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मतदान में ब्लॉकचेन तकनीक

  • 14 Aug 2020
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ब्लॉकचेन तकनीक

मेन्स के लिये:

मतदान में ब्लॉकचेन तकनीक

चर्चा में क्यों?

निर्वाचन आयोग’ (Election Commission- EC) के अधिकारी ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग सुदूरवर्ती क्षेत्रों में वोटिंग में करने की संभावना की तलाश रहे हैं, ताकि मतदान से जुड़ी भौगोलिक बाधाओं को दूर किया जा सके।

प्रमुख बिंदु:

  • विभिन्न राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग से से मांग की है कि जो प्रवासी मज़दूर मतदान करने से वंचित रह जाते हैं, उनके मतदान को सुनिश्चित किया जाना चाहिये। 
  • प्रवासी मज़दूर, चुनाव के दौरान अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिये घर नहीं जा पाते हैं, इसलिये उन्हें उस शहर; जिसमें वे काम कर रहे हैं, से अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिये मतदान करने की अनुमति दी जानी चाहिये। 

ब्लॉकचेन तकनीक:

  • ब्लॉकचेन एक प्रणाली है जिसमें रिकॉर्ड का डेटाबेस एक ही समय में कई कंप्यूटरों पर दिखाई देता है, भले ही वह किसी भी नई डिजिटल जानकारी के साथ अपडेट किया गया हो। 
  • यह अनधिकृत हस्तक्षेप के बिना रिकॉर्ड रखने, वास्तविक-समय लेन देन को सक्षम बनाने, पारदर्शिता और लेखांकन के योग्य प्रणाली का एक विलक्षण संयोजन प्रदान करता है।
  • ब्लॉकचेन तकनीक का प्रारंभिक और प्राथमिक उपयोग क्रिप्टोकरेंसी (जैसे बिटकॉइन) लेन देन की निगरानी के लिये था। हालाँकि, पिछले कुछ वर्षों में इसके अन्य उपयोग तथा अनुप्रयोग उभर कर सामने आए हैं।
    • आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सरकार द्वारा ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग भू-अभिलेखों के रखरखाव में किया जा रहा है। 

मतदान में ब्लॉकचेन तकनीक:

  • चुनाव सुरक्षा, मतदाता पंजीकरण की सत्यनिष्ठा, मतदाता की पहुँच और मतदाताओं की बढ़ती संख्या जैसी चिंताओं ने सरकारों को ब्लॉकचेन-आधारित मतदान प्रणाली के  उपयोग पर विचार करने को प्रेरित किया है, ताकि मतदान प्रणाली में विश्वास बढ़ाया जा सके और आवश्यक लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भागीदारी के साधन के रूप में इसका प्रयोग किया जा सके। 
    • यद्यपि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग का इस्तेमाल 1970 के दशक से अलग-अलग रूपों में किया जाता रहा है, जो पेपर आधारित प्रणालियों की तुलना में मौलिक रूप से लाभदायक होती हैं। वर्तमान में प्रभावी ई-वोटिंग के लिये ब्लॉकचेन की व्यवहार्यता का पता लगाया जा रहा है।
    • चुनाव आयोग द्वारा सेवा क्षेत्र में कार्यरत मतदाताओं (सशस्त्र बलों, केंद्रीय अर्द्ध- सैनिक बलों और विदेश में भारतीय मिशनों में तैनात केंद्र सरकार के अधिकारियों से मिलकर) के लिये एकतरफा इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली का इस्तेमाल किया गया है। यथा वर्ष 2019 के लोक सभा चुनावों में 'इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित पोस्टल बैलट सिस्टम' (Electronically Transmitted Postal Ballot System-ETPBS) का प्रयोग किया गया।
  • ब्लॉकचेन तकनीक में पाई जाने वाली विशेषताओं यथा विकेंद्रीकृत, पारदर्शी, अपरिवर्तनीय और एन्क्रिप्टेड प्रणाली आदि के कारण यह तकनीक चुनावी छेड़छाड़ को कम करने और मतदान प्रतिशत को बढ़ाने में मदद  कर सकती है।

संभव कार्यप्रणाली (Possible Working):

  • दूरस्थ स्थान पर ब्लॉकचेन तकनीक के माध्यम से मतदान प्रक्रिया में मतदान स्थल पर बहु-स्तरित आईटी सक्षम प्रणाली (बायोमैट्रिक्स और वेब कैमरों की मदद से) का उपयोग करके मतदाता की पहचान की जाएगी।
  • 'मतदाता पहचान प्रणाली' स्थापित होने के बाद, एक ब्लॉकचेन-तकनीक आधारित व्यक्तिगत ई-बैलेट पेपर उत्पन्न किया जाएगा।
  • जब वोट डाला जाएगा तो बैलेट को सुरक्षित रूप से एन्क्रिप्ट किया जाएगा और एक ब्लॉक चेन हैशटैग (#) जेनरेट किया जाएगा। यह हैशटैग अधिसूचना विभिन्न हितधारकों यानी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को भेजी जाएगी।

चुनौतियाँ:

  • ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी पर आधारित कोई भी नई प्रौद्योगिकी प्रणाली साइबर हमलों और अन्य सुरक्षा सुभेद्यता के लिये संवेदनशील है।
    • ये तकनीक वोटों की हेरफेर, कागजी निशान मिटाने या चुनावी अराजकता का कारण बन सकती है।
  • इसके अलावा, मतदाता सत्यापन प्रणाली जिसमें बायोमेट्रिक सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है। चेहरे की पहचान आधारित सत्यापन प्रणाली मतदाताओं में पहचान को लेकर अनेक प्रकार के अफवाह तथा भ्रम उत्पन्न कर सकती है।
  • ब्लॉकचेन-आधारित मतदान प्रणाली गोपनीयता के जोखिम और चिंताओं को भी बढ़ा सकती है।

आगे की राह:

  • किसी भी नवीन तकनीक में सुरक्षा चिंताओं और तकनीकी नवाचार के बीच एक सामंजस्य बनाने की आवश्यकता होती है। इस प्रकार ब्लॉकचेन-आधारित मतदान प्रणाली में अत्यंत दक्ष प्रौद्योगिकी प्रदाता और प्रणाली का उपयोग किया जाना चाहिये।
  • चुनाव आयोग को ब्लॉकचेन-आधारित मतदान प्रणाली को सर्वप्रथम लघु स्तर पर लागू करने का परीक्षण करता चाहिये तथा बाद में व्यापक पैमाने पर संभावना को तलाश करना चाहिये। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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