जैव विविधता और पर्यावरण
दिल्ली-एनसीआर में कोयले के उपयोग पर प्रतिवंध
- 09 Jun 2022
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग, ग्रीनहाउस गैस, पार्टिकुलेट मैटर, नाइट्रोजन ऑक्साइड, CO2, CO, कोयला, प्राकृतिक गैस मेन्स के लिये:वायु प्रदूषण, पर्यावरण प्रदूषण और अवनयन के प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने 1 जनवरी, 2023 से पूरे दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में औद्योगिक, घरेलू और अन्य विविध अनुप्रयोगों में कोयले के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश जारी किये हैं।
- यह कदम दिल्ली एनसीआर में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिये उठाया गया है।
- दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित राजधानी शहरों में से एक है।
- प्रदूषण सूचकांक के अनुसार, राजधानी, उसके पड़ोसी शहरों- गुड़गांँव, नोएडा और गाजियाबाद में औसतन वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300-400 के स्तर पर है।
पहल का महत्त्व:
- कोयले की बचत:
- प्राकृतिक गैस और बायोमास जैसे स्वच्छ ईंधन का उपयोग न केवल वार्षिक रूप से 1.7 मिलियन टन कोयले की बचत में मदद करेगा, बल्कि पार्टिकुलेट मैटर (PM), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), CO2 और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) सहित अन्य प्रदूषकों को भी कम करने में सहायक होगा।
- हालांँकि एनसीआर में ताप विद्युत संयंत्रों को कम सल्फर वाले कोयले का उपयोग करने की अनुमति है।
- प्राकृतिक गैस और बायोमास जैसे स्वच्छ ईंधन का उपयोग न केवल वार्षिक रूप से 1.7 मिलियन टन कोयले की बचत में मदद करेगा, बल्कि पार्टिकुलेट मैटर (PM), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), CO2 और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) सहित अन्य प्रदूषकों को भी कम करने में सहायक होगा।
- वायु प्रदूषण से निपटने में मदद:
- कोयले से होने वाला भारी प्रदूषण एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु की खराब गुणवत्ता में एक महत्त्वपूर्ण योगदानकर्त्ता है तथा इस प्रकार समय के साथ एक स्वच्छ ईंधन के उपयोग पर बल देने की आवश्यकता महसूस की गई है।
- प्रत्येक वर्ष जीवाश्म ईंधन से होने वाला वायु प्रदूषण लाखों लोगों की जान लेता है, मानव में स्ट्रोक, फेफड़ों के कैंसर और अस्थमा के खतरे को बढ़ाता है, जिसके इलाज़ हेतु भारी मात्रा में पैसा खर्च करना पड़ता है।
- कोयले से होने वाला भारी प्रदूषण एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु की खराब गुणवत्ता में एक महत्त्वपूर्ण योगदानकर्त्ता है तथा इस प्रकार समय के साथ एक स्वच्छ ईंधन के उपयोग पर बल देने की आवश्यकता महसूस की गई है।
- प्राकृतिक गैस को बढ़ावा:
- ईंधन के रूप में कोयले के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के फैसले से एनसीआर में ईंधन के रूप में प्राकृतिक गैस की संभावनाएँ बढ़ेंगी।
- पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ के अनुसार, भारत में 43 घन मीटर की तुलना में वैश्विक प्रति व्यक्ति प्राकृतिक गैस की खपत 496 घन मीटर है।
- ईंधन के रूप में कोयले के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के फैसले से एनसीआर में ईंधन के रूप में प्राकृतिक गैस की संभावनाएँ बढ़ेंगी।
वायु प्रदूषण से निपटने के लिये उठाए गए कदम:
- स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देना:
- CAQM उद्योगों को पाइप्ड प्राकृतिक गैस और अन्य स्वच्छ ईंधन में स्थानांतरित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
- एनसीआर में विभिन्न उद्योगों द्वारा सालाना लगभग 1.7 मिलियन टन कोयले की खपत होती है, जिसमें लगभग 1.4 मिलियन टन की खपत अकेले छह प्रमुख औद्योगिक लों में होती है।
- सर्वोच्च न्यायालय का आदेश:
- दिसंबर 2021 में सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को दिल्ली और एनसीआर में हर साल होने वाले वायु प्रदूषण के खतरे का स्थायी समाधान खोजने का आदेश दिया।
- तद्नुसार CAQM ने ऐसे सभी सुझावों और प्रस्तावों पर विचार-विमर्श करने के लिये एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया।
- विशेषज्ञ समूह ने अत्यधिक प्रदूषणकारी जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला और अनिवार्य स्वच्छ ईंधन के उपयोग को यथासंभव सीमा तक चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की सिफारिश की है।
वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने हेतु भारत की पहलें:
- ‘वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली’- सफर (The System of Air Quality and Weather Forecasting And Research- SAFAR) पोर्टल
- वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI): इसे आठ प्रदूषकों को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है। इसमे शामिल हैं- PM2.5, PM10, अमोनिया, लेड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, ओज़ोन और कार्बन मोनोऑक्साइड।
- ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान।
- वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने हेतु:
- बीएस-VI वाहन
- इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को बढ़ावा देना
- एक आपातकालीन उपाय के रूप में ‘ऑड-इवन’ नीति
- वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग
- टर्बो हैप्पी सीडर (THS) मशीन खरीदने पर किसानों को सब्सिडी
कोयले की मुख्य विशेषताएँ:
- यह सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला जीवाश्म ईंधन है। इसका उपयोग घरेलू ईंधन के रूप में लोहा, इस्पात, भाप इंजन जैसे उद्योगों में और बिजली पैदा करने के लिये किया जाता है। कोयले से उत्पन्न बिजली को ‘थर्मल पावर’ कहते हैं।
- आज हम जिस कोयले का उपयोग कर रहे हैं, वह लाखों साल पहले बना था, जब विशाल फर्न और दलदल पृथ्वी की परतों के नीचे दब गए थे। इसलिये कोयले को बरीड सनशाइन (Buried Sunshine) कहा जाता है।
- दुनिया के प्रमुख कोयला उत्पादकों में चीन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और भारत शामिल हैं।
- भारत के कोयला उत्पादक क्षेत्रों में झारखंड में रानीगंज, झरिया, धनबाद और बोकारो शामिल हैं।
- कोयले को चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है: एन्थ्रेसाइट, बिटुमिनस, सबबिटुमिनस और लिग्नाइट। यह रैंकिंग कोयले में मौजूद कार्बन के प्रकार व मात्रा और कोयले की उष्मा ऊर्जा की मात्रा पर निर्भर करती है।
विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2010)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से अम्लीय वर्षा का/के कारक है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: C व्याख्या:
प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये :
फसल/जैव मात्रा के अवशेषों के दहन के कारण वायुमंडल में उपर्युक्त में से कौन-से निर्मुक्त होते हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर:D व्याख्या:
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