असम बाढ़ | 09 Jul 2024

प्रिलिम्स के लिये:

बाढ़, भूस्खलन, ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, भारत की स्थलाकृति

मेन्स के लिये:

बाढ़ के कारण, जीवन और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, निपटने के उपाय, आपदा प्रबंधन निकाय

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में असम में आई बाढ़ के कारण 50 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई और 360,000 लोग विस्थापित हो गए।

  • बाढ़ के कारण 40,000 हेक्टेयर से अधिक फसलें और 130 जंगली जानवर प्रभावित हुए हैं।

बाढ़ क्या है?

  • परिचय:
    • बाढ़ प्राकृतिक आपदा का सबसे प्रमुख प्रकार है और यह तब होता है जब पानी का अतिप्रवाह भूमि को जलमग्न कर देता है जो आमतौर पर सूखी होती है।
    • वर्ष 1998-2017 के बीच, बाढ़ के कारण दुनिया भर में 2 बिलियन लोग प्रभावित हुए हैं।
  • कारण: 
    • ये अक्सर भारी वर्षा, तेज़ी से बर्फ पिघलने या तटीय क्षेत्रों में उष्णकटिबंधीय चक्रवात या सुनामी से उत्पन्न तूफानी लहरों के कारण होते हैं।
  • बाढ़ के प्रकार: 
    • आकस्मिक बाढ़: ये तीव्र और अत्यधिक वर्षा के कारण होते हैं, जिससे जल स्तर तेज़ी से बढ़ता है तथा नदियाँ, नाले, चैनल या सड़कें जलमग्न हो जाती हैं।
    • नदी द्वारा बाढ़: ऐसा तब होता है जब लगातार बारिश या बर्फ पिघलने से नदी का जलस्तर अपनी क्षमता से अधिक हो जाता है।
    • तटीय बाढ़: ये उष्णकटिबंधीय चक्रवातों और सुनामी से संबंधित तूफानी लहरों के कारण होते हैं।
  • भारत में बाढ़ की स्थिति:
    • भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 329 मिलियन हेक्टेयर है, जिसमें से 40 मिलियन हेक्टेयर से अधिक बाढ़-प्रवण क्षेत्र है।
    • बाढ़ से होने वाली क्षति में वृद्धि देखी गई है, वर्ष 1996-2005 के बीच बाढ़ से होने वाली औसत वार्षिक क्षति 4745 करोड़ रुपए थी, जबकि पिछले 53 वर्षों में यह 1805 करोड़ रुपए थी।

भारत में बाढ़ प्रवण क्षेत्र:

बाढ़ के लिये NDMA दिशा-निर्देश:

  • बाढ़ से निपटने की तैयारी:
    • बाढ़-ग्रस्त क्षेत्रों में निर्माण करने से बचें, जब तक कि आप अपने घर को ऊँचा और मज़बूत न कर लें।
    • अगर बाढ़ आने की आशंका हो तो भट्टी, वॉटर हीटर और बिजली के पैनल को ऊँचा रखें।
    • बाढ़ के पानी के बैकअप को रोकने के लिये सीवर ट्रैप में चेक वाल्व लगाएँ।
    • अपने क्षेत्र में बनाए जा रहे बाढ़ अवरोधों के बारे में अधिकारियों से संपर्क करें।
    • बेसमेंट की दीवारों को वॉटरप्रूफिंग यौगिकों से सील करें।
  • बाढ़ की संभावना कब होती है?
    • सूचना के लिये रेडियो/टीवी सुनें।
    • अचानक बाढ़ आने के प्रति सचेत रहें, यदि खतरा हो तो तुरंत ऊँचे स्थान पर चले जाएँ।
    • अचानक बाढ़ आने वाले क्षेत्रों के प्रति सचेत रहें।
  • यदि निकासी हो रही है तो:
    • अपने घर को सुरक्षित रखें- बाहर का फर्नीचर अंदर ले आएँ, सामान ऊपर की मंज़िल पर ले जाएँ।
    • यदि निर्देश दिया गया हो तो बिजली के उपकरणों को बंद कर दें।
    • बहते बाढ़ के पानी में न चलें और न ही गाड़ी चलाएँ।

असम में नियमित बाढ़ के क्या कारण हैं?

