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जैव विविधता और पर्यावरण

बायोगैस ऊर्जा

  • 09 Apr 2022
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जीवाश्म ईंधन, जलवायु परिवर्तन, मीथेन, ग्रीनहाउस गैस, डेंगू, मलेरिया, वायु प्रदूषण, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत, जल प्रदूषण, वनों की कटाई, कार्बन डाइऑक्साइड, सतत् विकास लक्ष्य।

मेन्स के लिये:

बायोगैस ऊर्जा और उसका महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नोएडा प्राधिकरण ने घोषणा की है कि वह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) संयंत्र को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित कर सकता है, क्योंकि स्थानीय निवासियों द्वारा एक स्वचालित संपीड़ित बायोगैस (CBG) संयंत्र की स्थापना का विरोध किया जा रहा है।

क्या है बायोगैस?

  • इसमें मुख्य रूप से हाइड्रो-कार्बन शामिल होता है, जो दहनशील होने के साथ ही जलने पर गर्मी एवं ऊर्जा पैदा कर सकता है।
  • बायोगैस एक जैव रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से उत्पन्न होती है, जिसमें कुछ प्रकार के बैक्टीरिया जैविक कचरे को उपयोगी बायो-गैस में परिवर्तित करते हैं।
  • चूँकि उपयोगी गैस एक जैविक प्रक्रिया से उत्पन्न होती है, इसलिये इसे ‘बायोगैस’ कहा गया है।
    • मीथेन गैस बायोगैस का मुख्य घटक है।

Biogas-Energy

बायोमास से संबंधित मुद्दे:

  • प्रदूषण:
    • खाना पकाने, गर्म करने और प्रकाश के लिये ऊर्जा पैदा करने हेतु लकड़ी, जीवाश्म ईंधन एवं अन्य सामग्री (जैसे अपशिष्ट के रूप में ऊर्जा संयंत्रों में उपयोग किये गए कचरे से प्राप्त ईंधन) के कारण होने वाला प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य एवं जीवन की गुणवत्ता में सुधार की प्रमुख बाधाओं में से एक है।
    • जीवाश्म ईंधन और बायोमास के दहन से निकलने वाले प्रदूषक न केवल लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन के लिये भी उत्तरदायी हैं।
  • अपशिष्ट सृजन:
    • भारत प्रतिवर्ष लगभग 62 मिलियन टन म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट (MSW) उत्पन्न करता है, जिसमें से लगभग आधा जैविक होता है।
    • MSW का यह कार्बनिक अंश मीथेन का उत्पादन करने के लिये विघटित होता है, जब लैंडफिल की तरह अनुचित तरीके से निपटाया जाता है।
    • जैविक कचरे को लैंडफिल में फेंकना या कचरा जलाना पर्यावरण के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिये भी खतरनाक है। ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन के अलावा अपशिष्ट के इस तरह के अवैज्ञानिक निपटान से डेंगू बुखार और मलेरिया जैसी बीमारियाँ होती हैं।
  • स्वास्थ्य के लिये खतरा:
    • कई अध्ययनों से अस्थमा, वातस्फीति, कैंसर और हृदय रोग जैसी कई पुरानी बीमारियों को भी वायु प्रदूषण से जोड़ा गया है।

बायोगैस का महत्त्व:

