जैव विविधता और पर्यावरण
बायोडिग्रेडेबल योगा मैट
- 13 May 2021
- 4 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में असम के मछुआरे समुदाय की छह युवा लड़कियों ने एक बायोडिग्रेडेबल और कम्पोस्टेबल योगा मैट (Biodegradable and Compostable Yoga Mat) विकसित किया है जिसे 'मूरहेन योगा मैट' (Moorhen Yoga Mat) कहा जाता है।
- इसकी शुरुआत उत्तर-पूर्व प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग एवं पहुँच केंद्र (North East Centre for Technology Application and Reach- NECTAR) द्वारा एक पहल के माध्यम से की गई थी।
- NECTAR एक स्वायत्तशासी केंद्र है, जो भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत स्थापित है, इसका मुख्यालय शिलॉन्ग (मेघालय) में है।
प्रमुख बिंदु
बायोडिग्रेडेबल योगा मैट के विषय में:
- 'मूरहेन योगा मैट' का नाम काम सोराई (Kam Sorai- दीपोर बील वन्यजीव अभयारण्य में पाए जाने वाला पक्षी पर्पल मूरहेन) के नाम पर रखा गया है।
- यह हाथ से बुनी हुई 100% बायोडिग्रेडेबल (Biodegradable) और जलकुंभी (Water Hyacinth) से विकसित 100% कम्पोस्टेबल (Compostable) मैट है।
- यह मैट जलकुंभी को हटाकर दलदली भूमि (दीपोर बील) के जलीय इकोसिस्टम में सुधार ला सकती है, सामुदायिक भागीदारी के ज़रिये उपयोगी उत्पादों के उत्पादन में सहायता कर सकती है और स्थानीय समुदायों के लिये आजीविका के अवसर पैदा कर सकती है।
जलकुंभी:
- जलकुंभी एक प्रकार का तैरता आक्रामक खरपतवार है जो पूरे विश्व के जल निकायों में पाया जाता है।
- यह जल प्रणालियों में सूर्य की रोशनी और ऑक्सीजन के स्तर को अवरुद्ध करता है, जिसके परिणामस्वरूप जल की गुणवत्ता को नुकसान पहुँचता है। इस प्रकार जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में रहने वाले विभिन्न जीवों का जीवन गंभीर रूप से प्रभावित हो जाता है।
- इसे बंगाल के आतंक के रूप में भी जाना जाता है, जिसका प्रभाव स्थानीय पारिस्थितिकी और लोगों के जीवन पर पड़ता है।
- यह सिंचाई, पनबिजली उत्पादन और नेविगेशन पर प्रभाव डालता है।
- यह मछली उत्पादन, जलीय फसलों के उत्पादन में कमी और मच्छरों के कारण होने वाली बीमारियों में वृद्धि को बढ़ावा देता है।
दीपोर बील:
- दीपोर बील (बील का अर्थ है असम में वेटलैंड या बड़ी जलीय निकाय) गुवाहाटी शहर से लगभग 10 किमी. दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। इसे असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में स्थित बड़े और महत्त्वपूर्ण आर्द्रभूमि में से एक माना जाता है।
- दीपोर बील का गुवाहाटी शहर के लिये प्रमुख जल भंडारण बेसिन होने के अलावा जैविक और पर्यावरणीय महत्त्व भी है।
- यह भारत में प्रवासी पक्षियों का एक प्रमुख स्थल है, जहाँ सर्दियों के दौरान जलीय पक्षियों की बड़ी संख्या इकठ्ठा होती है।
- दीपोर बील को एवियन जीवों की प्रचुरता के कारण बर्डलाइफ इंटरनेशनल (Birdlife International) द्वारा महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र (Important Bird Area) साइट्स में से एक के रूप में चुना गया है।
- दीपोर बील को नवंबर 2002 में रामसर साइट (Ramsar Site) के रूप में भी नामित किया गया है।