  • नदियों की बड़ी संख्या:
    • असम में 120 से अधिक नदियाँ हैं, जिनमें से कई अरुणाचल प्रदेश और मेघालय के साथ-साथ चीन तथा भूटान के अत्यधिक वर्षा वाले क्षेत्रों की पहाड़ियों एवं पर्वतों से निकलती हैं।
    • असम से होकर बहने वाली ब्रह्मपुत्र नदी असम के निचले इलाकों में पहुँचते ही भारी मात्रा में तलछट जमा कर लेती है, जिससे इसकी गति धीमी हो जाती है और तलछट तथा मलबा जमा हो जाता है।
      • गर्मियों में ग्लेशियर पिघलने से मिट्टी के कटाव के कारण अवसादन तेज़ हो जाता है।
  • मानसून:
    • पूर्वोत्तर में मानसून तीव्र है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, वार्षिक वर्षा औसतन 2900 मिमी. होती है, जिसमें अधिकतम वर्षा जून और जुलाई में होती है।
      • असम सरकार के आँकड़ों के अनुसार, ब्रह्मपुत्र बेसिन में वार्षिक वर्षा का 85% मानसून के महीनों के दौरान होता है।
    • अप्रैल और मई में भी यहाँ अच्छी मात्रा में वर्षा होती है, क्योंकि तूफान (कालबैसाखी) के कारण जून में भारी बारिश के दौरान बाढ़ आ जाती है।
  • जलवायु परिवर्तन:
    • ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण तिब्बती पठार में ग्लेशियरों तथा बर्फ की परतों के पिघलने से ब्रह्मपुत्र नदी में जल प्रवाह बढ़ रहा है, जिससे असम जैसे निचले क्षेत्रों में बाढ़ की समस्या बढ़ रही है।
  • मानव हस्तक्षेप:
    • तटबंधों का निर्माण: असम में बाढ़ को नियंत्रित करने के लिये तटबंधों का निर्माण पहली बार 1960 के दशक में शुरू हुआ था। हालाँकि छह दशक बाद, इनमें से ज़्यादातर तटबंध या तो अपनी उपयोगिता खो चुके हैं या फिर खराब हालत में हैं।
    • जनसंख्या वृद्धि: जनसंख्या वृद्धि ने राज्य की पारिस्थितिकी पर अधिक दबाव डाला है।
      • ब्रह्मपुत्र बोर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 1940-41 में ब्रह्मपुत्र घाटी का जनसंख्या घनत्व 9-29 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. से बढ़कर 2011 की जनगणना के अनुसार असम के मैदानी इलाकों में 398 प्रति वर्ग किमी. हो गया है। इसके कारण नदी बेसिन क्षेत्रों में मानव बस्तियाँ बाढ़ के प्रति अधिक संवेदनशील हो गई हैं।
    • झूम कृषि: इसे स्थानांतरित कृषि के नाम से भी जाना जाता है, इसमें कटाई-छंटाई और जलाने की प्रथा शामिल है, जो मिट्टी की सुरक्षात्मक परत को हटा देती है, जिससे कटाव में तेज़ी आती है और पानी सोखने की क्षमता कम हो जाती है। मिट्टी और पौधों की सामग्री का बहाव नदी घाटियों में अवसादन में योगदान देता है।

असम में बाढ़ के क्या परिणाम होंगे?

