्रों के संचालन से संबंधित सभी मामलों के संबंध में शीर्ष नीति निर्माणकारी निकाय है। 
  • NBTC केंद्रीय निकाय है जो राज्य रक्त आधान परिषदों (State Blood Transfusion Councils- SBTCs) का समन्वय करता है। 
  • ‘रक्त संचार सेवा’ (Blood Transfusion Services- BTS) से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के लिये अन्य मंत्रालयों तथा स्वास्थ्य कार्यक्रमों में शामिल होना भी सुनिश्चित करता है। 
  • राष्ट्रीय स्तर पर ‘राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन’ (National AIDS Control Organisation- NACO) और ‘राष्ट्रीय रक्त आधान परिषद’ (NBTC) में समन्वय प्रभाग के रूप में कार्य करना।

स्रोत: द हिंदू

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