AVGC प्रमोशन टास्क फोर्स रिपोर्ट | 27 Dec 2022
प्रिलिम्स के लिये:विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, AVGC, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, अटल टिंकरिंग लैब्स मेन्स के लिये:AVGC सेक्टर और संबंधित चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
सरकार ने AVGC क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये एक एनिमेशन, विज़ुअल इफेक्ट्स, गेमिंग और कॉमिक्स (AVGC) प्रमोशन टास्क फोर्स का गठन किया है।
मुख्य सिफारिशें:
- वैश्विक पहुँच के लिये घरेलू उद्योग का विकास:
- AVGC क्षेत्र के एकीकृत प्रचार और विकास के लिये बजट परिव्यय के साथ एक राष्ट्रीय AVGC-XR (विस्तारित वास्तविकता) मिशन बनाया जाएगा।
- भारत और दुनिया के लिये भारत में सामग्री निर्माण पर विशेष ध्यान देने के साथ 'क्रिएट इन इंडिया' अभियान का शुभारंभ किया गया।
- भारत को AVGC के लिये वैश्विक केंद्र बनाने के लक्ष्य सहित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), सह-उत्पादन संधियों और नवाचार पर ध्यान देने व गेमिंग एक्सपो के साथ-साथ एक अंतर्राष्ट्रीय AVGC मंच स्थापित करना चाहिये।
- AVGC सेक्टर में स्किलिंग, शिक्षा, विकास और रिसर्च एंड इनोवेशन हेतु अंतर्राष्ट्रीय बिंदु बनने के लिये AVGC सेक्टर का एक राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (COE) स्थापित करना।
- जनसांख्यिकीय लाभाँश का एहसास करने के लिये पारिस्थितिकी तंत्र का विकास करना:
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) का लाभ स्कूल स्तर पर AVGC पाठ्यक्रम सामग्री के साथ रचनात्मक सोच विकसित करने के लिये मूलभूत कौशल का निर्माण करना और कॅरियर विकल्प के रूप में AVGC के बारे में जागरूकता पैदा करना।
- स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री के लिये विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रम का भी सुझाव दिया गया है।
- गैर-मेट्रो शहरों और पूर्वोत्तर राज्यों के छात्रों के लिये रोज़गार के अवसर तथा उनकी क्षमताओं का दोहन सुनिश्चित करने के लिये उद्योग की भागीदारी बढ़ाना।
- अटल टिंकरिंग लैब्स की तर्ज पर शैक्षणिक संस्थानों में AVGC एक्सेलेरेटर्स और इनोवेशन हब की स्थापना की गई है।
- भारतीय AVGC उद्योग हेतु प्रौद्योगिकी और वित्तीय व्यवहार्यता बढ़ाना:
- MSME, स्टार्ट-अप और संस्थानों के लिये सदस्यता-आधारित मूल्य निर्धारण मॉडल को बढ़ावा देकर AVGC तकनीकों का लोकतंत्रीकरण करना।
- अनुसंधान एवं विकास और IP निर्माण के लिये प्रोत्साहन योजनाओं के माध्यम से AVGC प्रौद्योगिकियों को भारत में निर्मित करना। AVGC हार्डवेयर निर्माताओं को प्रोत्साहित करने के लिये PLI योजना का मूल्यांकन करना।
- AVGC क्षेत्र में ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस अर्थात् कर लाभ, आयात शुल्क, डकैती पर अंकुश लगाना आदि।
- अनुसंधान एवं विकास और स्थानीय IP निर्माण की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये AVGC उद्यमियों को तकनीकी, वित्तीय और बाज़ार पहुँच सहायता प्रदान करने हेतु स्टार्ट-अप इंडिया का लाभ उठाना।
- समावेशी विकास के माध्यम से भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ाना:
- विश्व स्तर पर भारतीय संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने के लिये भारत भर से घरेलू सामग्री निर्माण के लिये एक समर्पित उत्पादन कोष स्थापित करना।
- प्रसारकों द्वारा उच्च गुणवत्ता वाली स्वदेशी सामग्री के लिये आरक्षण का मूल्यांकन करना चाहिये।
- समावेशी भारत के लिये भारत के टीयर 2 और 3 कस्बों एवं गाँवों में युवाओं के लिये कौशल विकास तथा उद्योग पहुँच को लक्षित करना।
- AVGC क्षेत्र में महिला उद्यमियों के लिये विशेष प्रोत्साहन सुनिश्चित करना।
- डिजिटल दुनिया में बाल अधिकार संरक्षण सुनिश्चित करने के लिये ढाँचा स्थापित करना।
भारत के AVGC सेक्टर की स्थिति:
