बेदती-वरदा नदी को आपस में जोड़ने की परियोजना | 24 Jun 2022
प्रिलिम्स के लिये:बेदती-वरदा नदी को आपस में जोड़ने की परियोजना, तुंगभद्रा नदी, मेन्स के लिये:नदियों को आपस में जोड़ने वाली परियोजनाओं के मुद्दे। |
चर्चा में क्यों?
कर्नाटक में दो पर्यावरण समूहों ने बेदती और वरदा नदियों को जोड़ने की परियोजना की आलोचना करते हुए इसे अवैज्ञानिक और जनता के पैसे की बर्बादी बताया है।
बेदती-वरदा परियोजना:
- बेदती-वरदा परियोजना की परिकल्पना वर्ष 1992 में पेयजल की आपूर्ति के लिये की गई थी ।
- इस योजना का उद्देश्य अरब सागर की ओर पश्चिम में बहने वाली एक नदी बेदती को तुंगभद्रा नदी की एक सहायक नदी वरदा के साथ जोड़ना है, जो कृष्णा नदी में मिलकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
- गदग ज़िले के हिरेवाडट्टी में एक विशाल बाँध बनाया जाएगा।
- उत्तर कन्नड़ ज़िले के सिरसी के मेनासागोडा में पट्टनहल्ला नदी पर एक दूसरा बाँध बनाया जाएगा।
- दोनों बाँध सुरंगों के माध्यम से वरदा तक पानी ले जाएंगे।
- पानी केंगरे तक पहुँच जाएगा और फिर हक्कालुमाने तक 6.88 किमी. की सुरंग से नीचे प्रवाहित होगा, जहाँ यह वरदा में शामिल हो जाएगा।
- इस प्रकार इस परियोजना में उत्तर कन्नड़ ज़िले के सिरसी-येलापुरा क्षेत्र के जल को रायचूर, गडग और कोप्पल ज़िलों के शुष्क क्षेत्रों में ले जाने की परिकल्पना की गई है।
- बेदती और वरदा नदियों की पट्टनहल्ला (Pattanahalla) और शाल्मलाहल्ला (Shalmalahalla) सहायक नदियों से कुल 302 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी, जबकि 222 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बेदती नदी के विपरीत बने सुरेमाने बैराज से निकाला जाएगा।
- गडग तक पानी खींचने के लिये परियोजना को 61 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होगी। इसके बाद भी यह पता नहीं चल पाया है कि पानी गडग तक पहुंँचेगा या नहीं।
परियोजना से जुड़े मुद्दे:
- मार्ग के पुन:निर्धारण में मुश्किल :
- पश्चिम की ओर बहने वाली नदी को पूर्व की ओर बहने के लिये पुनर्निर्देशित करना कठिन कार्य है।
- वर्षा जल पर निर्भर नदियाँ:
- गर्मियों की शुरुआत में, बेदती और वरदा नदियाँ सूखने लगती हैं।.
- यह एक दुखद विडंबना है कि सरकार द्वारा नियुक्त वैज्ञानिक इन नदियों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के बहाने आपस में जोड़ने की योजना बना रहे हैं, यह जानते हुए भी कि वे पूरे साल नहीं बहती हैं।
- उचित प्रोजेक्ट रिपोर्ट का अभाव:
- सिंचाई विभाग द्वारा तैयार की गई विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (Detailed Project Report- DPR) सटीक नहीं है क्योंकि यह पानी की उपलब्धता का आकलन किये बिना और बेदती-अघानाशिनी और वरदा नदियों के अंतर्संबंध पर राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (National Water Development Agency- NWDA) की रिपोर्ट के अवलोकन को उद्धृत किये बिना तैयार की गई थी।
- पर्यावरणीय प्रभाव :
- 500 एकड़ से ज्यादा जंगल खत्म हो जाएँगे। अंततः परिणाम यह होगा कि पानी की भी काफी कमी हो जाएगी।
- इस परियोजना से वनस्पतियों और जीवों को भी नुकसान होगा।
- प्रकृति के संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ द्वारा बेदती घाटी को एक सक्रिय जैव विविधता क्षेत्र के रूप में नामित किया गया है।
- यह क्षेत्र 1,741 प्रकार के फूलों के पौधों के साथ-साथ पक्षियों और जानवरों की 420 प्रजातियों का आवास है।
- नदी के साथ जो पोषक तत्त्व होते हैं, वे विशेष रूप से देदी में बेदती के मुहाने पर मछली के भंडार को बनाए रखने के लिये उत्तरदायी होते हैं।
- नदी घाटी लगभग 35 विभिन्न पशु प्रजातियों के लिये गलियारे (corridor) के रूप में कार्य करती है। मुहाना क्षेत्र में बेदती को गंगावली के नाम से जाना जाता है।
- हजारों लोगों के प्रभावित जीवन:
- बेदती और वरदा नदियाँ तट के किनारे मछली पकड़ने वाले समुदायों के अलावा, पश्चिमी घाट की तलहटी, मालेनाडु क्षेत्र में हज़ारों किसानों के लिये जीवन जीने का आधार है।
आगे की राह:
- नदियों को आपस में जोड़ने के अपने लाभ और नुकसान हैं, लेकिन आर्थिक, राजनीतिक और पर्यावरणीय प्रभावों को देखते हुए इस परियोजना को केंद्रीकृत राष्ट्रीय स्तर पर लागू करना एक समझदारी भरा निर्णय नहीं हो सकता है।
- इसके बजाय नदियों को जोड़ने का विकेन्द्रीकृत तरीके से अनुसरण किया जा सकता है, और बाढ़ एवं सूखे को कम करने के लिये वर्षा जल संचयन जैसे अधिक टिकाऊ तरीकों को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न: हाल ही में निम्नलिखित में से किन नदियों को आपस में जोड़ने का कार्य शुरू किया गया है? (2016) (a) कावेरी और तुंगभद्रा उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही है। |