इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भारतीय अर्थव्यवस्था

बैंक जमा राशि बीमा कार्यक्रम

  • 15 Dec 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जमा राशि बीमा, DICGC

मेन्स के लिये:

जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (DICGC) की आवश्यकता और जमा बीमा का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री ने "जमाकर्त्ता प्रथम: 5 लाख रुपए तक गारंटीकृत समयबद्ध जमा बीमा भुगतान" पर नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि 1 लाख से अधिक जमाकर्त्ताओं (जो बैंकों में के समक्ष उत्पन्न वित्तीय संकट के कारण अपने धन का उपयोग नहीं कर सके) को 1,300 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था।

  • जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation-DICGC) अधिनियम के तहत 76 लाख करोड़ रुपए की जमा राशि का बीमा किया गया था, जो लगभग 98% बैंक खातों को पूर्ण कवरेज़ प्रदान करता है।
  • इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (DICGC) विधेयक, 2021 को मंज़ूरी दी थी।

जमा बीमा: यदि कोई बैंक वित्तीय रूप से विफल हो जाता है और उसके पास जमाकर्त्ताओं को भुगतान करने के लिये पैसे नहीं होते हैं तथा उसे परिसमापन के लिये जाना पड़ता है, तो यह बीमा बैंक जमा को होने वाले नुकसान के खिलाफ एक सुरक्षा कवर प्रदान करता है।

क्रेडिट गारंटी: यह वह गारंटी है जो प्रायः लेनदार को उस स्थिति में एक विशिष्ट उपाय प्रदान करती है जब उसका देनदार अपना कर्ज़ वापस नहीं करता है।

प्रमुख बिंदु

  • जमा बीमा हेतु सीमा:
    • वर्तमान में एक जमाकर्त्ता के पास बीमा कवर के रूप में प्रति खाता अधिकतम 5 लाख रुपए का दावा है। इस राशि को 'जमा बीमा' कहा जाता है।
      • जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (DICGC) द्वारा प्रति जमाकर्त्ता को 5 लाख रुपए का कवर प्रदान किया जाता है।
    • जिन जमाकर्त्ताओं के खाते में 5 लाख रुपए से अधिक हैं, उनके पास बैंक के दिवालिया होने की स्थिति में धन की वसूली के लिये कोई कानूनी सहारा नहीं है।
    • बीमा के लिये प्रीमियम प्रत्येक 100 रुपए जमा हेतु 10 पैसे से बढ़ाकर 12 पैसे कर दिया गया है और यह सीमा 15 पैसे तक बढाई गई है।
      • इस बीमा के प्रीमियम का भुगतान बैंकों द्वारा DICGC को किया जाता है और जमाकर्त्ताओं को नहीं दिया जाता है।
      • बीमित बैंक पिछले छमाही के अंत में अपनी जमा राशि के आधार पर, प्रत्येक वित्तीय छमाही की शुरुआत से दो महीने के भीतर अर्ध-वार्षिक रूप से निगम को अग्रिम बीमा प्रीमियम का भुगतान करते हैं।
  • कवरेज़:
    • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, स्थानीय क्षेत्र के बैंकों, भारत में शाखाओं वाले विदेशी बैंकों और सहकारी बैंकों सहित बैंकों को DICGC के साथ जमा बीमा कवर लेना अनिवार्य है।
  • कवर की गई जमा राशियों के प्रकार:
    • DICGC निम्नलिखित प्रकार की जमाराशियों को छोड़कर सभी बैंक जमाओं, जैसे बचत, सावधि, चालू, आवर्ती आदि का बीमा करता है:
      • विदेशी सरकारों की जमाराशियाँ।
      • केंद्र/राज्य सरकारों की जमाराशियाँ।
      • अंतर-बैंक जमा।
      • राज्य भूमि विकास बैंकों की राज्य सहकारी बैंकों में जमाराशियाँ।
      • भारत के बाहर प्राप्त कोई भी जमा राशि।
      • कोई भी राशि जिसे आरबीआई की पिछली मंज़ूरी के साथ निगम द्वारा विशेष रूप से छूट दी गई है।
  • जमा बीमा की आवश्यकता:

DICGC

  • DICGC के बारे में:
    • यह वर्ष 1978 में संसद द्वारा डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन एक्ट, 1961 के पारित होने के बाद जमा बीमा निगम (Deposit Insurance Corporation- DIC) तथा क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (Credit Guarantee Corporation of India- CGCI) के विलय के बाद अस्तित्व में आया।
    • यह भारत में बैंकों के लिये जमा बीमा और ऋण गारंटी के रूप में कार्य करता है।
    • यह भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा संचालित और पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है।
  • फंड:
    • निगम निम्नलिखित निधियों का रख-रखाव करता है:
      • जमा बीमा कोष
      • क्रेडिट गारंटी फंड
      • सामान्य निधि
    • पहले दो को क्रमशः बीमा प्रीमियम और प्राप्त गारंटी शुल्क द्वारा वित्तपोषित किया जाता है तथा संबंधित दावों के निपटान के लिये उपयोग किया जाता है।
    • सामान्य निधि का उपयोग निगम की स्थापना और प्रशासनिक खर्चों को पूरा करने के लिये किया जाता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2