- भारत में AVGC क्षेत्र ने हाल के दिनों में अभूतपूर्व विकास दर देखी है, कई वैश्विक अभिकर्त्ता सेवाओं की अपतटीय डिलीवरी का लाभ उठाने के लिये भारतीय प्रतिभा क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं।
- इसके अलावा मीडिया और मनोरंजन (Media and Entertainment- M&E) उद्योग के वर्ष 2026 तक 8.8% CAGR से बढ़ने की उम्मीद है।
- विशेषज्ञों के अनुसार, मीडिया और मनोरंजन उद्योग के तहत AVGC क्षेत्र अगले दशक में 14-16% की वृद्धि कर सकता है।
- भारत AVGC क्षेत्र में उच्चस्तरीय, कौशल-आधारित गतिविधियों के लिये एक प्राथमिक गंतव्य के रूप में उभर रहा है।
- भारत सरकार ने ऑडियो-विज़ुअल सेवाओं को 12 चैंपियन सेवा क्षेत्रों में से एक के रूप में नामित किया है और निरंतर विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रमुख नीतिगत उपायों की घोषणा की है।
- AVGC क्षेत्र मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के एक महत्त्वपूर्ण विकास इंजन के रूप में उभर रहा है।
AVGC क्षेत्र संबंधी चुनौतियाँ:
- प्रामाणिक डेटा का अभाव:
- AVGC क्षेत्र के लिये रोज़गार, उद्योग का आकार, शिक्षा आदि जैसे डेटा की अनुपलब्धता संस्थाओं के लिये निर्णय लेना कठिन बना देती है।
- शिक्षा और रोज़गार क्षेत्र में कौशल अंतराल:
- देश के भीतर AVGC पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिये एनिमेटर्स, डेवलपर्स, डिजाइनर्स, स्थानीय विशेषज्ञों, उत्पाद प्रबंधकों आदि जैसी विभिन्न भूमिकाओं हेतु विशेष कौशल वाले कार्यबल की आवश्यकता होती है।
- वर्तमान में स्कूल और विश्वविद्यालय स्तर पर शिक्षा प्रणाली में AVGC पर केंद्रित एक समर्पित पाठ्यक्रम नहीं है।
- अवसंरचना बाधाएँ:
- पर्याप्त प्रशिक्षण अवसंरचना के अभाव में छात्रों को दिये जा रहे प्रशिक्षण की गुणवत्ता में गिरावट आई है, जिससे AVGC उद्योग के लिये आउटपुट और मानव संसाधनों की गुणवत्ता प्रभावित हुई है।
- अनुसंधान विकास पर कम ध्यान:
- AVGC-XR क्षेत्र के लिये अनुसंधान से संबंधित वातावरण विकसित करने की भी आवश्यकता है, ताकि इस पर पर्याप्त ध्यान दिया जा सके।
- AVGC अकादमिक संदर्भ बिंदु की अनुपस्थिति:
- इंजीनियरिंग, डिज़ाइन, प्रबंधन, पैकेजिंग आदि जैसे अन्य क्षेत्रों के विपरीत AVGC क्षेत्र के लिये भारत में कोई शीर्ष संस्थान नहीं है।
- निधि का अभाव:
- वर्तमान में AVGC क्षेत्र के प्रचार के लिये कोई समर्पित निधि उपलब्ध नहीं है जो भारत में क्षेत्र के विकास हेतु एक बाधा के रूप में कार्य करता है।
- विश्व स्तर पर लोकप्रिय भारतीय आईपी की कमी:
- AVGC क्षेत्र को सामान्य रूप से मूल भारतीय बौद्धिक संपदा की कमी का सामना करना पड़ा है क्योंकि इस क्षेत्र में अधिकांश कार्य बाहरी स्रोत से किये जाते हैं।
- एनीमेशन उद्योग में अन्य देशों की सेवाओं का प्रभुत्त्व है और इस प्रकार स्थानीय IP में वृद्धि करने हेतु अतिरिक्त रियायतों के साथ स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहित करना आवश्यक है
आगे की राह
- समग्र शैक्षणिक पाठ्यक्रम की आवश्यकता:
- भारत में विभिन्न संस्थानों द्वारा पेश किये जाने वाले अधिकांश AVGC संबंधित कार्यक्रम शैक्षणिक प्रकृति के हैं। इस प्रकार प्रासंगिक उद्योग कार्यक्रमों की पेशकश करने वाले एक समग्र पाठ्यक्रम को विकसित करने की आवश्यकता है।
- अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन:
- संपूर्ण AVGC सेक्टर को चलाने में अनुसंधान और विकास बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिये इस क्षेत्र के लिये केंद्रित हस्तक्षेप किये जाने की आवश्यकता है।
- भारत के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को जानने की आवश्यकता:
- इच्छुक उद्यमी न केवल विभिन्न रोज़गार के अवसर पैदा करते हैं बल्कि उद्योग के आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देते हैं।
- नए आविष्कार भारतीय AVGC उद्योग को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तेज़ गति से बढ़ने में सक्षम बनाएंगे।