  • प्रदूषण मुक्त शहर:
    • बायोगैस समाधान हमारे शहरों को स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त बनाने में मदद कर सकता है।
      • लैंडफिल से ज़हरीले पदार्थों का रिसाव भूजल को दूषित करता है।
      • कार्बनिक पदार्थों के अपघटन के कारण पर्यावरण में भारी मात्रा में मीथेन निष्कासित होती है, जिससे वायु प्रदूषण एवं ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति उत्पन्न होती है, क्योंकि मीथेन एक बहुत ही शक्तिशाली GHG है।
  • जैविक कचरे का प्रबंधन:
    • बड़े पैमाने पर म्युनिसिपल बायोगैस सिस्टम (Municipal Biogas System) स्थापित कर शहरों में जैविक कचरे का कुशलतापूर्वक निपटान करने में मदद मिल सकती है ताकि कचरे के अत्यधिक बोझ से उत्पन्न पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का सामना किया जा सके। 
    • शहरों को स्वच्छ और स्वस्थ रखते हुए जैव उर्वरकों के साथ स्वच्छ एवं हरित ईंधन का निर्माण करने हेतु नगर निगम के कचरे के लिये इन संयंत्रों का उपयोग किया जा सकता है।
  • महिलाओं के लिये मददगार:
    • बायोगैस का उपयोग करना महिलाओं के स्वास्थ्य की दृष्टि से उचित हो सकता है क्योंकि वे हानिकारक धुएंँ और प्रदूषण के संपर्क में आने से बच जाएंगी।
      • घरों के अंदर जीवाश्म ईंधन और बायोमास के जलने से होने वाले वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के कारण हर साल वैश्विक स्तर पर चार मिलियन से अधिक लोग मारे जाते हैं।
      • घर के अंदर होने वाले प्रदूषण के कारण महिला सदस्य अत्यधिक प्रभावित होती हैं क्योंकि उन्हें अधिक समय तक घर में रहकर कार्य करना होता है।
  • ऊर्जा निर्भरता का विकल्प:
    • बायोगैस का प्रयोग ग्रामीण और कृषि समुदाय जो कि अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिये मुख्य रूप से लकड़ी, गोबर, लकड़ी का कोयला, कोयला और अन्य जीवाश्म ईंधन के दहन पर निर्भर है, की ऊर्जा निर्भरता को बदलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। 
      • भारत में उत्पादित कुल बिजली का केवल 26.53 प्रतिशत नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त होता है।
      • गैर-नवीकरणीय स्रोतों पर अत्यधिक निर्भरता देश में लंबे समय से चली आ रही ऊर्जा समस्याओं का प्रमुख कारण है।
  • पशुधन खाद का प्रबंधन:
    • सूक्ष्म और वृहद् स्तर पर बायोगैस संयंत्र स्थापित करने से पशुधन से प्राप्त खाद, कृषि अपशिष्ट, मिट्टी की बिगड़ती गुणवत्ता, जल प्रदूषण और वनों की कटाई जैसे महत्त्वपूर्ण मुद्दों का समाधान किया जा सकता है।
  • कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करना:
    • एक पूरी तरह कार्यात्मक बायोगैस डाइजेस्टर, संसाधित किये गए प्रत्येक टन फीडस्टॉक (Feedstock Processed) के लिये एक वर्ष में लगभग 2.83 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम कर सकता है।
    • जैविक कचरे को स्वच्छ ऊर्जा में बदलने के लिये बायोगैस डाइजेस्टर का उपयोग करना प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, आजीविका की असमानता और व्यक्तिगत स्तर के साथ-साथ पूरे समुदाय में स्वास्थ्य जैसी चुनौतियों का मुकाबला करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
  • मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार:
    • डाइजेस्टेट (Digestate), बायोगैस संयंत्रों में उत्पन्न एक उप-उत्पाद अर्थात् बाय प्रोडक्ट होता है जो जैव उर्वरक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि यह कार्बनिक पदार्थों से समृद्ध होता है और मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ा सकता है।
      • डाइजेस्टेट, पौधों के लिये आवश्यक सूक्ष्म और मैक्रोपोषक तत्त्वों (Micro and Macro-Nutrients) से भरपूर होता है तथा समय के साथ मिट्टी की गुणवत्ता को खराब करने वाले सिंथेटिक उर्वरकों के विकल्प के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
  • लैंगिक असमानता कम करने में मददगार:
    • बायोगैस लैंगिक असमानता को कम करने और महिलाओं को सशक्त बनाने में भी मदद कर सकती है, जिससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।
    • चूँकि ग्रामीण परिवारों को खाना पकाने के लिये ईंधन के रूप में बायोगैस तक पहुँच प्राप्त होती है, अतः इसके चलते महिलाओं और लड़कियों को जलाऊ लकड़ी तथा अन्य ईंधन इकट्ठा करने में अधिक समय की आवश्यकता नहीं होती है और अपने खाली समय का उपयोग वे शिक्षा, नए कौशल प्राप्त करने एवं सामुदायिक कार्य के लिये कर सकते हैं।
    • नए कौशल प्राप्त करने से अंततः उनकी पहुँच नए रोज़गार और व्यावसायिक अवसरों तक सुनिश्चित होगी जो उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने में मदद तथा घरेलू निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करते है।
  • SDG लक्ष्य प्राप्त करने में सहायक हो सकता है:
    • बायोगैस कई संयुक्त राष्ट्र-अनिवार्य सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता है जैसे कि ज़ीरो हंगर, अच्छा स्वास्थ्य और भलाई, लैंगिक समानता, स्वच्छ पानी एवं स्वच्छता, टिकाऊ, सस्ती व स्वच्छ ऊर्जा, अच्छा काम तथा आर्थिक विकास, असमानताओं में कमी, स्थायी शहर और समुदाय, जलवायु कार्रवाई आदि।

संबंधित पहलें:

  • सतत (SATAT) :
    • SATAT का अर्थ है किफायती परिवहन के लिये सतत् विकल्प (Sustainable Alternative Towards Affordable Transportation- SATAT) है।
    • यह संपीडित बायोगैस उत्पादन संयंत्र स्थापित करने की एक पहल है, जिसका उद्देश्य उद्यमियों से संपीड़ित जैव-गैस (Compressed Biogas-CBG) उत्पादन संयंत्र स्थापित करने और स्वचालित ईंधन (Automotive Fuel) में संपीड़ित जैव-गैस के उपयोग हेतु बाज़ार में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करना है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2019) 

1- कार्बन मोनोऑक्साइड
2- मीथेन
3- ओज़ोन
4- सल्फर डाइऑक्साइड

फसल/जैव अवशेषों के दहन के कारण वायुमंडल में उपर्युक्त में से कौन-से निर्मुक्त होते हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (d) 

  • फसल अवशेष और बायोमास बर्निंग (जंगल की आग) को कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), मीथेन (CH 4), वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOC), और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOX) का एक प्रमुख स्रोत माना जाता है। धान की फसल के अवशेषों को जलाने से वातावरण में सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर, SO2, NO2 और O3 निकलते हैं।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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