आपदा प्रबंधन
दावानल द्वारा विकसित मौसम प्रणाली
- 11 Jan 2020
- 9 min read
प्रीलिम्स के लिये:Pyrocumulonimbus Clouds मेन्स के लिये:वनाग्नि एवं जलवायु परिवर्तन |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विशेषज्ञों ने ऑस्ट्रेलिया की वनाग्नि के प्रभाव से इस क्षेत्र में एक नई मौसम प्रणाली विकसित होने के संकेत दिये हैं। जिसमें अनियंत्रित आग के कारण इस क्षेत्र में उत्पन्न हुई यह परिस्थिति वनाग्नि की अनिश्चितता को बढ़ाने के साथ-साथ इस स्थिति पर नियंत्रण पाना और अधिक कठिन बना देती है।
मुख्य बिंदु:
- ऑस्ट्रेलिया में विशेषज्ञों ने दावानल में एक नई प्रक्रिया को विकसित होते देखा है, जिसमें दावानल की अनियंत्रित आग के कारण इस क्षेत्र की ऊष्मा के अधिक बढ़ जाने से जल रहे वनों में शुष्क तड़ित झंझा और अग्नि बवंडर के साथ एक नई मौसम प्रणाली का निर्माण हुआ।
- इस प्रक्रिया के दौरान आग की लपटें पृथ्वी की सतह से 40 फीट से अधिक ऊँचाई तक पहुँच गईं। विशेषज्ञों के अनुसार, मौसम के इस व्यवहार का कारण Pyrocumulonimbus बादलों का बनाना है।
क्या हैं Pyrocumulonimbus बादल?
- Pyrocumulonimbus= Pyro (आग)+ cumulonimbus (कपासी मेघ)
- ऑस्ट्रेलिया के मौसम विभाग के अनुसार, यह मेघ एक प्रकार का तड़ित झंझावात (Thunderstorm) है जो धुएँ के बड़े गुबार से बनता है। जब आग से निकलने वाली भीषण गर्मी से गर्म हवाएँ तेज़ी से ऊपर उठती हैं तो इस खाली जगह का स्थान ठंडी हवाएँ ले लेती हैं। आग के प्रभाव से बने बादल ऊपर उठकर कम तापमान वाले वातावरण के संपर्क में आकर ठंडे हो जाते है और इन बादलों के ऊपरी हिस्से में बर्फ के कणों के बीच घर्षण से विद्युत आवेश बनता है जो आकाशीय बिजली के रूप में धरती पर गिरती है।
- यह प्रक्रिया वनाग्नि की अनिश्चितता और विभीषिका को और बढ़ाती है, जिससे आग पर नियंत्रण पाने में अधिक कठिनाई होती है तथा आकाशीय बिजली से नए स्थानों पर आग लगने का खतरा बना रहता है।
- ऊपर उठती हुई हवाएँ तूफान जैसी स्थिति पैदा करती हैं जिससे आग तेज़ी से और अधिक दूरी तक फैल जाती है।
वनाग्नि:
गर्मी के मौसम में विश्व के कई गर्म एवं शुष्क क्षेत्रों में वनाग्नि एक सामान्य घटना है। वृक्षों के सूखे पत्ते, घास, झाड़ियाँ और सूखी लकड़ियाँ जसे अन्य अग्नि प्रवण पदार्थ इस प्रक्रिया में ईंधन का काम करते हैं तथा तेज़ हवाएँ इसे दूर तक फैलने तथा तेज़ी से बढ़ने में मदद करती हैं। वनाग्नि के प्राकृतिक कारकों में आकाशीय बिजली प्रमुख है तथा इसके कई मानवीय कारक भी हैं जैसे- कृषि हेतु नए खेत तैयार करने के लिये वन क्षेत्र की सफाई, वन क्षेत्र के निकट जलती हुई सिगरेट या कोई अन्य ज्वलनशील वस्तु छोड़ देना आदि।
ऑस्ट्रेलिया में वनाग्नि के कारण:
- विशेषज्ञों के अनुसार, वनाग्नि ऐतिहासिक रूप से ऑस्ट्रेलिया के गर्म और शुष्क पारितंत्र का हिस्सा रही है।
- इस दावानल का कारण पिछले कुछ वर्षों से लम्बे समय तक पड़ने वाला सूखा और बढ़ता तापमान है।
- ध्यातव्य है कि पिछले तीन वर्षों से ऑस्ट्रेलिया भीषण सूखे का सामना कर रहा है, मौसम विज्ञान विभाग के अधिकारियों ने वर्ष 2019 को वर्ष 1900 के बाद सबसे गर्म वर्ष बताया है। इस दौरान तापमान औसत से 2°C अधिक था, जबकि वर्षा में सामान्य से 40% की कमी देखी गई।
- पिछले वर्ष अप्रैल महीने में मौसम विज्ञान विभाग द्वारा इस तरह की वनाग्नि की चेतावनी भी दी गई थी।
