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जैव विविधता और पर्यावरण

नवेगांँव-नागझिरा टाइगर रिज़र्व और ब्लैक पैंथर

  • 07 Jul 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

IUCN रेड लिस्ट, नवेगांँव-नागझिरा टाइगर रिज़र्व, CITES  

मेन्स के लिये:

वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत भारत में जीव जंतुओं का संरक्षण  

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में महाराष्ट्र के नवेगांँव-नागझिरा टाइगर रिज़र्व (Navegaon-Nagzira Tiger Reserve- NNTR) में एक दुर्लभ मेलानिस्टिक तेंदुआ देखा गया है। आमतौर पर सामान्य भाषा में इसे ब्लैक पैंथर (Black Panther) के रूप में जाना जाता है। 

प्रमुख बिंदु: 

मेलानिस्टिक तेंदुआ/ब्लैक पैंथर के बारे में:

Black-Panther

  • तेंदुआ (Panthera Pardus) या तो हल्के रंग का होता है (हल्के पीले से गहरे सुनहरे या पीले रंग के) या इसके शरीर पर काले रंग के गुच्छे में फर/बाल पाए जाते हैं।
  • मेलानिस्टिक तेंदुआ का रंग या तो पूरी तरह से काला होता है या फिर यह बहुत गहरे रंग का होता है जो ब्लैक पैंथर के रूप में जाने जाता है। यह धब्बेदार भारतीय तेंदुओं का रंग रूप है, जो दक्षिण भारत के घने जंगलों में पाया जाता है।
  • तेंदुओं के काले रंग के आवरण का कारण अप्रभावी एलील ( Recessive Alleles) और जगुआर के एक प्रभावी एलील की उपस्थिति का होना है। प्रत्येक प्रजाति में एलील्स का एक निश्चित संयोजन जानवर के फर और त्वचा में बड़ी मात्रा में काले वर्णक मेलेनिन (मेलानिज्म) के उत्पादन को उत्तेजित करता है।
    • काले आवरण की उपस्थिति अन्य कारकों से प्रभावित हो सकती है, जैसे कि आपतित प्रकाश का कोण और जानवर का जीवन का स्तर।
    • यह एक सामान्य तेंदुए की तरह शर्मीला होता है और इसको खोजना भी मुश्किल होता है।
  • आवास:
    • वे मुख्य रूप से दक्षिण-पश्चिमी चीन, बर्मा, नेपाल, दक्षिणी भारत, इंडोनेशिया और मलेशिया के दक्षिणी भाग में पाए जाते हैं।
    • भारत में यह कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र आदि राज्यों में पाया जाता है।
  • खतरा:
    • प्राकृतिक वास का नुकसान।
    • वाहनों से टक्कर।
    • रोग।
    • मानव अतिक्रमण।
    • अवैध शिकार।
  • संरक्षण स्थिति :

नवेगाँव-नागझिरा टाइगर रिज़र्व:

Mumbai

  • नवेगाँव-नागझिरा टाइगर रिज़र्व के विषय में:
    • यह महाराष्ट्र के गोंदिया और भंडारा ज़िलों में स्थित है।
    • रणनीतिक रूप से यह टाइगर रिज़र्व, केंद्रीय भारतीय बाघ परिदृश्य के केंद्र में स्थित है जहाँ देश की कुल बाघ आबादी का लगभग 1/6 भाग पाया जाता है।
  • गठन:
    • इसे दिसंबर, 2013 में भारत के 46वें टाइगर रिज़र्व के रूप में अधिसूचित किया गया था।
    • इसमें नवेगाँव राष्ट्रीय उद्यान, नवेगांव वन्यजीव अभयारण्य, नागझिरा वन्यजीव अभयारण्य,नवीन नागझिरा वन्यजीव अभयारण्य और कोका वन्यजीव अभयारण्य के अधिसूचित क्षेत्र शामिल हैं।
  • जुड़ाव:
    • NNTR मध्य भारत में प्रमुख बाघ अभयारण्यों के साथ सीमा साझा करता है जैसे-
    • यह उमरेद-करहंदला अभयारण्य और ब्रह्मपुरी डिवीज़न (महाराष्ट्र) जैसे महत्त्वपूर्ण बाघ क्षेत्रों से भी जुड़ा हुआ है।
  • वनस्पति:
    • यहाँ प्रमुख रूप से ‘दक्षिणी उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन’ (Southern Tropical Dry Deciduous Forest) पाए जाते हैं।
    • इस रिज़र्व में कुछ काँटेदार पौधे भी पाए जाते हैं और यहाँ बाँस बहुतायत में होता है।
  • जीव-जंतु:
    • यहाँ तेंदुए जैसे बड़े मांसाहारी और जंगली कुत्ते, भेड़िया, गीदड़, जंगल बिल्ली तथा ‘स्लॉथ बीयर’ जैसे छोटे माँसाहारी जानवर पाए जाते हैं।
    • महत्त्वपूर्ण शाकाहारी जंतुओ में चीतल, सांभर, नीलगाय, चौसिंगा, कांकड़/बार्किंग डियर, जंगली सुअर और भारतीय गौर शामिल हैं। यहाँ माउस डीयर को भी देखा गया है।
    • यहाँ पक्षियों की 300 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
  • महाराष्ट्र में अन्य संरक्षित क्षेत्र:
    • सह्याद्री टाइगर रिज़र्व।
    • मेलघाट टाइगर रिज़र्व
    • ग्रेट इंडियन बस्टर्ड अभयारण्य।
    • कर्नाला पक्षी अभयारण्य।
    • संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान।
    • पेंच राष्ट्रीय उद्यान।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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