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भारतीय अर्थव्यवस्था

बिटकॉइन: महत्त्व और चुनौतियाँ

  • 19 Dec 2020
  • 10 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बिटकॉइन (एक क्रिप्टो-करेंसी) ने 20,000 अमेरिकी डॉलर के मूल्य को पार कर लिया है।

  • चूँकि बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो-करेंसीज़ के मूल्य काफी अस्थिर होते हैं, इसलिये बिटकॉइन के मूल्य में हालिया वृद्धि की कोई स्पष्ट व्याख्या नहीं की जा सकती है।
  • क्रिप्टो-करेंसी का आशय एक विशिष्ट प्रकार की डिजिटल मुद्रा से है, जो कि विकेंद्रीकृत होती है और इसे क्रिप्टोग्राफिक एन्क्रिप्शन तकनीक के माध्यम से संरक्षित किया जाता है।
    • बिटकॉइन, एथरियम और रिपल आदि क्रिप्टो-करेंसी के कुछ प्रमुख उदाहरण हैं।

प्रमुख बिंदु

परिचय

  • बिटकॉइन एक प्रकार की डिजिटल मुद्रा या क्रिप्टो-करेंसी है, जो तत्काल भुगतान को सक्षम बनाती है। बिटकॉइन को वर्ष 2009 में प्रस्तुत किया गया था। 
    • यह एक ओपन-सोर्स प्रोटोकॉल पर आधारित है और इसे किसी भी केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा जारी नहीं किया जाता है।

इतिहास

  • बिटकॉइन की उत्पत्ति को लेकर अभी तक कुछ भी स्पष्ट नहीं है। कई लोग मानते हैं कि वर्ष 2008 के वित्तीय संकट के बाद सातोशी नाकामोतो नामक व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के समूह द्वारा बिटकॉइन के रूप में पहली क्रिप्टो-करेंसी विकसित की गई थी, हालाँकि सातोशी नाकामोतो के बारे में कोई सूचना उपलब्ध नहीं है।

प्रयोग

  • मूलतः बिटकॉइन का उद्देश्य ‘फिएट’ करेंसी का एक विकल्प और किसी वित्तीय लेन-देन में शामिल दो पक्षों के बीच सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत विनिमय का प्रत्यक्ष माध्यम प्रदान करना था। 
    • ‘फिएट’ करेंसी किसी देश की सरकार या केंद्रीय बैंक द्वारा जारी मुद्रा होती है।
      • यह केंद्रीय बैंकों को अर्थव्यवस्था पर अधिक नियंत्रण प्रदान करती है, क्योंकि इसके माध्यम से केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में मुद्रा के प्रवाह को नियंत्रित कर सकते हैं।
      • अधिकांश आधुनिक कागज़ी मुद्राएँ जैसे कि अमेरिकी डॉलर और भारतीय रुपया आदि फिएट’ करेंसी के उदाहरण हैं।

बिटकॉइन का रिकॉर्ड (ब्लॉकचेन)

  • बिटकॉइन में अब तक किये गए सभी लेन-देन एन्क्रिप्टेड रूप में एक सार्वजनिक बही-खाते’ (Public Ledger) में मौजूद हैं।
    • लेन-देन को बिटकॉइन की उप-इकाइयों के रूप में व्यक्त किया जा सकता है।
      • सातोशी एक बिटकॉइन का सबसे छोटी इकाई होती है।
  • इस तरह हम कह सकते हैं कि ब्लॉकचेन एक साझा तथा अपरिवर्तनीय खाता-बही है जो एक व्यापार नेटवर्क में लेन-देन को रिकॉर्ड करने तथा संपत्तियों को ट्रैक करने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाता है।
    • संपत्ति, मूर्त (घर, कार, नकदी, भूमि) अथवा अमूर्त (बौद्धिक संपदा, पेटेंट, कॉपीराइट) किसी भी रूप में हो सकती है।
  • वस्तुतः ब्लॉकचेन नेटवर्क पर ऐसी सभी चीज़ों को ट्रैक करने के साथ ही लेन-देन किया जा सकता है, जिनका कुछ मूल्य है। इससे जोखिम और लागत दोनों में कटौती होती है।
    • ‘ब्लॉकचेन’ तकनीक को समझने के लिये ‘गूगल डॉक’ (Google Doc) का उदाहरण लिया जा सकता है।
    • जब ‘गूगल डॉक’ में कोई एक ‘डॉक्यूमेंट’ बनाया जाता है और इसे लोगों के समूह के साथ साझा किया जाता है, तो वह ‘डॉक्यूमेंट’ कॉपी या स्थानांतरित होने के बजाय लोगों के बीच वितरित हो जाता है। 
    • यह एक विकेंद्रीकृत वितरण शृंखला का निर्माण करता है, जो सभी को एक ही समय में उस ‘डॉक्यूमेंट’ तक पहुँच प्रदान करता है। 
  • विगत कुछ वर्षों में ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के कई नवीन अनुप्रयोग सामने आए हैं। 
    • आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सरकारों ने ब्लॉकचेन तकनीक की ट्रैक करने की विशेषता को ध्यान में रखते हुए भूमि रिकॉर्ड के लिये इसका प्रयोग किया है।
    • चुनाव आयोग (EC) भी दूरस्थ स्थान से मतदान करने में सक्षम बनाने के लिये ब्लॉकचेन तकनीक के उपयोग की संभावनाएँ तलाश रहा है।

