जैव विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021 | 27 Jul 2023
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में लोकसभा में जैव विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित किया गया।
पृष्ठभूमि:
- जैव विविधता अधिनियम, 2002 को वर्ष 1992 के जैव विविधता अभिसमय (Convention on Biological Diversity- CBD) के तहत भारत की प्रतिबद्धताओं के जवाब में अधिनियमित किया गया था।
- CBD के अनुसार, देशों को अपने जैविक संसाधनों को नियंत्रित करने का पूरा अधिकार है और यह राष्ट्रीय कानून के आधार पर इन संसाधनों तक पहुँच को विनियमित करने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
- जैविक संसाधनों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिये यह अधिनियम एक त्रि-स्तरीय संरचना की स्थापना करता है:
- राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (National Biodiversity Authority- NBA)।
- राज्य स्तर पर राज्य जैव विविधता बोर्ड (State Biodiversity Boards- SBBs)।
- स्थानीय स्तर पर जैव विविधता प्रबंधन समितियाँ (Biodiversity Management Committees- BMC)।
- दिसंबर 2021 में वर्ष 2002 के अधिनियम में संशोधन के लिये लोकसभा में जैव विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया गया था।
- इन संशोधनों का उद्देश्य भारत में धारणीय जैव विविधता संरक्षण और उपयोग को बढ़ावा देते हुए इस अधिनियम को वर्तमान की मांगों और प्रगति के साथ संरेखित करना है।
जैविक विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021 के प्रमुख प्रावधान:
प्रावधान |
जैविक विविधता अधिनियम, 2002 |
2002 के अधिनियम में संशोधन |
जैविक संसाधनों तक पहुँच |
अधिनियम के अनुसार, भारत में जैविक संसाधनों या संबंधित ज्ञान तक पहुँचने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति को पूर्वानुमति प्राप्त करने या नियामक प्राधिकरण को अपने इरादे के बारे में सूचित करने की आवश्यकता है। |
विधेयक उन संस्थाओं और गतिविधियों के वर्गीकरण को संशोधित करता है जिनके लिये सूचना की आवश्यकता होती है, साथ ही कुछ मामलों में छूट भी प्रदान की जाती है। |
बौद्धिक संपदा अधिकार |
बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) के संबंध में अधिनियम वर्तमान में भारत से जैविक संसाधनों से संबंधित IPR के लिये आवेदन करने से पहले NBA अनुमोदन की मांग करता है। |
विधेयक सुझाव देता है कि IPR के वास्तविक अनुदान से पहले अनुमोदन की आवश्यकता होगी, आवेदन प्रक्रिया के दौरान नहीं। |
आयुष चिकित्सकों को छूट |
यह पंजीकृत आयुष चिकित्सकों और संहिताबद्ध पारंपरिक ज्ञान तक पहुँच रखने वाले लोगों को कुछ उद्देश्यों के लिये जैविक संसाधनों तक पहुँच हेतु राज्य जैव विविधता बोर्डों को पूर्व सूचना देने से छूट देने का प्रयास करता है। |
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लाभ साझा करना |
यह अधिनियम लाभ साझा करने का आदेश देता है जिसमें उन लोगों के साथ मौद्रिक और गैर-मौद्रिक लाभ साझा करना शामिल है जो जैव विविधता का संरक्षण करते हैं या इससे संबंधित पारंपरिक ज्ञान रखते हैं। NBA विभिन्न गतिविधियों के लिये मंज़ूरी देते समय लाभ साझा करने की शर्तें निर्धारित करता है। |
यह विधेयक अनुसंधान, जैव-सर्वेक्षण और जैव-उपयोग द्वारा लाभ साझा करने की आवश्यकताओं की प्रयोज्यता को हटा देता है। |
आपराधिक दंड |
यह अधिनियम विशिष्ट गतिविधियों के लिये अनुमोदन या सूचना प्राप्त न करने जैसे अपराधों हेतु कारावास सहित आपराधिक दंड लगाता है। |
