शासन व्यवस्था
भारतमाला चरण-1: समय सीमा बढ़ाई गई
- 04 Jan 2024
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प्रिलिम्स के लिये:भारतमाला, आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA), सार्वजनिक निवेश बोर्ड, पूंजीगत व्यय, वस्तु और सेवा कर मेन्स के लिये:भारतमाला परियोजना और भारत के बुनियादी ढाँचे के विकास में इसका योगदान। |
स्रोत: फाइनेंसियल एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सरकार ने प्रमुख राजमार्ग विकास परियोजना भारतमाला परियोजना चरण- I को पूरा करने की समय सीमा सत्र 2027-28 तक बढ़ा दी है।
- यह कदम मेगा परियोजना की अनुमानित लागत में 100% से अधिक की वृद्धि के बाद उठाया गया है और यह कार्यान्वयन की धीमी गति एवं वित्तीय बाधाओं को दर्शाता है।
भारतमाला परियोजना क्या है?
- परिचय:
- भारतमाला परियोजना सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) के तहत शुरू किया गया एक व्यापक कार्यक्रम है।
- भारतमाला के प्रथम चरण की घोषणा वर्ष 2017 में की गई थी और इसे वर्ष 2022 तक पूरा किया जाना था।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- भारतमाला पहले से निर्मित बुनियादी ढाँचे की बढ़ी हुई प्रभावशीलता, बहुविध एकीकरण, निर्बाध आवागमन के लिये बुनियादी ढाँचे की कमियों को दूर करने एवं राष्ट्रीय व आर्थिक कॉरिडोर को एकीकृत करने पर केंद्रित है।
- उक्त कार्यक्रम के छह प्रमुख घटक हैं:
- आर्थिक कॉरिडोर: आर्थिक कॉरिडोर को एकीकृत करने से आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण उत्पादन तथा उपभोग केंद्रों के बीच विस्तृत जुड़ाव/कनेक्टिविटी की सुविधा मिलती है।
- इंटर-कॉरिडोर और फीडर मार्ग: यह प्रथम मील से अंतिम मील तक की कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगा।
- राष्ट्रीय कॉरिडोर दक्षता में सुधार: इसके माध्यम से मौजूदा राष्ट्रीय कॉरिडोर की क्षमता बढ़ाने और ट्रैफिक जाम को कम करने का लक्ष्य रखा गया है।
- सीमा और अंतर्राष्ट्रीय संपर्क सड़कें: बेहतर सीमा सड़क बुनियादी ढाँचे से अधिक गतिशीलता सुनिश्चित होगी और साथ ही पड़ोसी देशों के साथ व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा।
- तटीय व पोर्ट कनेक्टिविटी हेतु सड़कें: तटीय क्षेत्रों में कनेक्टिविटी के माध्यम से बंदरगाह आधारित आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है, जिससे पर्यटन एवं औद्योगिक विकास दोनों बेहतर होते हैं।
- ग्रीन-फील्ड एक्सप्रेसवे: उच्च यातायात सघनता और अधिक जाम वाले स्थान की उपस्थिति वाले एक्सप्रेसवे ग्रीन-फील्ड एक्सप्रेसवे से लाभान्वित होंगे।
- स्थिति:
- नवंबर 2023 तक 15,045 किमी यानी 42% प्रोजेक्ट पूरा हो चुका है।
- चुनौतियाँ:
- कच्चे माल की लागत, भूमि अधिग्रहण लागत में वृद्धि, हाई-स्पीड कॉरिडोर का निर्माण और वस्तु एवं सेवा कर दरों में वृद्धि।
आगे की राह
- प्रतिस्पर्धी कीमतों पर कच्चा माल प्राप्त करने के लिये रणनीतिक खरीद विधियों की जाँच करना। अनुकूल दरें सुनिश्चित करने के लिये, विशेषकर बाज़ार में उतार-चढ़ाव के दौरान, आपूर्तिकर्त्ताओं के साथ बातचीत में भाग लेना।
- मुआवज़ा संबंधी विवादों को कम करने के लिये कुशल और पारदर्शी भूमि अधिग्रहण प्रक्रियाओं को लागू करना। इस प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिये भूमि अधिग्रहण और सामुदायिक सहभागिता जैसे विकल्पों का पता लगाना।
- हाई-स्पीड कॉरिडोर को शामिल करने से पहले संपूर्ण व्यवहार्यता अध्ययन करना। लागत-प्रभावशीलता के साथ कार्यक्षमता को संतुलित करने के लिये गलियारे के डिज़ाइन को अनुकूलित करना।
- अनिश्चितताओं को कम करने के लिये स्थिर और पूर्वानुमानित GST नीतियों की वकालत करना। कर दर में बदलाव के प्रभाव पर उद्योग को अंतर्दृष्टि प्रदान करने के लिये सरकारी अधिकारियों के साथ सामंजस्य स्थापित करना।
सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न 1. 'राष्ट्रीय निवेश और बुनियादी ढाँचा कोष' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d)
अतः विकल्प (d) सही है। मेन्स:प्रश्न. अधिक तीव्र और समावेशी आर्थिक विकास के लिये बुनियादी अवसंरचना में निवेश आवश्यक है।” भारत के अनुभव के आलोक में चर्चा कीजिये। (वर्ष 2021) |