असम में बाढ़: कारण और प्रभाव | 04 Jul 2020
प्रीलिम्स के लिये:असम में बाढ़ के कारण मेन्स के लिये:असम में बाढ़ के कारण, प्रभाव और समाधान |
चर्चा में क्यों?
पिछले कुछ दिनों से असम में बाढ़ की भीषण स्थिति बनी हुई है, इससे राज्य के 20 ज़िलों में 35 लोगों से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई तथा 13.27 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं।
प्रमुख बिंदु:
- 'असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण' के अनुसार, असम के बारपेटा, दक्षिण सल्मारा, गोलपारा, नलबाड़ी, और मोरीगांव ज़िले बाढ़ के कारण सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं।
- ब्रह्मपुत्र और उसकी तीन सहायक नदियों में आई बाढ़ तथा भू स्खलन से सबसे अधिक लोग प्रभावित हुए हैं।
असम में बाढ़ के कारण:
- भौगोलिक स्थिति:
- असम घाटी एक U आकर की घाटी है इससे आसपास के सभी क्षेत्रों से पानी की निकासी का मार्ग केवल असम की ओर होता है, जो असम में आने वाली बाढ़ का एक बड़ा कारण है।
- भूकंप/भूस्खलन:
- असम और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के अन्य क्षेत्र मुख्यत: उच्च भूकंप ज़ोन में अवस्थित है, जो भूस्खलन का कारण बनता है।
- भूस्खलन और भूकंप के कारण नदियों के तल में अवसादों के जमाव से नदियों का तल ऊँचा हो जाता है, जिससे नदियों की जल बहाव क्षमता में कमी आती है।
- तटीय कटाव:
- ब्रह्मपुत्र तथा उसकी सहायक नदियों के तेज़ बहाव के कारण तटीय भूमि कटाव के कारण नष्ट हो जाती है। ब्रह्मपुत्र नदी के तटों के कटाव के कारण इस घाटी की चौड़ाई 15 किमी. तक बढ़ गई है।
- बांधों का निर्माण:
- असम की नदियों के ऊपरी अपवाह क्षेत्र में अनेक बांधों का निर्माण किया गया है। चीन द्वारा भी ब्रह्मपुत्र नदी पर कुछ बांध बनाए गए हैं। इन बांधों के जल की अनियमित रिहाई से मैदानी भागों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
- अतिक्रमण:
- पर्यावरणीय वन भूमि और जल निकायों में अतिक्रमण भी राज्य में बाढ़ का कारण बनता है।
- आर्द्रभूमि अतिरिक्त पानी की मात्रा को अवशोषित कर लेती थी, लेकिन इनकी कम होती संख्या ने बाढ़ की प्रभाविता को और बढ़ा दिया है।
- परियोजनाओं के कार्यान्वयन का अभाव:
- राज्य में बाढ़ की विकट स्थिति को देखते हुए ब्रह्मपुत्र नदी ड्रेज़िंग की परियोजना को मंज़ूरी दी गई थी, जिसके कार्यान्वयन में लगातार देरी की जा रही है।
- आवासित नदीय द्वीप:
- ब्रह्मपुत्र नदी में माजूली जैसे मानव अधिवासित द्वीप स्थित हैं, अत: नदियों के जल स्तर में वृद्धि होने पर ये लोग बाढ़ से प्रभावित होते हैं।
बाढ़ के प्रभाव:
- पारिस्थितिकी पर प्रभाव:
- वन विभाग द्वारा ‘काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान’ में अवैध शिकार रोकने के लिये अनेक शिविरों को स्थापित किया गया है, ये शिविर बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
- बाढ़ के समय राज्य में जानवरों की मृत्यु संख्या तथा शिकार की गतिविधियों में भी वृद्धि देखी जाती है।
- कृषि क्षेत्र में कमी:
- तटीय कटाव के कारण प्रतिवर्ष लगभग 8000 हेक्टेयर भूमि नष्ट हो जाती है, इससे भविष्य में कृषि क्षेत्रों का ह्रास होने की संभावना है।
- जान-माल की नुकसान:
- लगभग प्रतिवर्ष आने वाली बाढ़ के कारण लोगों का व्यापक स्तर पर विस्थापन तथा पुनर्वास किया जाता है, इससे न केवल को लोगों को जान-माल का नुकसान उठाना पड़ता है अपितु राज्य को भी आपदा प्रबंधन पर बहुत अधिक आर्थिक व्यय करना पड़ता है।
आगे की राह:
- सरकार और संबंधित एजेंसियों को तटबंध बनाने की मौजूदा नीति की समीक्षा करने की ज़रूरत है, तथा रुकी हुई परियोजनाओं को तेज़ी से क्रियान्वित करने की दिशा में कार्य करना चाहिये।
- भौगोलिक स्थलाकृतियों को ध्यान में रखते हुए बांधों का निर्माण, जल संरक्षण प्रबंधन प्रणालियों तथा लोगों की भागीदारी आधारित परियोजनाओं में निवेश को बढ़ाया जाना चाहिये।
- चीन, भूटान तथा अन्य पड़ोसी देशों के साथ नदीय जल उपयोग संबंधी आँकड़ों के साझाकरण की दिशा में सामूहिक पहल किये जाने की आवश्यकता है।