ASI विलुप्त स्मारकों को सूची से हटाएगा | 02 Apr 2024

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण, प्राचीन स्मारक और पुरातात्त्विक स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958, भारतीय विरासत स्थल

मेन्स के लिये:

भारत में विरासत संरक्षण से संबंधित मुद्दे, भारतीय विरासत स्थल, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India- ASI) ने 18 "केंद्रीय संरक्षित स्मारकों" को सूची से हटाने का फैसला किया है क्योंकि उसका आकलन है कि उनका राष्ट्रीय महत्त्व नहीं है।

  • ये 18 स्मारक उन स्मारकों की पिछली सूची का हिस्सा हैं जिनके बारे में ASI ने कहा था कि वे "अप्राप्त" हैं।

कौन से स्मारकों को सूची से हटाया जा रहा है?

  • जिन स्मारकों को अब सूची से हटाया जाना है उनमें हरियाणा के मुजेसर गाँव में कोस मीनार नंबर 13, दिल्ली में बाराखंभा कब्रिस्तान, झाँसी ज़िले में गनर बर्किल का मकबरा, लखनऊ में गऊघाट में एक समाधि स्थल और वाराणसी में तेलिया नाला बौद्ध खंडहर के रूप में दर्ज एक मध्यकालीन राजमार्ग मील का पत्थर शामिल हैं।
    • इन स्मारकों का सटीक स्थान या उनकी वर्तमान भौतिक स्थिति ज्ञात नहीं है।
  • कई दशकों में इतने बड़े पैमाने पर डीलिस्टिंग का यह पहला अभ्यास है। ASI के दायरे में वर्तमान में 3,693 स्मारक हैं, जो मौजूदा डीलिस्टिंग पूरी होने के बाद घटकर 3,675 रह जाएंगे।

किसी स्मारक को डीलिस्टिंग करने का क्या तात्पर्य है?

  • ASI के कार्यक्षेत्र से हटाया जाना:
    • हटाए गए स्मारक का अब ASI द्वारा संरक्षण, संरक्षण और रखरखाव नहीं किया जाएगा।
      • इसे ASI की केंद्रीय संरक्षित स्मारकों की सूची से प्रभावी रूप से हटा दिया जाएगा।
  • निर्माण और शहरीकरण की अनुमति:
  • कानूनी सुरक्षा का नुकसान:
    • AMASR अधिनियम, 1958 राष्ट्रीय महत्त्व के घोषित स्मारकों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है।
      • किसी स्मारक को सूची से हटाने का मतलब है कि अब उसे यह कानूनी सुरक्षा नहीं मिलेगी और वह उपेक्षा या क्षति का शिकार हो सकता है।
  • डीलिस्टिंग की प्रक्रिया:
    • AMASR अधिनियम की धारा 35 केंद्र सरकार को आधिकारिक राजपत्र में एक अधिसूचना के माध्यम से यह घोषित करने की अनुमति देती है कि राष्ट्रीय महत्त्व का कोई भी प्राचीन स्मारक या पुरातात्त्विक स्थल राष्ट्रीय महत्त्व का नहीं रह गया है।
      • 18 स्मारकों को सूची से हटाने हेतु 8 मार्च 2024 को एक गजट अधिसूचना जारी की गई थी, जिसके बाद सार्वजनिक आपत्तियों या सुझावों के लिये दो महीने का समय दिया गया था।

जब ASI किसी स्मारक को "अप्राप्त" घोषित करता है तो इसका क्या मतलब है?

  • जब ASI किसी स्मारक को "अप्राप्य" घोषित करता है, तो इसका मतलब है कि स्मारक अब भौतिक रूप से खोजने योग्य या पहचाने जाने योग्य नहीं है।
    • स्मारकों के नुकसान में योगदान देने वाले कारकों में शहरीकरण, अतिक्रमण, बाँध और जलाशयों जैसी निर्माण गतिविधियाँ तथा समय के साथ उपेक्षा शामिल हैं।
    • कुछ स्मारक, विशेष रूप से छोटे या कम-ज्ञात, इस हद तक खराब हो गए हैं कि उनके अस्तित्त्व की कोई सार्वजनिक स्मृति नहीं बची है।
  • संरक्षित स्मारकों का नियमित रूप से निरीक्षण और संरक्षण करने के लिये ASI को AMASR अधिनियम के आदेश के बावजूद, इन प्रयासों की प्रभावशीलता असंगत रही है।
  • स्मारकों को अप्राप्य घोषित करना मूल्यवान सांस्कृतिक धरोहर के नुकसान को रेखांकित करता है और भविष्य में बेहतर संरक्षण प्रयासों एवं संसाधन आवंटन की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

भारत के ऐतिहासिक स्मारकों की सुरक्षा में क्या चुनौतियाँ हैं?