- विशेषज्ञों के अनुसार, इस वर्ष ऑस्ट्रेलिया के असामान्य मौसम का कारण हिंद महासागर द्विध्रुव (Indian Ocean Dipole-IOD) की भूमिका भी है। इस वर्ष पूर्वी हिंद महासागर क्षेत्र में सामान्य से अधिक ठंड देखी गई, जो ऑस्ट्रेलिया में हुई कम वर्षा के कारणों में से एक है।
हिंद महासागर द्विध्रुव (Indian Ocean Dipole-IOD):
- यह परिघटना हिंद महासागर में महासागर-वायुमंडल अंतर्संबंध (Ocean-Atmosphere Interaction) को परिभाषित करती है।
- इस परिघटना में हिंद महासागर के पूर्वी तथा पश्चिमी छोर पर तापमान का अंतर इस क्षेत्र में मौसम की प्रकृति को प्रभावित करता है।
- यह तीन तरह से ऑस्ट्रेलिया के मौसम को प्रभावित करता है:
- तटस्थ (न्यूट्रल) IOD: इसका ऑस्ट्रेलिया के मौसम पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ता।
- नकारात्मक (Negative) IOD: इस अवस्था में तेज़ पश्चिमी हवाएँ ऑस्ट्रेलिया में अच्छी वर्षा का कारण बनती हैं।
- सकारात्मक (Positive) IOD: सकारात्मक IOD के समय इस क्षेत्र में कम वर्षा और तापमान में भारी वृद्धि देखी जाती है।
ऑस्ट्रेलियाई वनाग्नि की विभीषिका:
- ऑस्ट्रेलिया में प्रतिवर्ष वनाग्नि के लगभग 62,000 मामले पंजीकृत किये जाते हैं, इनमें से 13% का कारण मानवीय रहे हैं।
- पिछले वर्ष (यानी वर्ष 2019 में) लगी आग अब तक अनुमानतः 50-60 लाख हेक्टेयर में फैल चुकी है।
- ध्यातव्य है कि वर्ष 2018 में कैलिफोर्निया के जंगलों में लगी आग लगभग 18 लाख हेक्टेयर तथा वर्ष 2019 में अमेज़न के वर्षा वनों में लगी आग लगभग 9 लाख हेक्टेयर तक फैल गई थी।
जलवायु परिवर्तन का वनाग्नि पर प्रभाव:
- पिछले कुछ वर्षों में कैलिफ़ोर्निया, ऑस्ट्रेलिया और भू-मध्य के क्षेत्र में वनाग्नि के कई मामले देखे गए हैं। ऐतिहासिक रूप से ये क्षेत्र गर्म एवं शुष्क वातावरण के लिये जाने जाते हैं परंतु जलवायु परिवर्तन के कारण ये क्षेत्र और अधिक गर्म तथा शुष्क हुए हैं।
- जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप इन क्षेत्रों में तापमान बढ़ने के साथ-साथ वर्षा में कमी आई है।
- वर्ष 2007 में जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी मंच (Intergovernmental Panel on Climate Change-IPCC) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से ऑस्ट्रेलिया के वनों की बढ़ती अग्नि प्रवणता के बारे में चेतावनी जारी की थी। वर्ष 2007 से IPCC इस चेतावनी को प्रतिवर्ष दोहराता रहा है।
- इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 तक दक्षिण-पूर्व ऑस्ट्रेलिया में वनाग्नि के खतरों में 4% से 20% की वृद्धि, जबकि वर्ष 2050 तक इन मामलों में 15% से 70% तक की वृद्धि देखी जा सकती है।
- जलवायु परिवर्तन का प्रभाव साइबेरिया और अमेज़न के जंगलों में लगी आग पर भी देखा जा सकता है, जबकि ऐतिहासिक रूप से इन क्षेत्रों के वन इतने अग्निप्रवण नहीं थे।
जलवायु परिवर्तन और बढ़ते वनाग्नि के मामलों का भारत पर प्रभाव:
- जलवायु परिवर्तन का प्रभाव हिंद महासागर में हिंद महासागर द्विध्रुव (Indian Ocean Dipole-IOD) के कारण बदलते मौसम रूप में देखा जा सकता है।
- विशेषज्ञों के अनुसार, इसके परिणामस्वरूप मौसम में बार-बार होने वाले असामान्य बदलाव जैसी घटनाएँ बढ़ेंगी।
- इसके प्रभाव भारतीय मानसून पर भी पड़ सकते हैं जो पूरे भारत और दक्षिण एशिया को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है।
- जलवायु परिवर्तन भारतीय वनों की बढ़ती अग्नि प्रवणता का भी एक कारण है।