दूसरी ओर, यह विधेयक अपराधों को अपराध की श्रेणी से हटाता है तथा इसके बदले एक लाख से पचास लाख रुपए तक के ज़ुर्माने का प्रावधान करता है। |
जैविक विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021 से संबंधित चिंताएँ:
- संरक्षण से अधिक उद्योग को प्राथमिकता:
- आलोचकों का तर्क है कि संशोधन जैव विविधता संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय उद्योग के हितों को प्राथमिकता प्रदान करता हैं जो CBD की भावना के विरुद्ध है।
- CBD उन समुदायों के साथ जैव विविधता के उपयोग से होने वाले लाभों को साझा करने पर ज़ोर देता है जिन्होंने इसे पीढ़ियों से संरक्षित किया है।
- यह संशोधन लाभ-वितरण और सामुदायिक भागीदारी के ढाँचे को कमज़ोर कर सकता है।
- उल्लंघनों का अपराधीकरण:
- इस विधेयक में नियमों का पालन न करने वाले दलों के खिलाफ FIR दर्ज करने की NBA की शक्ति को हटाकर उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से पृथक करने का प्रस्ताव है।
- इससे जैव विविधता संरक्षण कानूनों का कार्यान्वयन कमज़ोर हो सकता है, जिससे अवैध गतिविधियों को रोकने के प्रयासों में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
- घरेलू कंपनियों के लिये छूट:
- केवल "विदेशी-नियंत्रित कंपनियों" को जैव विविधता संसाधनों का उपयोग करने के लिये अनुमति लेने की आवश्यकता होगी। इससे संभावित रूप से विदेशी शेयरधारिता वाली घरेलू कंपनियों के लिये अनुमोदन प्रक्रिया को दरकिनार करने में परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं, जिसके परिणामस्वरूप जैव विविधता के अनियंत्रित दोहन से चिंताएँ बढ़ सकती हैं।
- सीमित लाभ साझा करना:
- "पारंपरिक ज्ञान" का समावेश भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के चिकित्सकों के अतिरिक्त कुछ उपयोगकर्त्ताओं को लाभ साझा करने की आवश्यकता से छूट प्रदान करता है।
- इससे मुनाफाखोर घरेलू कंपनियाँ पारंपरिक ज्ञान रखने वाले समुदायों के साथ मुनाफा साझा करने की अपनी ज़िम्मेदारी से बच सकती हैं।
- संरक्षण के मुद्दों की अनदेखी:
- आलोचकों का तर्क है कि यह संशोधन भारत में जैव विविधता संरक्षण के समक्ष आने वाली चुनौतियों का पर्याप्त रूप से समाधान नहीं करता है।
- ऐसा प्रतीत होता है कि यह विधेयक विनियमों को कम करने और व्यावसायिक हितों को सुविधाजनक बनाने पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है, जिससे जैव विविधता और पारंपरिक ज्ञान धारकों पर संभावित नकारात्मक प्रभाव के बारे में चिंताएँ बढ़ गई हैं।
आगे की राह
- आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और भारत की जैव विविधता के सतत् संरक्षण को सुनिश्चित करने के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता है।
- स्थानीय समुदायों, स्वदेशी जनों, संरक्षणवादियों, वैज्ञानिकों और उद्योग प्रतिनिधियों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ पारदर्शी एवं समावेशी परामर्श में संलग्न होने की आवश्यकता है।
- इससे यह सुनिश्चित करने में सहायता मिलेगी कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में सभी दृष्टिकोणों पर विचार किया जाता है, ऐसे संशोधन जैव विविधता संरक्षण के सिद्धांतों के अनुरूप होते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः (2023)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) व्याख्या:
मेन्स:प्रश्न. भैषजिक कंपनियों द्वारा आयुर्विज्ञान के पारंपरिक ज्ञान को पेटेंट कराने से भारत सरकार किस प्रकार रक्षा कर रही है? (2019) |