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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

क्षुद्रग्रह 2001 FO32

  • 15 Mar 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) ने भविष्यवाणी की है कि क्षुद्रग्रह 2001 FO32 वर्ष 2021 में पृथ्वी के पास से गुजरने वाला सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह है। यह 21 मार्च को पृथ्वी के सबसे करीब होगा।

प्रमुख बिंदु: 

 2001 FO32 क्षुद्रग्रह:

  • खोज: इसकी खोज 20 वर्ष पहले की गई थी और तब से वैज्ञानिक सूर्य के चारों ओर इसके परिक्रमा पथ पर बहुत ही सटीक तरीके से इसका अध्ययन कर रहे हैं।
    • इसकी खोज मार्च 2001 में सोकोरो, न्यू मैक्सिको में स्थित ‘लिंकन नियर-अर्थ एस्टेरॉयड रिसर्च (LINEAR) प्रोग्राम’ द्वारा की गई थी।
    • 1998 OR2 अंतिम बार देखा गया विशेष रूप से बड़ा क्षुद्रग्रह था, जो 29 अप्रैल, 2020 को पृथ्वी के करीब से गुज़रा था, जबकि 2001 FO32, 1998 OR2 से कुछ छोटा है।
  • कक्षा: यह सूर्य के चारों ओर अत्यधिक विलक्षण कक्षा में स्थित है और 810 दिनों (लगभग 2 वर्ष) में एक परिक्रमा पूरी करता है। इसकी कक्षा पृथ्वी के कक्षीय तल से 39° झुकी हुई है।
    • यह कक्षा इस क्षुद्रग्रह को बुध की तुलना में सूर्य के करीब ले जाती है और यह मंगल की तुलना में सूर्य से दोगुनी दूरी पर स्थित है।
  • गति: यह क्षुद्रग्रह लगभग 1,24,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गुज़़रेगा जो कि तुलनात्मक रूप से उन अधिकांश क्षुद्रग्रहों की गति से तेज़ है, जो पृथ्वी के सामने से गुज़रते हैं।
  • पृथ्वी से टकराने का कोई खतरा नहीं:
    • यह क्षुद्रग्रह 'नियर अर्थ ऑब्जेक्ट' के रूप में वर्णित है। यह क्षुद्रग्रह पृथ्वी से लगभग 2 मिलियन किलोमीटर (पृथ्वी से चंद्रमा की कुल दूरी के 51/4  गुना) की दूरी पर होगा।
      • खगोलीय दृष्टिकोण से यह दूरी इतनी है कि इसे ‘संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रह’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
      • आने वाली सदियों में पृथ्वी को टकराव संबंधी कोई खतरा नहीं है।
  • अगली संभावित घटना: क्षुद्रग्रह वर्ष 2052 तक पृथ्वी के करीब नहीं आएगा, उस समय यह लगभग 2.8 मिलियन किमी. पास से गुज़रेगा।

महत्त्व: 

  • यह खगोलविदों को क्षुद्रग्रह के आकार और अल्बेडो (Albedo) के बारे में अधिक सटीक जानकारी प्राप्त करने का अवसर प्रदान करेगा (अर्थात् यह कितना चमकीला या परावर्तक सतह वाला है) तथा इसके संघटन, आकार की बेहतर समझ और इसकी संरचना के बारे में जानकारी जुटाई जा सकेगी।
  • जब सूरज की रोशनी किसी क्षुद्रग्रह की सतह से टकराती है, तो इसमें उपस्थित खनिज प्रतिबिंबित होते हुए कुछ तरंगदैर्ध्य को अवशोषित करते हैं। सतह से परावर्तित प्रकाश के स्पेक्ट्रम का अध्ययन करके खगोलविद् क्षुद्रग्रह की सतह पर खनिजों के रासायनिक "फिंगरप्रिंट" को माप सकते हैं।

चर्चा में रहने वाले अन्य क्षुद्रग्रह:

क्षुद्रग्रह:

  • क्षुद्रग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं और सौरमंडल में स्थित छोटे पिंड हैं।
  • ये धातुओं और चट्टानों से निर्मित होते हैं।
  • इनकी छोटी और अंडाकार कक्षाएँ होती हैं।
  • क्षुद्रग्रह बेल्ट सौरमंडल में एक टोरस के आकार का क्षेत्र है, जो लगभग बृहस्पति और मंगल ग्रहों की कक्षाओं के बीच स्थित है।

क्षुद्रग्रहों का वर्गीकरण:

  • मुख्य क्षुद्रग्रह पेटी: अधिकांश क्षुद्रग्रह मंगल और बृहस्पति के बीच स्थित क्षुद्रग्रह पेटी में पाए जाते हैं।
  • ट्रोजंस (Trojans): ये क्षुद्रग्रह एक बड़े ग्रह के साथ कक्षा साझा करते हैं, लेकिन इसके साथ टकराते नहीं हैं क्योंकि वे कक्षा में लगभग दो विशेष स्थानों (L4 और L5 लैग्रैन्जियन पॉइंट्स) के आस-पास एकत्रित होते हैं, जहाँ सूर्य और ग्रहों के बीच संतुलित गुरुत्वाकर्षण खिंचाव होता है।
    • लैग्रैन्जियन पॉइंट्स अंतरिक्ष में स्थित ऐसे बिंदु हैं, जहाँ सूर्य और पृथ्वी जैसे दो निकायों का गुरुत्वाकर्षण बल आकर्षण और प्रतिकर्षण के क्षेत्रों का निर्माण करता है। इनका उपयोग अंतरिक्षयान द्वारा समान स्थिति में बने रहने के लिये आवश्यक ईंधन की खपत को कम करने हेतु किया जा सकता है।
  • नियर अर्थ ऑब्जेक्ट: इन ऑब्जेक्ट्स की कक्षाएँ पृथ्वी के करीब होती हैं। क्षुद्रग्रह जो वास्तव में पृथ्वी के कक्षीय पथ को पार करते हैं, उन्हें ‘अर्थ-क्रॉसर्स’ (Earth-crossers) के रूप में जाना जाता है।

संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रह:

  • इसका मतलब है कि एक क्षुद्रग्रह के पृथ्वी के करीब आने की कितनी संभावना है।
  • विशेष रूप से ऐसे सभी क्षुद्रग्रह जिनकी ‘मिनिमम ऑर्बिट इंटेरसेक्शन डिस्टेंस’ (MOID) 0.05 खगोलीय इकाई (लगभग 7,480,000 Km) या इससे कम तथा निरपेक्ष परिमाण (H) 22.0 (लगभग 150 MT व्यास)  हो,  उन्हें संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रह माना जाता है।
    • ‘मिनिमम ऑर्बिट इंटेरसेक्शन डिस्टेंस’ दो लगभग अतिच्छादित अंडाकार कक्षाओं के बीच न्यूनतम दूरी की गणना करने के लिये एक विधि है।
    • खगोलीय इकाई (AU) पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी होती है और यह लगभग 150 मिलियन किमी. है।
    • निरपेक्ष परिमाण किसी भी तारे की चमक का एक मापक है, अर्थात् प्रत्येक समय तारे द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा की कुल मात्रा।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

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