ऑस्ट्रेलिया-भारत जल सुरक्षा पहल | 09 Jun 2022
प्रिलिम्स के लिये:AIWASI मेन्स के लिये:भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध, भारत में जल की स्थिति। |
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ऑस्ट्रेलिया-भारत जल सुरक्षा पहल (AIWASI) के लिये तकनीकी सहयोग पर भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक समझौता ज्ञापन को मंज़ूरी प्रदान की है।
ऑस्ट्रेलिया-भारत जल सुरक्षा पहल:
- AIWASI विदेश मामलों और व्यापार विभाग (DFAT), ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण एशिया जल सुरक्षा पहल (SAWASI) के तहत एक परियोजना है।
- इसका उद्देश्य जल संवेदनशील शहर की दिशा में कार्य करना है जो एकीकृत जल चक्र के समग्र प्रबंधन पर आधारित है।
- AIWASI भारत के जल प्रशासन को मज़बूत करेगा और ऐसे क्षेत्रों में निवेश करेगा जो निम्नलिखित सेवाएँ प्रदान करते हैं:
- शहरी जल सेवाएँ।
- विश्वसनीय, सुरक्षित पानी और स्वच्छता सेवाओं तक पहुँच स्थापित करने के लिये वंचित समुदायों को समर्थन।
- इस परियोजना के तहत जल संवेदनशील शहरी डिज़ाइन (WSUD) प्रदर्शन परियोजना शुरू की जाएगी।
- यह AIWASI परियोजना कई शैक्षिक, सामाजिक और पर्यावरणीय लाभों के साथ एक 'जीवंत प्रयोगशाला' भी है, जैसे- छात्रों और समुदाय की जल जागरूकता, हरित स्थानों का निर्माण, नीले-हरे बुनियादी ढांँचे (Blue-Green Infrastructure) के निर्माण से वायु गुणवत्ता में सुधार और अवक्रमित जल निकायों तथा जलभृतों (Aquifers) का कायाकल्प।
जल सुरक्षा:
- संयुक्त राष्ट्र-जल द्वारा प्रस्तावित जल सुरक्षा की परिभाषा - आजीविका को बनाए रखने के लिये स्वीकार्य गुणवत्ता वाले पानी की पर्याप्त मात्रा तक जनसंख्या की पहुँच की स्थायी सुरक्षा, जल-जनित प्रदूषण और जल से संबंधित आपदाओं के खिलाफ सुरक्षा सुनिश्चित करने और शांति एवं राजनीतिक स्थिरता के माहौल में पारिस्थितिक तंत्र को संरक्षित करने के रूप में परिभाषित है।
भारत में जल सुरक्षा से संबंधित चुनौतियांँ:
सतत् विकास लक्ष्य रिपोर्ट (2019) के अनुसार:
- 4 में से 1 स्वास्थ्य देखभाल सुविधा में बुनियादी जल सेवाओं का अभाव है।
- 10 में से 3 लोगों की सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल सेवाओं तक पहुंँच नहीं है।
- 10 में से 6 लोगों के पास सुरक्षित रूप से प्रबंधित स्वच्छता सुविधाओं तक पहुंँच नहीं है।
- कम-से-कम 892 मिलियन लोग अभी भी खुले में शौच करते हैं।
- जल परिसर तक पहुँच न होने के बावजूद 80% घरों में जल भंडारण की ज़िम्मेदारी महिलाओं और लड़कियों की है।
- अगर जल के अति-दोहन का वर्तमान रुझान जारी रहता है, तो भविष्य में भारत के अत्यधिक जल संकटग्रस्त होने की संभावना है।
- तेज़ी से बढ़ती आबादी और शहरीकरण ने पूरे देश में पानी की मांग को बढ़ा दिया है।
- जबकि वर्षों के प्रदूषण, खेती के अप्रभावी तरीकों, विकेंद्रीकृत जल प्रशासन, भूजल दोहन और खराब बुनियादी ढाँचे ने जल की आपूर्ति को कम कर दिया है।
- नीचे दिया गया नक्शा भारत में आधारभूत जल तनाव की स्थिति को दर्शाता है और यह आसानी से देखा जा सकता है कि देश का अधिकांश भाग जल के अति-दोहन की श्रेणी में आता है।
- आधारभूत जल दबाव कुल वार्षिक जल निकासी (नगरपालिका, औद्योगिक और कृषि) को कुल वार्षिक उपलब्ध प्रवाह के प्रतिशत के रूप में व्यक्त करता है।
संबंधित पहलें:
- जल शक्ति मंत्रालय का निर्माण
- राष्ट्रीय जल मिशन
- जल शक्ति अभियान
- नीति आयोग का समग्र जल प्रबंधन सूचकांक
- नमामि गंगे
- जल जीवन मिशन
आगे का राह
- ऑस्ट्रेलिया के साथ हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन जल को बचाने और इसे सतत् तरीके से उपयोग करने के लिये सर्वोत्तम प्रथाओं को सीखने में मदद करेगा, ताकि जल सुरक्षा हासिल की जा सके।
- जल संरक्षण के लिये नए बुनियादी ढांँचे का निर्माण और जनता के बीच जागरूकता पैदा करके अपनी क्षमताओं को बढ़ाने की ज़रूरत है।
- सरकारी योजनाओं और रोडमैप के समय पर निष्पादन की आवश्यकता है।
- उन देशों के साथ अधिक सहयोग की आवश्यकता है जो पहले से ही जल की कमी का सामना कर चुके हैं, उनसे यह जानने में मदद मिलेगी कि वे इस कमी को कैसे दूर करते हैं।