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बैहेतन बाँध: दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा जलविद्युत बाँध

  • 29 Jun 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

बैहेतन बाँध, थ्री गॉर्जेस डैम, ब्रह्मपुत्र नदी

मेन्स के लिये:

चीन के लिये बाँध निर्माण का महत्त्व और भारत पर इसका प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में चीन ने दुनिया के दूसरे सबसे बड़े जलविद्युत बाँध- बैहेतन बाँध का संचालन शुरू कर दिया है।

  • चीन की यांग्त्ज़ी नदी पर स्थित ‘थ्री गॉर्जेस डैम’ दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर डैम है। इसने वर्ष 2003 में परिचालन शुरू किया था।

Baihetan-Dam

प्रमुख बिंदु

बाँध के विषय में

  • यह जिंशा नदी पर है, जो कि यांग्त्ज़ी नदी (एशिया की सबसे लंबी नदी) की एक सहायक नदी है।
  • इसे 16,000 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता के साथ बनाया गया है।
  • यह अंततः एक दिन में इतनी बिजली पैदा करने में सक्षम होगा, जो तकरीबन 500000 लोगों की एक वर्ष की बिजली ज़रूरतों को पूरा करने के लिये पर्याप्त होगी।

चीन के लिये इसका महत्त्व

  • यह अधिक जलविद्युत क्षमता का निर्माण करके जीवाश्म ईंधन की बढ़ती मांग को कम करने संबंधी चीन के प्रयासों का हिस्सा है।
    • इसका निर्माण ऐसे समय में किया गया  है जब पर्यावरण संबंधी शिकायतों (जैसे कि खेतों में बाढ़ और नदियों की पारिस्थितिकी में व्यवधान, मछलियों एवं अन्य प्रजातियों के लिये खतरा आदि) के कारण अन्य देश बाँध निर्माण के पक्ष में नहीं हैं।
  • चीन ने वर्ष 2020 में वर्ष 2060 तक कार्बन तटस्थता के लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रतिज्ञा की थी, जिसने इस बाँध के निर्माण के निर्णय को लेकर चीन की तात्कालिकता को और बढ़ा दिया था।

चीन की अन्य आगामी परियोजनाएंँ:

  •  तिब्बत के मेडोग काउंटी (Tibet's Medog County) में चीन द्वारा मेगा-डैम की योजना जो आकार में थ्री गॉर्जिज डैम (Three Gorges Dam) से भी विशाल है, के संबंध में विश्लेषकों का मानना है कि यह तिब्बती सांस्कृतिक विरासत के लिये एक खतरा है, साथ ही यह बीजिंग द्वारा भारत की जल आपूर्ति के एक बड़े हिस्से को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने का एक तरीका है।
    • इस योजना के तहत ब्रह्मपुत्र नदी (Brahmaputra River) के निचले हिस्से में एक बाँध का निर्माण किया जाना है।
    • ब्रह्मपुत्र विश्व की सबसे लंबी नदियों में से एक है।
    • ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत में हिमालय से शुरू होकर अरुणाचल प्रदेश राज्य में भारत में प्रवेश करती है, फिर असम, बांग्लादेश से बहते हुए बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है।
  • चीन के मेकांग वाले क्षेत्र में बाँधों के प्रभाव ने इस आशंका को भी बढ़ा दिया है कि इनके निर्माण से उस निचले जलमार्ग में अपरिवर्तनीय क्षति हो रही है जो वियतनामी डेल्टा से होकर गुज़रता है तथा 60 मिलियन लोगों को पोषण/भोजन उपलब्ध कराता है।

चिंताएँ: 

  • कृषि:
    • एक विशाल बाँध (जैसे ब्रह्मपुत्र पर) नदी द्वारा लाई गई गाद को भारी मात्रा में रोक सकता है (सिल्टी मिट्टी अन्य प्रकार की मिट्टी की तुलना में अधिक उपजाऊ होती है और यह फसल उगाने के लिये अच्छी होती है)।
    • इससे नदी के निचले इलाकों में खेती प्रभावित हो सकती है।
  • जल संसाधन:
    • भारत पूर्वोत्तर राज्यों जैसे असम में मानसून के दौरान  बाढ़ का पानी छोड़े जाने को लेकर भी चिंतित है।
    • देशों के बीच गतिरोध के समय यह परिवर्तन चिंता का विषय है।
      • भारत और चीन के बीच वर्ष 2017 के डोकलाम सीमा (Doklam Border) गतिरोध के दौरान चीन ने अपने बाँधों से जल स्तर को रोक दिया था।
  • पारिस्थितिक प्रभाव:
    • हिमालयी क्षेत्र में पारिस्थितिकी तंत्र पहले से ही गिरावट की स्थिति में है। जंगल और जीवों की कई प्रजातियाँ दुनिया के इस हिस्से के लिये स्थानिक हैं तथा उनमें से कुछ गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं। पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील इस क्षेत्र में इसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
    • बड़े पैमाने पर इंजीनियरिंग परियोजनाओं ने भी सैकड़ों-हज़ारों स्थानीय समुदायों को विस्थापित कर दिया है और पड़ोसी देशों के समक्ष चिंता की स्थिति पैदा कर दी है।

आगे की राह

  • भारत ने चीन से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि अपस्ट्रीम क्षेत्रों में किसी भी गतिविधि से डाउनस्ट्रीम राज्यों के हितों को नुकसान न पहुँचे। इस बीच भारत चीनी बाँध के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिये अरुणाचल प्रदेश में दिबांग घाटी में 10 गीगावाट (GW) की जलविद्युत परियोजना बनाने पर विचार कर रहा है।
  • हालाँकि बड़ा मुद्दा यह है कि एक नाजुक पहाड़ी परिदृश्य में बहुत अधिक जल-विद्युत विकास एक अच्छा विचार नहीं है।

स्रोत: लाइवमिंट

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