  • लुप्त हुए स्मारक:
    • संस्कृति मंत्रालय ने परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर संसदीय स्थायी समिति को बताया कि भारत के 3,693 केंद्रीय संरक्षित स्मारकों में से 50 गायब हैं।
      • खोए हुए स्मारकों में से कुछ तेज़ी से शहरीकरण के शिकार थे, जलाशयों/बाँधों के कारण जलमग्न हो गए और अप्राप्य रहे।
  • अपर्याप्त सुरक्षा:
    • 3,600 से अधिक संरक्षित स्मारकों में से केवल 248 पर सुरक्षा गार्ड तैनात थे।
      • सरकार 248 स्थानों पर केवल 2,578 सुरक्षाकर्मी उपलब्ध करा सकी, जो बजटीय बाधाओं के कारण 7,000 की कुल आवश्यकता से कम है।
      • संसदीय समिति ने स्मारक संरक्षण के संबंध में अपर्याप्त कर्मियों पर निराशा व्यक्त की और बजटीय सीमाओं को एक महत्त्वपूर्ण चुनौती के रूप में उजागर किया।
    • भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General- CAG) की रिपोर्ट की अनुसार लगभग 92 केंद्रीय संरक्षित स्मारक लापता हो चुके हैं जो ASI की निगरानी और सुरक्षा तंत्र की कमियों को उजागर करता है।
  • व्यापक सर्वेक्षण का अभाव:
    • स्वतंत्रता के बाद सभी स्मारकों के व्यापक भौतिक सर्वेक्षण के अभाव के कारण ASI के संरक्षण के अधीन स्मारकों की सटीक संख्या के संबंध में विश्वसनीय जानकारी का अभाव है।

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI)

  • ASI केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कार्य करता है। यह प्राचीन संस्मारक परिरक्षण अधिनियम (Ancient Monuments Preservation Act), 1904प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्त्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम (Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains Act- AMASR), 1958 के तहत राष्ट्रीय महत्त्व के विशिष्ट संस्मारकों तथा पुरातत्त्वीय स्थलों की सुरक्षा एवं रखरखाव के लिये उत्तरदायी है।
  • इसके प्रमुख कार्यों में पुरातत्त्वीय अवशेषों का सर्वेक्षण करना, पुरातत्त्वीय स्थलों की खोज और उत्खनन, संरक्षित संस्मारकों का संरक्षण तथा रखरखाव आदि शामिल हैं।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1861 में ASI के पहले महानिदेशक एलेक्ज़ेंडर कनिंघम द्वारा की गई थी। एलेक्ज़ेंडर कनिंघम को “भारतीय पुरातत्त्व का जनक” भी कहा जाता है।

प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्त्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 (AMASR Act)

  • इस अधिनियम का उद्देश्य आगामी पीढ़ियों के लिये प्राचीन संस्मारकों की सुरक्षा और संरक्षण करना है।
    • यह अधिनियम सार्वजनिक अथवा निजी स्वामित्व वाली 100 वर्ष से अधिक पुराने संस्मारकों पर लागू होता है।
  • इस अधिनियम के तहत राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (NMA) की मंज़ूरी के बिना प्राचीन स्मारकों के समीप निर्माण अथवा कोई परिवर्तन करना प्रतिबंधित है।
    • AMASR अधिनियम के तहत स्थापित NMA संस्मारकों और स्थलों (केंद्रीय रूप से नामित संस्मारकों के समीप प्रतिबंधित/प्रतिबंधित क्षेत्रों) के रखरखाव तथा संरक्षण के लिये ज़िम्मेदार है।
    • NMA, AMASR अधिनियम को कार्यान्वित करने और संरक्षित तथा विनियमित क्षेत्रों के भीतर निर्माण अथवा विकासात्मक गतिविधि के लिये अनुमति देने के लिये ज़िम्मेदार है।
  • संरक्षित क्षेत्र स्मारक के चारों ओर 100 मीटर का दायरा है, जिसके बाहर 200 मीटर तक एक विनियमित क्षेत्र है।
    • वर्तमान प्रतिबंध संरक्षित स्मारकों के 100 मीटर के दायरे में निर्माण पर रोक लगाते हैं और साथ ही अतिरिक्त 200 मीटर के दायरे में परमिट हेतु कठोर नियम हैं।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण को सुनिश्चित करने हेतु भारत के ऐतिहासिक स्मारकों की सुरक्षा में चुनौतियों पर चर्चा कीजिये?

और पढ़ें… स्मारकों में धार्मिक प्रथाओं पर (ASI) का रुख

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स:

प्रश्न. मुरैना के समीप स्थित चौंसठ योगिनी मंदिर के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-

  1. यह कच्छपघात राजवंश के शासनकाल में निर्मित एक वृत्ताकार मंदिर है। 
  2. यह भारत में निर्मित एकमात्र वृत्ताकार मंदिर है। 
  3. इसका उद्देश्य इस क्षेत्र में वैष्णव पूजा-पद्धति को प्रोत्साहन देना था। 
  4. इसके डिज़ाइन से यह लोकप्रिय धारणा बनी कि यह भारतीय संसद भवन के लिये प्रेरणा-स्रोत रहा था।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a)  1 और 2       
(b)  केवल 2 और 3
(c)  1 और 4       
(d) 2, 3 और 4

उत्तर:(c)


प्रश्न. भारत की कला और पुरातात्त्विक इतिहास के संदर्भ में, निम्नलिखित में से किसका सबसे पहले निर्माण किया गया था? (2015) 

(a) भुवनेश्वर स्थित लिंगराज मंदिर
(b) धौली स्थित शैलकृत हाथी
(c) महाबलीपुरम स्थित शैलकृत स्मारक
(d) उदयगिरि स्थित वराह मूर्ति

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न 1. भारतीय कला विरासत की रक्षा करना वर्तमान समय की आवश्यकता है। चर्चा कीजिये। (2018)

प्रश्न 2. भारतीय दर्शन और परंपरा ने भारत में स्मारकों एवं उनकी कला की कल्पना को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। चर्चा कीजिये। (2020)