  • वन्यजीवों की हानि: बाढ़ के कारण 130 से अधिक जंगली जानवरों की मृत्यु हो गई है, जिनमें असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में कम-से-कम 6 दुर्लभ एक सींग वाले गैंडे शामिल हैं। अन्य जानवरों में 117 हॉग हिरण, 2 सांभर हिरण, एक रीसस मकाक और एक ऊदबिलाव शामिल हैं।
    • काजीरंगा विश्व में एक सींग वाले गैंडों की सबसे बड़ी आबादी का आवास है।
  • बुनियादी ढाँचे की क्षति: बाढ़ के कारण सड़कों और अन्य बुनियादी ढाँचे की व्यापक क्षति हुई है जिससे बचाव तथा राहत प्रयासों में बाधा उत्पन्न हुई।
  • नागरिकों का विस्थापन: असम में बाढ़ के कारण 2 मिलियन से अधिक लोग विस्थापित हुए जिनमें से कई नागरिकों नें राहत शिविरों में शरण ली। इससे संसाधनों तथा प्रबंधन पर बोझ और बढ़ जाता है।

भारत में बाढ़ प्रबंधन के लिये क्या कदम उठाए गए हैं?

  • राष्ट्रीय बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम (NFMP): इसे वर्ष 1954 में राज्यों को भौगोलिक स्थितियों और संसाधन बाधाओं पर विचार करते हुए स्थल-विशिष्ट विकल्प चुनने के लिये एक लचीला ढाँचा प्रदान करने के लिये शुरू किया गया था। यह संरचनात्मक (बाँध, तटबंध) और गैर-संरचनात्मक (बाढ़ मैदानों का परिक्षेत्रण) दोनों उपायों पर ज़ोर देता है।
  • राष्ट्रीय बाढ़ आयोग (1976): इसने बाढ़ नियंत्रण के लिये एक एकीकृत दृष्टिकोण स्थापित किया जिसमें वैज्ञानिक विश्लेषण और राष्ट्रीय नियोजन को प्राथमिकता दी गई।
  • राष्ट्रीय जल नीति (2012): यह नीति बाढ़ के दौरान बाढ़ कुशन बनाने और अवसाद को कम करने के लिये जलाशय के योजनाबद्ध उपयोग पर आधारित है। बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में विनियमित विकास के लिये बाढ़ मैदानों का परिक्षेत्रण करने पर ज़ोर दिया जाता है।
  • राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना (2016): यह परियोजना सभी स्तरों (राज्य, ज़िला, गाँव) पर सुलभ पर वास्तविक समय के हाइड्रो-मौसम संबंधी डेटा के माध्यम से बाढ़ का सटीक पूर्वानुमान करती है।
  • बाढ़ प्रबंधन और सीमा क्षेत्र कार्यक्रम (FMBAP): यह कार्यक्रम नदियों में अवसाद को कम करने के लिये जलग्रहण क्षेत्र उपचार पर ध्यान केंद्रित करता है जिससे उनकी वहन क्षमता बढ़ती है और अतिप्रवाह कम होता है। 
  • बाढ़ मैदान परिक्षेत्रण: इस रणनीति का उद्देश्य बाढ़-प्रवण क्षेत्रों का सीमांकन करना और अतिक्रमण को रोकने तथा क्षति को कम करने के लिये भूमि उपयोग को विनियमित करना है। 
  • बाढ़ प्रूफिंग: संवेदनशील बस्तियों और महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के स्तर को बाढ़ के स्तर से ऊपर उठाने से क्षति की संभावना को कम किया जा सकता है।

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF)

  • यह आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत गठित एक भारतीय विशेष बल है। 
  • भारत में आपदाओं के प्रबंधन की ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों की है। प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन के लिये केंद्र सरकार में 'नोडल मंत्रालय' गृह मंत्रालय (MHA) है। 
  • यह प्रशिक्षित पेशेवर इकाइयों को संदर्भित करता है जिन्हें आपदाओं के दौरान विशेष प्रबंधन के लिये नियोजित किया गया है।