बिटकॉइन प्राप्त करना

  • बिटकॉइन को मुख्यतः तीन तरीकों से प्राप्त किया जा सकता है: 
    • यदि आवश्यक कंप्यूटिंग क्षमता उपलब्ध है तो एक नया बिटकॉइन की माइनिंग की जा सकती है।
    • एक्सचेंजों के माध्यम से भी बिटकॉइन खरीदा जा सकता है।
    • इसके अलावा पर्सन-टू-पर्सन लेन-देन के माध्यम से भी बिटकॉइन को प्राप्त किया जा सकता है।
  • बिटकॉइन माइनर वे लोग होते हैं, जो बिटकॉइन लेन-देन को सत्यापित करते हैं और अपने कंप्यूटर हार्डवेयर के माध्यम से बिटकॉइन नेटवर्क को सुरक्षित करते हैं। इसे बिटकॉइन माइनिंग कहा जाता है।
    • बिटकॉइन प्रोटोकॉल को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि नए बिटकॉइन का निर्माण एक निश्चित दर पर ही होता है।
    • किसी भी डेवलपर या माइनर के पास अपने लाभ को बढ़ाने के लिये सिस्टम में हेरफेर करने की शक्ति नहीं होती है।
    • बिटकॉइन का एक महत्त्वपूर्ण पहलू यह है कि केवल 21 मिलियन बिटकॉइन इकाइयां ही बनाई जा सकती हैं।
  • बिटकॉइन एक्सचेंज एक बैंक की तरह ही कार्य करता है, जहाँ एक व्यक्ति पारंपरिक मुद्रा के साथ बिटकॉइन खरीदता है और बेचता है। मांग और आपूर्ति के आधार पर बिटकॉइन की कीमत में उतार-चढ़ाव होता रहता है।

बिटकॉइन विनियमन

  • बिटकॉइन की आपूर्ति को सिस्टम के उपयोगकर्त्ताओं की सहमति और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर द्वारा नियंत्रित किया जाता है और कोई भी सरकार, बैंक, संगठन या व्यक्ति इसके साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकता है।
  • बिटकॉइन का उद्देश्य ही एक वैश्विक विकेंद्रीकृत मुद्रा का निर्माण करना है और यदि इसे किसी केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा विनियमित किया जाता है तो यह अपने उद्देश्य को पूरा करने में विफल हो जाएगी।
  • गौरतलब है कि दुनिया भर की कई सरकारें अपनी राष्ट्रीय मुद्रा के डिजिटल संस्करण यानी डिजिटल मुद्रा को लॉन्च करने की दिशा में कार्य कर रही हैं, जो कि उस देश के केंद्रीय बैंक द्वारा विनियमित की जाएगी।

भारत में बिटकॉइन (या क्रिप्टो-करेंसी) की वैधता

  • वित्तीय वर्ष 2018-19 के बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने घोषणा की थी कि सरकार क्रिप्टो-करेंसी को कानूनी निविदा के रूप में नहीं मानती है और सभी प्रकार की अवैध गतिविधियों के वित्तपोषण में तथा भुगतान प्रणाली के एक हिस्से के रूप में इसके उपयोग को रोकने के लिये सभी उपाय करेगी।
  • अप्रैल 2018 में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने सभी वित्तीय संस्थाओं को किसी भी प्रकार की क्रिप्टो-करेंसी में लेन-देन न करने और इससे संबंधित लेन-देनों को सुविधा न प्रदान करने का निर्देश दिया था। 
    • हालाँकि सर्वोच्च न्यायालय ने क्रिप्टो-करेंसी पर रिज़र्व बैंक द्वारा लागू किये गए प्रतिबंध को समाप्त कर दिया था।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी प्रकृति में एक ‘वस्तु/कमोडिटी’ है और इसलिये इसे प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है।

हालिया मूल्य वृद्धि के संभावित कारण

  • महामारी के दौरान वैश्विक स्तर पर क्रिप्टो-करेंसी की स्वीकृति में वृद्धि हुई है, जो कि बिटकॉइन की मूल्य वृद्धि का संभावित कारण हो सकता है।
  • ‘पेपाल’ (PayPal) जैसी बड़ी भुगतान कंपनियों और भारतीय स्टेट बैंक, ICICI बैंक, HDFC बैंक और यस बैंक जैसे भारतीय ऋणदाताओं ने बिटकॉइन को वैधता प्रदान की है।
  • कुछ पेंशन फंड और बीमा फंड बिटकॉइन में निवेश कर रहे हैं।

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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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