आगे की राह

  • प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली: बाढ़ के अनुकूल नई प्रारंभिक चेतावनी और प्रतिक्रिया प्रणालियों की आवश्यकता है। बेहतर तैयारी और निवासियों को सचेत करने के लिये विश्वसनीय जानकारी प्रदान करना आवश्यक है। 
    • वर्ष 2021 में एक संसदीय पैनल ने उन्नत वैदर स्टेशन और सायरन संस्थापित कर बाढ़ चेतावनी प्रणालियों को आधुनिक बनाने का सुझाव दिया।
  • उन्नत बुनियादी ढाँचा: उत्कृष्टता से डिज़ाइन किये गए बुनियादी ढाँचे के साथ-साथ जल निकासी प्रणालियों में निवेश करने से भारी वर्षा के दौरान अतिरिक्त जल का प्रबंधन करने में सहायता प्राप्त हो सकती है।
    • नदियों तथा नहरों में जल स्तर के साथ-साथ प्रवाह दर को नियंत्रित करने वाले स्लुइस गेटों का निर्माण ब्रह्मपुत्र और अन्य नदियों की सहायक नदियों पर प्रभावी ढंग से किया जाना चाहिये।
  • सहयोगात्मक प्रयास: राज्य और केंद्र सरकारों के बीच सहयोग में सुधार करना ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संसाधन तथा प्रयास प्रभावी रूप से स्थायी बाढ़ प्रबंधन समाधानों पर केंद्रित हों।
    • ब्रह्मपुत्र नदी में बाढ़ को रोकने के लिये चीन के साथ जल विज्ञान संबंधी आँकड़ों के द्विपक्षीय आदान-प्रदान को मज़बूत करने की आवश्यकता है।
  • सतत् भूमि प्रबंधन: इसमें बाढ़ के मैदानों में निर्माण से बचना, उत्खनन के साथ ही वनों की कटाई को रोकने हेतु प्रभावी तरीकों को बढ़ावा देना और साथ ही परिदृश्य को स्थिर करने एवं तलछट के भार को कम करने के लिये नदी के किनारों पर मिट्टी के कटाव को नियंत्रित करना शामिल है।
  • बाढ़ प्रबंधन/कटाव नियंत्रण पर टास्क फोर्स, 2004 की सिफारिशों को लागू करना:
    • उच्च निवेश: तटबंधों के रखरखाव हेतु अतिरिक्त केंद्रीय सहायता के रूप में राज्यों को धनराशि प्रदान करना।
      • केंद्र सरकार जलाशय परियोजनाओं के बाढ़ नियंत्रण घटक के वित्तपोषण पर विचार कर सकती है।
    • भूमिका का विस्तार: बाढ़ नियंत्रण क्षेत्र में केंद्र सरकार की भूमिका का विस्तार करना।
      • बाढ़ नियंत्रण योजनाओं को वर्तमान 75:25 के अनुपात में 90% केंद्र और 10% राज्य के अनुपात में केंद्र प्रायोजित योजना के माध्यम से वित्तपोषित किया जाना चाहिये।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

 प्रश्न. असम की विशिष्ट स्थलाकृति, जलवायु तथा सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियाँ बाढ़ जैसी आपदाओं के प्रति इसकी संवेदनशीलता में वृद्धि करती हैं। टिप्पणी कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सी ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी/नदियाँ है/हैं? (2016) 

  1. दिबांग 
  2. कामेंग 
  3. लोहित

नीचे दिये गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिये: 

(a) केवल 1  
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (d)  


प्रश्न. तीस्ता नदी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. 1- तीस्ता नदी का उद्गम वही है जो ब्रह्मपुत्र का है लेकिन यह सिक्किम से होकर बहती है।
  2. 2- रंगीत नदी की उत्पत्ति सिक्किम में होती है और यह तीस्ता नदी की एक सहायक नदी है।
  3. 3- तीस्ता नदी, भारत एवं बांग्लादेश की सीमा पर बंगाल की खाड़ी में जा मिलती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)